shabd-logo

तुमको भटके मन ने भटकाया

3 नवम्बर 2021

12 बार देखा गया 12

तुमको आज भटके मन ने भटकाया

तुमको आज फिर भटके मन ने भटकाया

तुम्हारे घर आज होगा फिर वही तमाशा

दिन के खाते का जब रात हिसाब निकालेगी

तो आएंगी हाथों हाथ दिनभर की निराशा।

ये खेल है साहस का पाने की तुमको है जिज्ञासा

देखते हैं क्या कर लेंगी आने दो फिर हाथों में हताशा।

कलम हैं हाथों में अपने कदम हैं रास्तों पे अपने

अपनी क़िस्मत पलटने का कर लिया हमने इरादा।

तुम्हारा हासिल तुमको मिलेगा हमारा हमको मिलेगा

फ़र्क़ इतना है किसने किया था हर हाल में टिकने का वादा।

ये शायरी है यहाँ पर शब्द-पक्षी आसमाँ में उड़ते है

उतारो ख़्वाबों को धरा पर लेखक लिखो मत ज़्यादा।

'हरिशंकर' तुमने शब्द लुटाये हैं पैसे कम-आधा

जो ख़्वाब की है तो जोखिम उठाने की भी रखो अभिलाषा।


- हरिशंकर ©2021

HARISHANKAR SONI की अन्य किताबें

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए