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त्योहारों की यादें

10 नवम्बर 2021

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त्योहारों का देश हमारा

नाना प्रकार से खुशियां मनाता।।

गजक, मूंगफली कितने भाते।

पतंग की खुशियां संक्रांति में पातें।।

इंद्रधनुष सतरंगी सी आसमान में छाए।

वो काटा, वो काटा चितचोर धुन समाए।।

बसंत पंचमी त्योहार है आया।

हरियाली संग नव पल्लव लाया।।

सरस्वती मां की करें वंदना।

ज्ञान, ध्यान, विद्या दे, है यही अर्चना।।

शिव के हाथों में मेरी डोर।

चलता चलूं मैं शिव धाम की ओर।।

होली आई, होली आई।

रंगों की बौछार है लाई।।

खुशियों से भर जाए झोली।

बुरा न मानो है यह होली।।

राखी के धागे कच्चे-कच्चे।

बंधे जब हाथों में हो जाए नाते पक्के।।

भैया को मैं तिलक लगाऊं।

भाई दूज का पावन पर्व मनाऊं।।

धरती पर जब बोझ बढ़े।

असुरों का आतंक चढ़े।।

चीर असुरों के सीने को।

मां दुर्गा असुर संहार करें।।

दशहरे का पाया पावन त्यौहार।

सत्य की होती जय जयकार।।

सच्चे पथ की राह पर चाहे हो अनेकों शूल।

चलता चल निर्भीक होकर शूल बनेंगे फूल।। छज्जे, छत, आले, दीवार पर।

घर पर, दर पर, हृदय पटल पर।।

दिए जल उठे हैं जगमग जगमग।

दिवाली आई है, दमक उठा है हर पल।।

खुशियां ये सारी यादों में महक जाती हैं।

खुशबू रस की, चीनी सी घूल जाती है।।

मिठाइयों की मिठास, खट्टी मीठी सी यादें देती हैं।

अपनेपन की मिठास लिए, मन को महका जाती है।।

त्योहारों की यादें

हां हां

मन को खूब हर्षाती है।

फिर फिर

मन को गुदगुदाती है।।

कविता रावत

कविता रावत

आपने बहुत ही सरल भाव से बडे करीने से त्‍यौहारों काे बांध दिया है एक सूत्र में

29 दिसम्बर 2021

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

बहुत बढ़िया लिखा आपने। शुभकामनाएं

10 नवम्बर 2021

Papiya

Papiya

12 नवम्बर 2021

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद 🌹

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मन के आवेगो को पंक्ति बद्ध करने की कोशिश...

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