30 अप्रैल 2022
शनिवार
समय 11:15 रात
मेरी प्यारी सखी,
कहीं जाना होता है चले कहीं जाते हैं। कई बार परिस्थितियां विषम हो जाती हैं।
अभी देखो ना बेटी के प्रैक्टिकल होने थे। कॉलेज नहीं जा पाने के कारण किस दिन से प्रैक्टिकल शुरू हुए उसे पता ही नहीं चला। अब जाने पर काम का प्रेशर भी बढ़ गया।
एक तो मारी गर्मी के मनुष्य ही नहीं हर कोई त्राहि-त्राहि कर रहा है पता है मुझे तो सांस लेने में भी परेशानी हो रही है घुटन सी होने लगी है। कितना भी पानी पीयो मन ही नहीं भर रहा। फ्रिज का पीयो तो कोरोनावायरस होने का डर। जाए तो जाए कहां?
कोरोना का पुनः आगमन चिंता का विषय हो चुका है। भगवान शायद इस तरह से जनसंख्या कम करने पर तुला है। वैसे भी हम प्रकृति की सार संभाल नहीं करेंगे तो प्रकृति कहां हमें संभाल पाएगी?
एक और महीना समाप्ति के कगार पर।
एक नई शुरुआत के साथ कल मिलते है। आज के लिए
शुभ रात्रि