चर्चाओं के बीच
अक्सर मैं
जब घर से निकलती हूं
दफ्तर के लिए
अपना सारा आत्मविश्वास बटोरते हुए
टीवी के एंकर
डराते हैं
अपराध और अपराधी को महिमा मंडित करते हुए
घर और बाहर के लोग
समझाते हैं ऊंच नीच
रेपिस्टों और झपटमारों से भरी है दुनिया
चारों ओर मुश्किल
बचना नामुमकिन
फिर भी बढ़ा दिया है कदम
गली में
गली के नुक्कड़ वाले
मोड़ पर
अगले कदम के लिए