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शहिदों की शहादत

13 अक्टूबर 2021

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निराश निगाहों में एक आश थी अब तक
अब तो ये आश भी टूट गयी
लौट के आयेगा इस देश का रक्षक
मां का बेटा बहन का भाई
लौट के आयेगा प्रियतम मेरा
सोच रही थी यही लूगाई
पर ये कौन सी खबर है आई
जिसने घर में आग लगाई
रोये पत्नी रोये बहना मां की हालत का क्या कहना
हुआ शहीद और एक भाई
फिर भी इनको शरम न आई
हर शहीद के लाश पे होती, निंदा ! ना करते कार्यवाही
अब तो हांथ खोल दो इनके
कब तक यूं हीं मरेंगे बेटे
कब तक विधवा होगी बहना
अब दो आजादी सैनिक को
देशद्रोहियों की हो सामत
दिखला दो दुश्मन को ताकत
बंद करो अब रोना धोना
अब रोने दो दुश्मन को बस
अब न टूटे आश बहन की
ना ममता की हत्या हो अब
शहीदों की शहादत का रखो कुछ मान ऐसा
लो निर्णय अब कोई ऐसा के दुश्मन कांप जाये ।

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