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तेरी आंखों की लफ्ज़...

21 दिसम्बर 2023

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 (भाग 1)


एक कहानी की शुरुआत करने जा रहा हूं। आशा है कि आप लोग इस कहानी को पसंद करेंगे और समीक्षा की आशीवार्द जरूरत देंगे। 



पटना , बिहार 



जब कोई अपनी मंजिल  उस पिता की आंसू की आग से खोजकर हासिल करना चाहते हैं तो मिल ही जाती है।





बिहार के बहुत ही छोटे से गांव में राजकुमार यादव जी का परिवार रहता है  उसके  एक बेटा और दो बेटी है ।   बेटा अजय  बड़ा बेटा है जो  इस बार बारहवीं की एग्जाम देने वाला हैं और सोनाली सरकारी स्कूल में आठवीं कक्षा में पढ़ती है और राधा  अभी दसवीं का एग्जाम देने वाली है ।








अजय की मां सुशीला   एक कामकाजी महिला है घरों के काम के साथ साथ  अपने खेती-बाड़ी में लगी रहती है ।  अनपढ़ भले है पर हिसाब किताब में उनका कोई मुकाबला नहीं है।  घरों के साथ खेती-बाड़ी का काम खुद करती है जिसमें अजय उनका साथ देता है । 





राजकुमार यादव जी एक सरकारी कर्मचारी जो कि छौराही ब्लाक (block)  के  अंचल अधिकारी (C O) के अंतर्गत काम करते हैं । रोज सुबह   8:40 में ही अपने घर से आफिस के लिए निकल जाते हैं और शाम 5:30 बजे घर आते हैं । जिसमें उनका एक मोटरसाइकिल है जो ससमय उन्होंने पहुंचा देता है। 



तीन महीने बचा था एग्जाम का। अजय घर पर ही खुद से पढ़ाई करता है  जो कोचिंग में पढाएं गये उसे याद करना और नोट्स तैयार किया जो मुख्य मुख्य प्रश्न  की संग्रह है ।   
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अगले दिन 
10 बजे सुबह 

राधा - खाना कहां लेकर आएं ।अजय - उपर वाला रूम में रख  अभी पापा नहीं है तो समाचार सुनते सुनते  खा लेंगे । और दोनों पानी ले लेना ,हाथ धोने वाला चापाकल का और पीने वाला  RO पानी । राधा - तेरा कोई नौकरी नहीं है जो दिन भर यहां वहां पहुचाते रहेंगे । अजय -  यह तो बता खाना में बना क्या है कुछ ख़ास है ..?





राधा - कुछ भी खास नहीं है चावल दाल आलू का भूजिया है  खाएगा या फिर मैं जाऊं मुझे भी काम है तेरे जैसा पढ़ने का बहाना नहीं न करते हैं । अजय - लगत है उस दिन का गुस्सा बचा हुआ है ( मन में) ।राधा -   खाना और पानी दोनों दे  दिया हूं । बस थाली नीचे जाके रख देना । नहीं तो शाम में पापा आएंगे तो हिसाब किताब  दोनों हो जाएगा🤣🤣🤣।अजय -  😡😡 चुप चाप मुझे खाने दें नहीं तो फिर पीट देंगे फिर जाकर कह देना कि भाई मारा है और अभी मां तेरी पार्टनर भी नहीं है जो सबूत दिखाएंगी। 🤣🤣🤣










देव ऋषि ✨ प्रारब्ध ✨✍️

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