वज़्न - 1222 1222 122, अर्कान - मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फऊलुन, बह्र - बह्रे हज़ज मुसद्दस महज़ूफ़, काफ़िया -ज़माना (आना की बंदिश) रदीफ़ - छोड़ आये"ग़ज़ल" सखा साया पुराना छोड़ आयेवसूलों का ठिकाना छोड़ आयेन जाने कब मिले थे हम पलों सेनजारों को खजाना छोड़ आये।।सुना है गरजता बादल तड़ककरछतों पर धूप खाना छोड़ आये।।बहाना था