shabd-logo

travel

hindi articles, stories and books related to travel-25480


featured image

मैं समंदर हूँ ऊपर से हाहाकार पर भीतर अपनी मौज़ों में मस्त हूँ मैं समंदर हूँ दूर से देखोगे तो मुझमें उतर चढ़ाव पाओगे पर अंदर से मुझे शांत पाओगे मैं निरंतर बहते रहने में व्यस्त हूँ मैं समंदर हूँ ऐसा कुछ नहीं जो मैंने भीतर छुपा रखा होजो मुझमे समाया उसे डूबा रखा हो हर बुराई बहार निकाल देने में अभ्यस्त हू

featured image

गांव चमारी में घर की ढलान से उतरते ही महादेव कक्का का घर था. उनके घर में खूब सारी छिरिया (बकरी) थीं. कक्का की एक बेटी थीं. लक्ष्मी दीदी. उनकी शादी हो चुकी थी. पर वह कक्का की अकेली औलाद थीं. तो यहीं रहती थीं. मैं मम्मी से छुटपन में कह देते. कक्का की तो छिरिया भी रोज घूमने जाती हैं लैन (रेलवे लाइन) तक

संबंधित टैग्स

किताब पढ़िए