बोलो हर-हर बम-बम
मिट जाए सारे गम।
याद रखना नहीं भूल जाना
भक्तों शिव को नहीं बिसराना।।
दिन-रात सुबह-शाम, आठों पहर चारों धाम।
रटते जाना, गुणगान रटते जाना।
देखो शिव को नहीं बिसरना।।
शिव की छवि है बड़ी ही निराली।
सिर पर गंगा बिराजे।
हाथ में डमरू साजे।
आक धतूरा ही इनको चढ़ाना।
भक्तों शिव को नहीं बिसराना।।
बोलो हर-हर बम-बम------
शिव भस्म जो अंग लगाते।
उसके कण जो हमें मिल पाते।
उसे माथे से लगाते,
अपना जीवन सफल बनाते।
तर जाते, भवसागर तर जाते।।
भक्तों शिव को नहीं बिसराते।
बोलो हर-हर बम-बम------
पापिया
स्वरचित लेख