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वातावरण प्रेमी

6 जून 2023

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आज इस अध्याय हम वातावरण प्रेमी के दो महान शख्सियतों के बारे में जानेंगे। डॉ राजेन्द्र सिंह का जन्म 6 अगस्त 1959 ई को हुआ। डॉ राजेन्द्र सिंह ने सन् 1975 में एक गैर सरकारी संगठन बनाया। इस संगठन का तरूण भारत संघ था।  इस संगठन के तहत 2015 में पानी के संभाल करना और जल स्रोतों की बहाली लिए राजस्थान में प्रोजेक्ट्स शुरू किए। इन प्रोजैक्टों के कारण बहुत से वर्षा जल संभाल केंद्र , कुएं जल स्रोतों वजों मुड़ बहाल हो गए।

ज़मींदोज़ जल की डूगांई  100 मीटर से ऊपर उठकर के 13 मीटर की डूगांई हो गई। उन्हें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार 2001 में दिया गया और स्टाॅकहोम वाटर  पुरस्कार इस पुरस्कार को नोबल पुरस्कार से भी जाना जाता है ‌,  से सम्मानित किया गया।  और उन्हें भारत के जल पुरुष, के नाम से नवाजा गया।

बाबा बलवीर सिंह सींचेवाल= बाबा बलवीर सिंह सींचेवाल पंजाब के सबसे ज्यादा प्रसिद्ध वातावरण प्रेमियों से एक है। जब अनाज फसलों जैसे कनक, चावल फसलों ने जमीन का जल पध्द्र को बड़ी मात्रा में घटाया। किसानों द्वारा उपयोग किए जाने वाले रसायनिक खादो जैसे फर्जी, कीटनाशक, जीव नाशक आदि खादें धरती के नीचे के पानी में मिल गई । यह हमने पिछले अध्याय में भुमि प्रदुषण में भी पड़ चुके हैं।  जिसके कारण पंजाब के लोगों को घातक बिमारियां जैसे कैंसर, गुर्दों का फेल होना, बुखार , दस्त जैसी बिमारियों का रोगी बना रही थी। तब बाबा बलवीर सिंह जी ने सींचेवाल माडल तैयार किया ‌। इस माडल में आम पाइप और पंप का इस्तेमाल किया गया। इस माडल का फार्मूला बहुत सारे स्थानों पर किया गया जैसे कपूरथला, सुल्तान पुर लोधी और जालंधर आदि अनेक स्थानों पर किया गया। इसका नाम सीचेवाल माडल भारत द्वारा दिया गया। भारत द्वारा इस माडल को गंगा नदी, रावी नदी, ब्यास नदी आदि इनके अलावा भारत की  सभी नदियों को साफ करने के लिए लागू किया गया।



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रचनाएँ
मानव द्वारा प्रक्रिति का विनाश
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मानव जीवन में जंगल बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जंगल मानव की बहुत सी जरुरतों को पूरा करते हैं। जंगल बहुत सी लकड़ियां प्रदान करते हैं। जो हमारे अलग -अलग कामों के लिए उपयोग की जाती है। जैसे कि भोजन पकाने के लिए, फर्नीचर बनाने के लिए , कुर्सी टेबल बनाने के लिए और कागज बनाने के लिए और इसके सिवाय और भी अन्य उद्योगों के लिए उपयोग की जाती है। जंगल बरखा लाने में सहायक होते हैं। जिससे हवा का तापमान ठंडा रहता है। जंगल हमारे वातावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाने में मददगार साबित होते हैं।जंगल बहुत बड़ी मात्रा में हवा में मोजूद कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और हवा में आक्सीजन छोड़ते हैं। जो मानव और जानवरों को जीवित रखने में सहायक होती है। इसके बिना मानव और जानवरों का जीवन असंभव है।लेकिन यह सब जानते हुए भी मानव जंगलों की अंधाधुंध कटाई करता जा रहा है। तेजी से कम हो रहे जंगलों ने देश के जंगली जीवन पर बहुत बुरा असर पाया है। कई जंगली जीवों की प्रजातियों की गिनती बहुत कम हो गई है। कई प्रजातियां तो आलोप हो चुकी है।यह बहुत ही गंभीर समस्या है। जो कुदरती वातावरण के संतुलन के लिए बहुत बुरा है। यह सिर्फ मानव के द्वारा लगातार पेड़ काटने की वजह से ही हुआ है। मानव के द्वारा कुदरत में बहुत ज्यादा दखलअंदाजी दी जाती है।अगर मानव अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पेड़ काटता है तो उसे उसके बदले और पेड़ लगाने चाहिए। कुदरती वनस्पति मानव के लिए किसी अर्थ व्यवस्था के लिए वरदान साबित होते हैं। वनस्पति रकबा बढ़ाने और कुदरती वनस्पति को बचाने की सख्त ज़रूरत है। अधिक से अधिक पेड़ लगाने की और उनकी देखभाल करने की प्रेरणा दी जानी चाहिए। जंगल की खेती या फिर समाजिक जंगलात उत्पादन को अपनाना चाहिए। नदियों, नहरों, दरियावों सड़कों और रेल मार्गों के पास खाली जमीन पर दरख़्त लगाने चाहिए। अधिक से अधिक पेड़ लगाकर ही हम अपनी लकड़ी की जरूरतों को पूरा कर सकते है और अपने वातावरण को साफ सुथरा और शुद्ध रख सकते हैं।
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जंगलों की कटाई

