कभी धूप कभी छाया।
प्रभु यह तेरी कैसी माया।।
तुमने यह जग रचकर।
कर डाला कैसा घोटाला।
रंग बिरंगी इंसान बनाए।
कुछ सीधे कुछ चतुर बनाएं।।
ईमानदारी का चोला चढ़ाकर।
सबको लूटे, फिर मौज उड़ाए।।
लुटने वाला समझ न पाए।
अपना दर्द वो कहां सुनाएं।।
धरती पर तुने क्या रच डाला।
ये सब है तेरी ही माया।।