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बुढ़िया काकी

4 अगस्त 2022

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*बुढ़िया काकी निकल पड़ी चलो रे टाइम पास करते हैं ,*"!!
बच्चो की टोली चिल्लाती हुई भागती है , !!
सामने से एक बुर्ज महिला हाथ में लकड़ी लिए  आंखो में मोटा चश्मा और चेहरे की  झुर्रियां  बता रही थी की वह अपने समय में बड़ी खूबसूरत थी , खूबसूरत तो अभी भी थी पर बुढ़ापा तो बुढ़ापा ही होता है ,वह अच्छे अच्छे चेहरे भी बिगाड़ देता हैं , !!
बुढ़िया काकी जिनका नाम पूनम था वह किसी जमाने में पूनम  लगती भी थी ,
वह लाठी टेकते हुए प्रति दिन के भांति घर से मंदिर के द्वार तक जाने के लिए निकल पड़ी थी , वह प्रति दिन भगवान कृष्ण के दर्शन करने जरूर जाती थीं,पर अब सिर्फ बाहर से ही दर्शन करती थी , जब से उनके पति की मृत्यु हुई तब से उन्होंने मंदिर के अंदर जाना छोड़ दिया था ,कारण तो अब वो ही जाने ,*"!!
बुढ़िया काकी नाम उनका बस्ती वालों ने ही रखा था , यह नाम कब पड़ गया किसी को नही पता ,बुढ़िया काकी जैसे ही अगले मोड़ पर पहुंची,बच्चो की फौज दूर से ही चिल्लाने लगी *" बुढ़िया काकी आ गई ,बुढ़िया काकी आ गई ,*"!!
बुढ़िया काकी शब्द सुनते ही जैसे पूनम के तन बदन में आग सी लग जाती थी ,वह जोर जोर से चीखती और कहती ,*" बुढ़िया होगी तेरी मां, तेरा खानदान रुको कमीनो अभी दिमाग ठिकाने लगाती हूं ,*"!!
और पता नही कहां से इतनी शक्ति आ जाती थी की वह बच्चों को डंडा ले दौड़ा लेती थी ,और बच्चे तो बच्चे उन्हे खूब छकाते ,कोई उन्हे पीछे से छू कर भागता तो कोई  उनके सामने से भागता , कभी कोई उनके दायरे में आता तो एकाध डंडा खा भी लेता था , उसी में एक बच्चा आकर कहता है *" अरे तुम लोग हीरोइन काकी को क्यों परेशान करते हो ,हमारी काकी कितनी सुंदर है अभी भी जवान लगती हैं , *"!!
बस इतना सुनते ही काकी उस बच्चे को दिल से आशीर्वाद देने लगती और उसके बालो में हाथ फेर उसके माथे को चूमती और जैसे ही खड़ी होती फिर वही बच्चा कहता ,*" क्या बुढ़िया काकी तुम हमको छुआ मत करो , हम भी बूढ़े हो जायेंगे ,*"!!
और वह तेज़ी से भागता ,!!
और उसके पीछे डंडा उठाए दौड़ती हुई गलियां देती हुई बुढ़िया कहती है*" अरे करम जलो,नलायको , तुम्हारे मां बाप ने यही सिखाया है , *"!!!
दस मिनट की फुरसत हो जाती थी ,और लोगों को बिना पैसे का मजा आ जाता है,!!!
कई तो बड़े भी उनके पीछे पीछे यह देखने जाते थे की कहीं कोई बच्चा उनके चपेट में न आ जाए, वैसे काकी की लाठी से आज तक कोई घायल नही हुआ था ,जबकि लगी तो करीब करीब सभी को थी ,*"!!

काकी को मंदिर आने जाने में इस तरह दो घंटे तो लग ही जाते थे ,रोज सुबह लोगो का इंटरटेनमेंट भी हो जाता था ,अगर काकी को कभी देर हो जाती तो बड़े लोग भी उनके घर की ओर देखने लगते थे की वह ठीक तो हैं ,!!
कुछ महीने पहले काकी को बुखार हो गया था दो दिन बाहर घर से निकली ही नही तो बच्चे उनके घर पहुंच गए और खिड़की से झांक कर काकी को चिढ़ा कर भागते थे ,और वह बिस्तर पर पड़े पड़े उन्हे  चिल्लाती रहती ,काकी को तो सभी बच्चो के नाम भी पता थे ,पर उन्होंने कभी उनके मां बाप से  शिकायत नही की खुद जो भी बोलना और मारने का मौका  होता था मार लेती थी,*"!!
वैसे काकी का बेटा air बहु साथ ही रहते थे ,वह भी उनकी इस आदत से परिचित थे , एकाध बार बेटे ने कहा भी *" क्या मां आप भी बच्चो के साथ उलझी रहती हो ,बुढ़िया हो तो कहते हैं , इसमें इतना चिढ़ने वाली क्या बात है, *"!!

बेटे के बुढ़िया कहने पर उसे भी दो डंडे राशिद कर दिया था काकी ने और वही संवाद चिपका दिया ,*" बुढ़िया होगी तेरी मां ,*"!!
तबसे बेटा और बहू इस बात के लिए बोलना ही बंद कर दिया था , काकी के पति  इनकी सुंदरता की वजह से हीरोइन बुलाते थे ,और वह अपनी जवानी में किसी भी हीरोइन से कम नही थी ,पर पति के जाने के बाद वह उनके वियोग में कुछ अधिक ही बूढ़ी लगने लगी थी , *"!!

