कविता गुनगुनाहट क्या तुम्हारी रगों में अपने भारत की मिट्टी से सुगंधित रक्त नहीं बहता ,क्या यहां के खेतों में उगा सोना तुम्हारे सौंदर्य में व्रद्धि नहीं करता ,क्या यहां की नदियां , झरने और दूर - दूर तक फैले हरे - भरे मैदान तुम्हारे अन्दर के संगीत का कारण नहीं बनते ,क्या उंचे - उंचे पेड़ों से सज्जित ह
** यह मेरा जीवन कितना मेरा है ? ** यह जीवन जो मैं जी रहा हूं, वो किस का है? वो किस किस का है? हम में से प्रत्येक यह प्रश्न, इस तरह के प्रश्न स्वयं से कर सकता है। यह जीवन जो मैं जी रहा हूं, मैं उसको मेरा कहता हूं, समझता हूं। परयह मेरा जीवन कितना मेरा है?हम कहते तो हैं कि यह मेरा जीवन है;कौन नहीं कहता