सामाजिक
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एक बार स्लीपर बस के सफ़र में मेरे पास की सीट पर बैठी लड़की ने मुझसे पूछा " हैलो, क्या आपके पास इस मोबाइल की सिम निकालने की पिन है ?" उसने अपने बटुए से एक फोन निकाला, वह नया सिम कार्ड उसमें डालना च
जीवन फिर से लौट आयाखेड़ा गांँव के लोग बहुत आलसी थे । वे अपने दिन इधर - उधर घूमने, झगड़ने, सोने और शिकायत करने में बिताते थे ।एक बार गाँव में भयंकर सूखा पड़ा । फसलें सूख गयीं । कुएंँ सूख गये । ग्रामीणो
सीमा (आपकी ख्वाहिशों को मैंने सम्भाल रखा है) बेटा अब खुद काम करके पैसे कमाने वाला हो गया था, इसलिए बात - बात पर अपनी माँ से झगड़ पड़ता था। ये वही माँ थी जो बेटे के लिए पति से भी लड़ जाती थी। मगर अब
तेरी मुस्कराहट की है बात, जैसे खिला हो गुलाब,हर लम्हा बन जाए हसीन, हर ख्वाब हो जाए आबाद।तेरी हंसी की मिठास में, घुली है चाशनी सी,जैसे चांदनी रात में, चमके चांदनी सी।मुस्कराहट तेरी देख के, दिल भी हैरान
बड़े महँगे किरदार है ज़िंदगी में साहिबासमय-समय पर सबके भाव बढ़ जाते हैं
कोई सुलह करा दे जिंदगी की उलझनो से मेरीबड़ी तलब है हमें भी खुलकर मुस्कुराने की