26 मई 2023
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मानव जीवन में जंगल बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। जंगल मानव के लिए या फिर अर्थ व्यवस्था के लिए वरदान साबित होते हैं। लेकिन दुख की बात यह है कि मोजूदा संसार में मानव द्वारा जंगलों को बहुत तेजी से

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अमिर्ता देवी बिश्नोई

27 मई 2023
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राजस्थान में वनस्पति की बहुत कमी है। और वनस्पति कम होने के कारण राजस्थान के लोग पेड़ो की बहुत कद्र करते और पैडों की पुजा करते है। राजस्थान में रहने वाले लोग  खेजड़ी के पेड़ को ज्यादा पुजते है। क्योंकि

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उद्योग क्रांति से वनों पर प्रभाव

28 मई 2023
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वन हमारे लिए कुदरत के द्वारा दी गई  सबसे उपयोगी स्रोत है।  क्योंकि आदि काल से ही मानव जंगलों को अपने निवास के लिए घर बनाना,  जंगलों से लकड़ी बालने के उपयोग के लिए, जड़ी बूटियों और दवाईयां आदि अपनी सभी

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पानी प्रदुषण

2 जून 2023
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प्रकृति की ओर से हमें बहुत सारी देने दी गई है। जिनके बिना धरती पर जीवन बिल्कुल असंभव है। उन सभी देनों में से सबसे अनमोल देन है पानी। पानी बिना धरती पर जीवन बिल्कुल असंभव है। पानी मानव की सबसे बड़ी और

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विश्व पर्यावरण दिवस

5 जून 2023
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वातावरण दिवस हर साल आज के दिन यानि 5 जून को पूरे विश्व में मनाया जाता है।  हर साल यह दिवस इस लिए मनाया जाता है। ताकि लोगों को वातावरण के प्रति जागरूक किया जा सके। विश्व वातावरण  दिवस मनाने का ऐलान तब

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वातावरण प्रेमी

6 जून 2023
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आज इस अध्याय हम वातावरण प्रेमी के दो महान शख्सियतों के बारे में जानेंगे। डॉ राजेन्द्र सिंह का जन्म 6 अगस्त 1959 ई को हुआ। डॉ राजेन्द्र सिंह ने सन् 1975 में एक गैर सरकारी संगठन बनाया। इस संगठन का तरूण

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विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस

7 जून 2023
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20 दिसंबर, 2018 को, संयुक्त राष्ट्र  द्वारा  विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस ( WFSD)( world food safty day )की स्थापना की गई थी।  विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस 7 जून, 2019 को मनाया गया, जो खाद्य सुरक्षा चुनौतियों

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नदियों का प्रदुषण

8 जून 2023
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 कुदरत ने भारत को बहुत सारी छोटी बड़ी नदियां उपहार के तोर पर बख्शी है। जैसे कि गंगा नदी,  महानदी , सुवर्णरेखा नदी, गोदावरी नदी, कृष्ण नदी, कावेरी नदी, नर्मदा नदी , साबरमती नदी , लूनी नदी और माहीं नदी

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चिपको आंदोलन

17 जून 2023
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बर्ष 1972 ई में पहाड़ी जिलों के जंगलों में से जब पेड़ काटने शुरू हुए। पेड़ों की नजायज कटाई की जा रही थी। गांव वासियों को जंगलों की कटाई से बहुत दुखी हुए। वह पेड़ों से अपनी बहुत सारी जरूरतों को पूर

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डॉ. कमला सोहनी

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आज इस अध्याय में हम उस महान शख्सियत के बारे में जानेंगे। जिन्होंने विज्ञान की दुनिया में अपनी अलग ही पहचान बनाई।इनका नाम है डॉ. कमला सोहनी ।    डॉ. कमला सोहनी का जन्म 18 जून 1911 को मध्य प्रदेश के इंद

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डॉ. कमला सोहनी

18 जून 2023
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आज इस अध्याय में हम उस महान शख्सियत के बारे में जानेंगे। जिन्होंने विज्ञान की दुनिया में अपनी अलग ही पहचान बनाई।इनका नाम है डॉ. कमला सोहनी ।    डॉ. कमला सोहनी का जन्म 18 जून 1911 को मध्य प्रदेश के इंद

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