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सोचा न था

20 नवम्बर 2021

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सोचा न था तुम यूं याद आओगे 
न था पता तुम यूं भूल जाओगे
कहते थे कभी जो हमे अपनी जान 
आज तुम यूं अंजान बन जाओगे।।


जाने क्यों तुम पे बस अपना ही हक लगता है
कोई और तुम से मिले तो बुरा लगता है
जानते हैं हम तुम मेरे हो नही सकते
तुम ... मेरे हो ये सोचना अच्छा लगता है।


होश उड़ा देता है तेरा शर्माना धीरे से मुस्काना
नींद चुरा लेता है तेरा नजरे झुका के चले जाना

सुनते आए थे हम अक्सर आंखे दिल की जुबां होती है
कह देती हैं वो सब बाते जो न लबों से बयां होती है
अफसोस हम उन के दिल की बात न कभी जान पाएंगे
मिलते हैं जब वो हमसे उन के होंठ खामोश नज़रे झुका होती हैं।
यू.एस.बरी

यू.एस.बरी

मैम सुन्दर अभिव्यक्ति

9 दिसम्बर 2021

यू.एस.बरी

यू.एस.बरी

मैम सुन्दर अभिव्यक्ति शुभकामनाएं एवं नमन्!

9 दिसम्बर 2021

Shailesh singh

Shailesh singh

खूबसूरत रचना 👌👌

21 नवम्बर 2021

Adv Sudha Gupta

Adv Sudha Gupta

22 नवम्बर 2021

जी बहुत बहुत धन्यवाद आप का

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