वन हमारे लिए कुदरत के द्वारा दी गई सबसे उपयोगी स्रोत है। क्योंकि आदि काल से ही मानव जंगलों को अपने निवास के लिए घर बनाना, जंगलों से लकड़ी बनाने के उपयोग के लिए, जड़ी-बूटियों और दवाइयों आदि अपनी सभी जरूरतें जंगल से ही पूरा कर रहे हैं। इसके अलावा, जंगल जंगली जानवरों के लिए भी पनाहगाह है। भारत ऋषियों, मुनियों और भगतों की धरती है। इन सभी का वनों के साथ एक गहरा रिश्ता है। इस लिए हमारे वनों और जीवों की सुरक्षा करना हमारी परंपरा है।
औद्योगिक क्रांति= औद्योगिक क्रांति से अभिप्राय है कि तकनीकी खोज की सहायता से उत्पादन प्रक्रिया में आने वाले बदलाव को कहते हैं। औद्योगिक क्रांति के कारण हाथों से चलने वाले औजारों की जगह उत्पादन मशीनें काम करने लगीं। यूरोप की औद्योगिक क्रांति से कच्चे माल और भोजन की बढ़ती जरूरतों के कारण जंगलों की कटाई का काम शुरू किया गया। संसार भर के हर एक क्षेत्र में जंगलों की कटाई होने लगी, जिसके कारण वन समाज और वातावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है।
समुद्री जहाज के लिए जंगल काटना= यूरोप में ओक के पेड़ से जहाज बनाए जाते हैं, जिनकी आयु लगभग 18 वर्ष होती है। इसके उलट, भारत में समुद्री जहाज बनाने के लिए सांगवान की लकड़ी का उपयोग किया जाता है, जिसकी आयु 50 वर्ष की होती है। सांगवान की आयु यूरोप के ओक के पेड़ से कई गुना अधिक है। सांगवान के पेड़ों के तनों की लंबाई भी ओक के पेड़ से ज्यादा है, जिसके तहत समुद्री जहाजों में बहुत मजबूती भी ज्यादा होती है। इसके कारण यूरोप और इंग्लैंड में सांगवान की लकड़ी की मांग तेजी से बढ़ गई। अंग्रेजों ने भारत के सांगवान जंगलों पर अपना अधिकार जमा लिया और सांगवान के जंगलों की अंधाधुंध कटाई करके लकड़ी को इंग्लैंड भेजा जाने लगा। इसके बाद इंग्लैंड के द्वारा सांगवान लकड़ी के समुद्री जहाज बनाने लगे। अंग्रेजों द्वारा भारत से सांगवान के जंगलों की कटाई करके लकड़ियों को इंग्लैंड भेजने की वजह से भारत में सांगवान के जंगलों की बड़ी मात्रा में कटाई होने के कारण भारत में सांगवान के जंगल काफी कम हो गए।
अंग्रेजों के भारत में आने से पहले कई देशों में रेलवे की आवाजाही शुरू हो गई थी। अंग्रेजों को भारत में भी रेलवे की आवाजाही की जरूरत पड़ी। उन्होंने भारत में रेलवे बनाने का फैसला किया। रेलवे पटरी बनाने के लिए स्लीपर का उपयोग किया जाता है, जो लकड़ी से बनता है। इसमें लकड़ी का उपयोग बहुत ज्यादा मात्रा में किया जाता है। एक किलोमीटर की पटरी के लिए 450 स्लीपर की आवश्यकता पड़ती है। रेलवे के डिब्बों के लिए लकड़ी का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, बालन के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।