आज इस अध्याय में हम वातावरण प्रेमी के दो महान शख्सियतों के बारे में जानेंगे। डॉ. राजेन्द्र सिंह का जन्म 6 अगस्त 1959 ई. को हुआ। डॉ. राजेन्द्र सिंह ने सन् 1975 में एक गैर सरकारी संगठन बनाया। इस संगठन का नाम तरूण भारत संघ था। इस संगठन के तहत 2015 में पानी के संरक्षण और जल स्रोतों की बहाली के लिए राजस्थान में प्रोजेक्ट्स शुरू किए। इन प्रोजेक्ट्स के कारण बहुत से वर्षा जल संरक्षण केंद्र, कुएं और जल स्रोतों को पुनः बहाल किया गया।
ज़मींदोज़ जल की डूगांई 100 मीटर से ऊपर उठकर 13 मीटर की डूगांई हो गई। उन्हें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार 2001 में दिया गया और स्टॉकहोम वाटर पुरस्कार, जिसे नोबल पुरस्कार से भी जाना जाता है, से सम्मानित किया गया। और उन्हें भारत के जल पुरुष के नाम से नवाजा गया।
बाबा बलवीर सिंह सींचेवाल: बाबा बलवीर सिंह सींचेवाल पंजाब के सबसे प्रसिद्ध वातावरण प्रेमियों में से एक हैं। जब अनाज फसलों जैसे गेहूं, चावल ने जमीन के जल स्तर को बड़ी मात्रा में घटाया, तब किसानों द्वारा उपयोग किए जाने वाले रासायनिक खादों जैसे उर्वरक, कीटनाशक, जीवाणुनाशक आदि खादें धरती के नीचे के पानी में मिल गईं। यह हमने पिछले अध्याय में भूमि प्रदूषण में भी पढ़ा है। जिसके कारण पंजाब के लोगों को घातक बीमारियां जैसे कैंसर, गुर्दों का फेल होना, बुखार, दस्त जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा था। तब बाबा बलवीर सिंह जी ने सींचेवाल मॉडल तैयार किया। इस मॉडल में आम पाइप और पंप का इस्तेमाल किया गया। इस मॉडल का फार्मूला बहुत से स्थानों पर लागू किया गया जैसे कपूरथला, सुल्तानपुर लोधी और जालंधर आदि अनेक स्थानों पर। इसका नाम सींचेवाल मॉडल भारत द्वारा दिया गया। भारत द्वारा इस मॉडल को गंगा नदी, रावी नदी, ब्यास नदी आदि के अलावा भारत की सभी नदियों को साफ करने के लिए लागू किया गया।