shabd-logo

क्षणिकाएं

27 दिसम्बर 2021

19 बार देखा गया 19
कुछ क्षणिकाएं

आज अचानक 
यादों के बादल घिरे
घनघोर वर्षा
काँप रहा तन
भीगा मन

अमर बेल सा प्रेम
जड़ विहीन
उपजा तन की गहराई से
रस पी हृदय का
फूला फला
मन अब तक रीता

इश्क नचाया
थैया थैया
जोग किया
पर
हाथ न आया
ये पागलपन
2
रचनाएँ
चर्चा के बीच
0.0
मन के भावों को कागज पर उतारती कलम

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए