गुरु के गुणों का मैं गुणगान गाँऊ।
आलोक में उनके शीश झुकाऊ।।
आच्छादित रहे मुझ पर तुम्हारी स्नेह वर्षा।
करुणामयी कृपा से, मेरा हृदय है हर्षा।।
आदर भाव रहे मन में निश - दिन।
रहे आप वंदन पूजनीय पल-छिन।।
सीखा है जो पाठ हमने।
जीवन भर उसे दोहराएंगे।।
खूब खिलेंगे, सदा फलेंगे।
सफल परचम लहराएंगे।।
धन्यवाद दे आपका किन शब्दों में।
गढ़ा जीवन हमारा इन्ही हाथों ने।।
हम तो ढेला थे कच्ची मिट्टी का।
अनुरुप बनाया आपके कर-कमलों ने।।