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जीवनदायिनी हो तुम सरिता

15 अप्रैल 2015

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जीवनदायिनी हो तुम सरिता , धाराए तुम्हारी जब बहती हैं , अपनी सीमाओं की हद में | विध्वंसकारी हो तुम सरिता, जब सीमाओं से परे बहती हो तुम , खेतो ,खलिहानों और नगरो में | जीवनदायिनी हो तुम सरिता , अपनी सीमाओं की हद में |

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