हमने कब पकड़ा था उसको
वो तो है आजाद पंक्षी
मुक्त है वो हर रंजो गम से
हर खुशी है पास उसके
है खुला आकाश उसका
ना है कुछ पाने की ख्वाहिश
ना है कुछ खोने का गम
बचपना है वक्त वो जब
ये जहाँ अपना है सारा
है शहंशाह वक्त के ये
वक्त चलता शय पे इनके
सोना चाहें जब ये सो ले
चाहें जब ये जाग भी लें
वक्त भी है गुलाम इनका
इस जहाँ में हर शय इनका ।