श्रृंगार रस कविताएं
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<p>बिंदी माथे पे सजाकर कर लिया सोलह श्रृंगार ।<br> प्राणप्रिय आपकी राह में बिछाई पुष्प वह पगार ।।<br
<p><strong>पाँव पखेरू पिया </strong><br> <br> जब पांवों की पायल करती छन छन शोर सुंदर भाव उकेरती तब