हमारा टेसू यही अड़ा, खाने को मांगे दही-बड़ा ,दही-बड़े में मिर्चे तेज़, आगे देखो काजीहौज, काजीहौज में चली छुरी ,आगे देखो फतेहपुरी, फतेहपुरी में बैठा था नाई, आगे देखो जमुना माई, जमुना माई पे बिछा बाजरा, आगे देखो शहर शाहदरा, शहर शाहदरा हुआ आबाद, आगे देखो गाज़ियाबा
सुर्ख अंगारे से चटक सिंदूरी रंग का होते हुए भी मेरे मन में एक टीस हैं.पर्ण विहीन ढूढ़ वृक्षों पर मखमली फूल खिले स्वर्णिम आभा से, मैं इठलाया,पर न मुझ पर भौरे मंडराये और न तितली.आकर्षक होने पर भी न गुलाब से खिलकर उपवन को शोभायमान किया.मुझे न तो गुलदस्ते में सजाया गया और न ही माला में गूँथकर द