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क्षणिकाएं

27 दिसम्बर 2021

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कुछ क्षणिकाएं

आज अचानक 
यादों के बादल घिरे
घनघोर वर्षा
काँप रहा तन
भीगा मन

अमर बेल सा प्रेम
जड़ विहीन
उपजा तन की गहराई से
रस पी हृदय का
फूला फला
मन अब तक रीता

इश्क नचाया
थैया थैया
जोग किया
पर
हाथ न आया
ये पागलपन
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रचनाएँ
चर्चा के बीच
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मन के भावों को कागज पर उतारती कलम

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