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संस्मरण

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सखि, इस तरह हम लोग माउंट आबू की सैर कर रहे थे । रास्ते में बहुत से सैलानी विभिन्न मुद्राओं में फोटोशूट कर रहे थे और वीडियो भी बना रहे थे । आजकल फोटोशूट करने और वीडियो बनाने का प्रचलन बहुत ज्यादा

डायरी सखि, कोरोना के बाद कहीं आना जाना नहीं हुआ था । बच्चों का मन था कि कहीं घूमकर आयें । तो अचानक प्रोग्राम बन गया और शनिवार की शाम को हम लोग यहां माउंट आबू आ गये । सोचा था कि यहां गर्मी से

डायरी सखि , "क्या भूलूं क्या याद करूं" की तरह किस किस घर को याद करूं ? एक घर हो तो बताऊं , यहां तो दर्जन भर से भी अधिक घरों ने मुझे संभाला है । चलिए,  आज सबको याद करते हैं । पहला घर था

30 अप्रैल 2022   शनिवार समय 11:15 रात मेरी प्यारी सखी,  कहीं जाना होता है चले कहीं जाते हैं। कई बार परिस्थितियां विषम हो जाती हैं। अभी देखो ना बेटी के प्रैक्टिकल होने थे।

29 अप्रैल 2022    शुक्रवार  समय 11: 22मेरी प्यारी सखी,फिर आज बहुत दिनों बाद तुम्हारे पास आने का मौका मिला। कई बार स्थितियां परिस्थितियां कुछ ऐसी ही विषम हो जाती है कि चाहते हु

मेरी प्यारी सखी,घर में मेहमानों की उपस्थिति के चलते तुमसे मुलाकात नहीं हो पाई। इस बात की टीस थी, पर क्या करती?गर्मी की वजह से जगह-जगह पानी पिलाने के लिए प्याऊ की व्यवस्था की जा रही है। पशु-पक्षी भी छा

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