shabd-logo

वक्त के शहंशाह

25 अक्टूबर 2021

26 बार देखा गया 26
हमने कब पकड़ा था उसको
वो तो है आजाद पंक्षी
मुक्त है वो हर रंजो गम से
हर खुशी है पास उसके
है खुला आकाश उसका
ना है कुछ पाने की ख्वाहिश
ना है कुछ खोने का गम
बचपना है वक्त वो जब
ये जहाँ अपना है सारा
है शहंशाह वक्त के ये
वक्त चलता शय पे इनके
सोना चाहें जब ये सो ले
चाहें जब ये जाग भी लें
वक्त भी है गुलाम इनका
इस जहाँ में हर शय इनका ।

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए