शीर्षक ---संयुक्त परिवार
संयुक्त परिवार का घर
जहाँ बसी होती है बचपन की सारी खुशियाँ ।
जहाँ दादा दादी का प्यार होता था,
जहाँ माँ बाबा का लाड़ होता था।
जहाँ चाचू बुआ का दुलार होता था,
वहीं भाई बहन का लड़ाई वाला प्यार होता था।
जिन्होंने अंगुली पकड़ के चलना सिखाया,
जिन्होंने संस्कारों की धरोहर दिया।
जिनके संग होती थी हमारी शरारतें,
जिन्होंने लाड़ प्यार से भरा जीवन दिया।
भला -बुरा, ऊंच -नीच,
अपने -पराये खुशी- गम,
बहुत सारी ज्ञान की बातें जिन्होंने,
सीख लाये।
जिनके संग होती थी हम सब की,
खट्टी मिठी बातें।
कितने प्यार से रहते थे हम सब,
अपने संयुक्त परिवार वाले घर में,
जहाँ थोड़ी तकरारें भी होती थी और मनमुटाव भी होता था ।
फिर भी सब मिलजुल कर रहते थे,
।
बहुत कुछ सीख भी मिल जाता था,
खेल खेल में।
अपनों के संग अपने संयुक्त परिवार वाले के घर में,
नही किसी चीज की फिक्र होता था।
बस आजादी से बचपन बीतता था,
आज भी सब कुछ याद है,
अपने संयुक्त परिवार के घर के बीती बातें,
उन्हें याद करके आज भी ऑंखें,
गीली हो जाती है।
आज भी सब कुछ यादों में वैसे ही है,
बस हम ही कुछ ज्यादा बड़े हो गए,
अपने संयुक्त परिवार को छोड़ कर के l
आज हमने अपने संयुक्त परिवार के घर की बगिया को फिर से लिख, कर महाका दिया यादों से।।,