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उद्योग क्रांति से वनों पर प्रभाव

28 मई 2023

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वन हमारे लिए कुदरत के द्वारा दी गई  सबसे उपयोगी स्रोत है।  क्योंकि आदि काल से ही मानव जंगलों को अपने निवास के लिए घर बनाना,  जंगलों से लकड़ी बालने के उपयोग के लिए, जड़ी बूटियों और दवाईयां आदि अपनी सभी  जरूरते  जंगल से ही पुरा कर रहे हैं। इसके अलावा जंगल जंगली जानवरो के लिए भी पनाहगाह है।भारत रीशियों मुनियों और भगतों  की धरती है। इन सभी का वनों के साथ एक गहरा रिश्ता है। इस लिए हमारे वनों और जीवों की सुरक्षा करनी हमारी परंपरा है।
उद्योगिक क्रांति= उद्योगिक क्रांति से भाव है कि तकनीकी खोज की सहायता से उत्पादन प्रक्रिया में आने वाले बदलाव को कहते है। उद्योगिक क्रांति के कारण हाथों से चलने वाले औजारों की जगह उत्पादन मशीनें से काम करना। यूरोप की उद्योगिक क्रांति से कच्चे माल और भोजन की बढ़ती जरूरतों कारण जंगलों की कटाई का काम शुरू किया गया। संसार भर के हर एक शेत्र में जंगलों की कटाई होने लगी।जिसके कारण वन समाज और और वातावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है।

समुद्री जहाज के लिए जंगल काटना= यूरोप में ओक के पेड़ से जहाज बनाए जाते हैं। जिनकी म्यान लगभग 18 वर्ष होती है। इसके उल्ट भारत में समुद्री जहाज बनाने के लिए सांगवान की लकड़ी का उपयोग किया जाता है ‌। जिसकी म्यान 50 वर्ष की होती है। सांगवान की म्यान युरोप के ओक के पेड़ से कई गुना अधिक है।  सांगवान के पेड़ों के तनों की लंबाई भी ओक के पेड़ से ज्यादा है। जिसके तहत समुद्री जहाजों में बहुत मजबूती भी ज्यादा होती है।इसके कारण यूरोप और इंग्लैंड में सांगवान की लकड़ी की मांग तेजी से बढ़ गई। अंग्रेजों ने   भारत के सांगवान जंगलों पे अपना अधिकार जमा लिया। और सांगवान के जंगलों की अंधाधुंध कटाई करके लकड़ी को इंग्लैंड भेजा जाने लगा। इसके बाद इंग्लैंड के द्वारा सांगवान लकड़ी के समुद्री  जहाज बनाने लगे।  अंग्रेजों द्वारा भारत से सांगवान के जंगलों की कटाई करके  लकड़ीयों को इंग्लैंड भेजने की वजह से भारत में सांगवान के जंगलों की बड़ी मात्रा में कटाई करने के कारण भारत में सांगवान के जंगल काफी कम हो गए।

अंग्रेजों के भारत में आने से पहले कई देशों में रेलवे की आवाजाही शुरू हो गई थी। अंग्रेजों को भारत में भी रेलवे की आवाजाही की जरूरत पड़ी। उन्होंने भारत में रेलवे बनाने का फैसला किया। रेलवे पटरी बनाने के लिए स्लीपर का उपयोग किया जाता है। जो लकड़ी से बनता है ‌ इसमें लकड़ी का उपयोग बहुत ज्यादा मात्रा में किया जाता है। एक किलोमीटर की पटरी के लिए 450 स्लीपर की आवश्यकता पड़ती है। रेलवे के डिब्बों के लिए लकड़ी का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा बालन के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। 


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रचनाएँ
मानव द्वारा प्रक्रिति का विनाश
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मानव जीवन में जंगल बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जंगल मानव की बहुत सी जरुरतों को पूरा करते हैं। जंगल बहुत सी लकड़ियां प्रदान करते हैं। जो हमारे अलग -अलग कामों के लिए उपयोग की जाती है। जैसे कि भोजन पकाने के लिए, फर्नीचर बनाने के लिए , कुर्सी टेबल बनाने के लिए और कागज बनाने के लिए और इसके सिवाय और भी अन्य उद्योगों के लिए उपयोग की जाती है। जंगल बरखा लाने में सहायक होते हैं। जिससे हवा का तापमान ठंडा रहता है। जंगल हमारे वातावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाने में मददगार साबित होते हैं।जंगल बहुत बड़ी मात्रा में हवा में मोजूद कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और हवा में आक्सीजन छोड़ते हैं। जो मानव और जानवरों को जीवित रखने में सहायक होती है। इसके बिना मानव और जानवरों का जीवन असंभव है।लेकिन यह सब जानते हुए भी मानव जंगलों की अंधाधुंध कटाई करता जा रहा है। तेजी से कम हो रहे जंगलों ने देश के जंगली जीवन पर बहुत बुरा असर पाया है। कई जंगली जीवों की प्रजातियों की गिनती बहुत कम हो गई है। कई प्रजातियां तो आलोप हो चुकी है।यह बहुत ही गंभीर समस्या है। जो कुदरती वातावरण के संतुलन के लिए बहुत बुरा है। यह सिर्फ मानव के द्वारा लगातार पेड़ काटने की वजह से ही हुआ है। मानव के द्वारा कुदरत में बहुत ज्यादा दखलअंदाजी दी जाती है।अगर मानव अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पेड़ काटता है तो उसे उसके बदले और पेड़ लगाने चाहिए। कुदरती वनस्पति मानव के लिए किसी अर्थ व्यवस्था के लिए वरदान साबित होते हैं। वनस्पति रकबा बढ़ाने और कुदरती वनस्पति को बचाने की सख्त ज़रूरत है। अधिक से अधिक पेड़ लगाने की और उनकी देखभाल करने की प्रेरणा दी जानी चाहिए। जंगल की खेती या फिर समाजिक जंगलात उत्पादन को अपनाना चाहिए। नदियों, नहरों, दरियावों सड़कों और रेल मार्गों के पास खाली जमीन पर दरख़्त लगाने चाहिए। अधिक से अधिक पेड़ लगाकर ही हम अपनी लकड़ी की जरूरतों को पूरा कर सकते है और अपने वातावरण को साफ सुथरा और शुद्ध रख सकते हैं।
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जंगलों की कटाई

26 मई 2023
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मानव जीवन में जंगल बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। जंगल मानव के लिए या फिर अर्थ व्यवस्था के लिए वरदान साबित होते हैं। लेकिन दुख की बात यह है कि मोजूदा संसार में मानव द्वारा जंगलों को बहुत तेजी से

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अमिर्ता देवी बिश्नोई

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