वातावरण दिवस हर साल आज के दिन, यानि 5 जून को पूरे विश्व में मनाया जाता है। हर साल यह दिवस इस लिए मनाया जाता है ताकि लोगों को वातावरण के प्रति जागरूक किया जा सके। विश्व वातावरण दिवस मनाने का ऐलान तब किया गया जब धरती पर प्रदूषण बहुत अधिक बढ़ गया। वायु, पानी और भूमि प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है और इनका वातावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
मानव द्वारा वातावरण में पैदा किए गए पानी प्रदूषण, हवा प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण वातावरण में अहम माने जाते हैं।
पानी प्रदूषण = कुदरत की ओर से हमें मिली हुई अनमोल देन है पानी। पानी बिना धरती पर जीवन बिल्कुल असंभव है। पानी मानव की सबसे बड़ी और अहम जरूरत है। पानी के बिना इंसान का एक दिन भी जिंदा रहना नामुमकिन है। पानी मानव की बहुत सारी जरूरतों को पूरा करता है। मानव द्वारा कुछ और क्रियाओं से पानी को प्रदूषित भी किया जा रहा है। मानव द्वारा पानी को बहुत बड़ी मात्रा में प्रदूषित किया जा रहा है। मानव द्वारा कारखानों के बचे-खुचे रासायनिक पदार्थ, कपड़े धोने वाले डिटर्जेंट पाउडर, शहरों का कूड़ा-करकट, अर्थियों को पानी में बहाना, पालिथीन को पानी में फेंकना आदि मानव की इन सभी क्रियाओं के कारण पानी बहुत ज्यादा मात्रा में प्रदूषित हो गया है। पानी के सभी स्रोत जैसे कि समुद्र, नदियां, दरिया, झील और धरती के नीचे का पानी भी प्रदूषित कर दिया गया है। प्रदूषित पानी के कारण पानी में रहने वाले जीवों का जीवन भी खतरे में पड़ गया है। पानी के प्रदूषित होने के कारण मानव को बहुत सारी रोग लग जाते हैं। पानी में यूरेनियम जैसे तत्व मिल जाते हैं। इन तत्वों की ज्यादा मात्रा की वजह से कैंसर जैसी भयानक बीमारियों का सामना करना पड़ता है। पानी के प्रदूषित होने से मानव के शरीर में हैजा, मलेरिया, बुखार और दस्त जैसी बीमारियां फैल जाती हैं।
भूमि प्रदूषण = भूमि हमारे जीवन में सबसे ज्यादा अहम और खास तत्व है। लेकिन फिर भी मानव अपने सुख के लिए वस्तुओं को उपयोग करने के बाद फेंकने वाली वस्तुओं का ज्यादा इस्तेमाल करने लग गया है। मानव विभिन्न समागमों में फेंकने वाले बर्तन जैसे गिलास, कोलियां, प्लेट्स और चम्मचों का उपयोग करने के बाद फेंक देता है। और धरती कबाड़ख़ाने के रूप में तब्दील हो जाती है। जो वस्तुओं का उपयोग दुबारा किया जा सकता है, उनको फेंकने की बजाए उनका पुनः उपयोग करें। और समागमों में फेंकने वाले बर्तनों की जगह स्टील के बर्तनों का उपयोग करें। खराब वस्तुओं को ना फेंक कर उसे मरम्मत करवाएं। मानव द्वारा केवल कूड़े-करकट की वजह से हमारी भूमि प्रदूषित नहीं हो रही, बल्कि खेती-बाड़ी में कीटनाशक और रासायनिक खादों का अधिक मात्रा में उपयोग किया जा रहा है। यह कीटनाशक और रासायनिक खादें पानी और भूमि दोनों को प्रदूषित कर रही हैं। और भूमि में उगाए गए अनाज जैसे गेहूं, चावल, सरसों और फल और सब्जियों पर इसका प्रभाव पड़ रहा है। जिसके फलस्वरूप अनाज, फल और सब्जियों को खाने से बहुत से रोग लग जाते हैं। हमें रासायनिक खादों की बजाए देसी खादों का उपयोग करना चाहिए, जिनसे भूमि प्रदूषित नहीं होती और फल और सब्जियां भी संतुलित होती हैं।
ध्वनि प्रदूषण = उपकरणों से आने वाली बहुत तेज आवाजें जो मानव के कानों में बहुत जोर से गूंजती हैं और यह आवाजें मानव को कई बीमारियों का रोगी बना देती हैं। जैसे खून का दबाव, कानों की बीमारियां, तनाव, निद्रा और सिरदर्द का कारण बनती हैं। इसे ध्वनि प्रदूषण या फिर शोर प्रदूषण कहते हैं। मोटरसाइकिल, गाड़ियों, ट्रैक्टरों और बसों के हार्न से आने वाली तेज आवाजें शोर प्रदूषण का कारण बनती हैं। इतना ही नहीं, शादियां, पार्टी और अन्य समागमों में ऊंची आवाज में चलने वाले डीजे की वजह से शोर प्रदूषण फैलता है। इसके अलावा कारखानों में आने वाली आवाजें सभी शोर प्रदूषण या ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती हैं। मानव द्वारा क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) का उपयोग रेफ्रिजरेटर और आग बुझाने वाले यंत्रों में किया जाता है। 1987 में संयुक्त राष्ट्र वातावरण द्वारा क्लोरोफ्लोरो (CFC) के उत्पादन को सीमित रखने का मत पास किया गया था। अब यह लाज़मी हो गया है कि कंपनियां क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) रहित रेफ्रिजरेटर बनाएं।
हमारी जीवन शैली में तो सुधार आ गया है। लेकिन हमारे जीवन शैली के सुधार के साथ हमारी ओर से पैदा किया कूड़ा-करकट की मात्रा बढ़ गई है। हमारी ओर से फेंकने वाली वस्तुओं का उपयोग ज्यादा किया जाता है। अविघटनशील वस्तुओं की रिहंद-खुद में बहुत ज्यादा बाधा हुआ है। मानव द्वारा अपनाई जा रही इन क्रियाओं और उपकरणों द्वारा वातावरण के ऊपर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।