आज काकी घर से बाहर निकली और मंदिर की ओर चली तो कहीं से कोई आवाज नहीं आई तो वह चारो ओर देखने लगती है ,*" वह बड़बड़ाती हैं ,*" आज ये मुए बच्चे कहां रह गए , सबके सब गायब हैं,*"!!
वह इधर उधर देखते हुए आगे बढ़ती है , पर कही से कोई आवाज नहीं सुनाई पड़ी **बुढ़िया काकी **!!

वह एक आदमी से रोक कर पूछती हैं ,*" रामकरण ,ये आज नालायक बच्चे कहां गायब हो गए ,दिखलाई नही पड़ रहे हैं , *"!!
वह आदमी कहता है ,*" वो मिंटू की तबियत बहुत खराब है ,  सरकारी हॉस्पिटल में भर्ती है सभी बच्चे उसी को देखने गए हैं , *"!!?
मिंटू काकी को छेड़ने वाले ग्रुप का मुखिया था ,वही काकी के घर के पास खड़ा। रहता था और जैसे ही वह निकलती थी तो सभी को चिल्ला कर खबर करता था ,*" बुढ़िया काकी निकल पड़ी ,!!
काकी धीरे से आगे बढ़ती है और पता नही उनके कदम मंदिर की ओर ना जाकर सरकारी हॉस्पिटल की ओर चल पड़े जो पास ही था ,*"!!
बस्ती का छोटा सा हॉस्पिटल था जहां अक्सर कंपाउंडर ही डॉक्टर का काम करते थे , डॉक्टर तो अक्सर नदारद रहते थे ,काकी वहां पहुंचती है ,वह अंदर जाती है तो वहां खड़े बच्चे काकी को देख चौक उठते हैं , वह बच्चो की ओर जाती हैं , !!
एक बच्चा पूछता है ,*" काकी आप यहां क्यों आई ,*"!!

काकी धीरे से एक डंडा उसे मारकर कहती है ,*" नालायको तुम्हारे बिना मेरे दिन की शुरुआत कहा होती है , कहां है वो नालायक मिंटू,*"!!
एक लड़का उन्हे अंदर ले जाता है ,मिंटू बिस्तर पर लेटा था ,डॉक्टर को बुलाया गया था तो वह आ तो  गए थे पर अपना पिंड छुड़ाने के लिए इंजेक्शन देकर कह रहे थे , इसकी हालत बहुत खराब है इसे तुरंत शहर के हॉस्पिटल में ले जाना होगा , *"!!
मिंटू की आंखे बंद थी ,उसकी मां का तो रो रो कर बुरा हाल था ,वह काकी को देख कहती है ,*" देखो काकी तुम बोलती हो न निक्कमो मरते  भी नही देखो अब ये मरने पर अटका है ,*"!!
काकी की आंखो में आंसु आते है ,*" अचानक वह जोर से चीख कर कहती है ,"" मिंटू नालायक उठ आज बुढ़िया काकी को नही बुलाएगा ,*"!!
और वह अपनी रूलाई रोक नहीं पाती है और उसका हाथ पकड़ कर फूट फूट कर रोती है ,और अचानक उनको झटका सा लगता है ,और उनका सर मिंटू के हाथ में ही झुक जाता है ,*"!!
तभी मिंटू अचानक चीखता है ,*" बुढ़िया काकी आ रही हैं , *"!!
बारह घंटे के बाद उसकी जुबान से आवाज निकली थी , और वह आंखे खोलता है ,तो सभी को आश्चर्य से देखता है , सभी खुश हो जाते हैं , मिंटू की मां काकी को हिलाकर कहती है ,*" काकी देखो आपके बोलने से मिंटू उठ गया ,*"!!
काकी सर एक ओर लुढ़क जाता है , मिंटू को मां जोर से चीखती है ,*" काकी ,!!

काकी की अर्थी निकली थी ,पूरी बस्ती शामिल था सबसे आगे मिंटू मटकी लिए चल रहा था ,वह दो घंटे में एकदम चंगा हो गया था ,और उसने ही जिद्द कर वह मटकी  काकी के भतीजे से लिया था , अर्थी के पास सभी बच्चे रोते हुए चल रहे थे , उनकी काकी जो चली गई थी जाते जाते उन्होंने मिंटू को अपनी जिंदगी जो दे दी थी सभी ऐसा ही कह रहे थे , !!
अर्थी जलते समय सभी बच्चे बुढ़िया काकी कह कर रोने लगते हैं ,!!
अब बच्चे रोज सुबह उसी मोड़ पर खड़े हो एक बार जरूर बुढ़िया काकी को याद करते  थे और कहते थे ,*" बुढ़िया काकी तुम वापस आ जाओ ,अब हम किसे छेड़े ,*"!!

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बुढ़िया काकी
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एक बुढ़िया औरत जिसे बस्ती के बच्चे बुढ़िया कह कर छेड़ा करते थे ,और वह उन्हे गलियां देते हुए मरने को दौड़ती थी,,

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