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अमिर्ता देवी बिश्नोई

27 मई 2023

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राजस्थान में वनस्पति की बहुत कमी है। और वनस्पति कम होने के कारण राजस्थान के लोग पेड़ों की बहुत कद्र करते हैं और पेड़ों की पूजा करते हैं। राजस्थान में रहने वाले लोग खेजड़ी के पेड़ को ज्यादा पूजते हैं, क्योंकि खेजड़ी का पेड़ वनस्पति की कमी के कारण उनके लिए जीवन का आधार बना हुआ है। यहां के लोग खेजड़ी के पेड़ से अपनी थोड़ी जरूरतों को पूरा करते हैं, जैसे कि वे इस पेड़ की पत्तियों का उपयोग अपने पशुओं के चारे के लिए और कुछ ऐसी ही छोटी जरूरतों के लिए करते हैं।

खेजड़ी के पेड़ की रक्षा करना और इसकी पूजा करना बिश्नोई भाईचारे के धर्म से जुड़ा हुआ है, क्योंकि आज से कई साल पहले राजस्थान के मारवाड़ी इलाके के एक छोटे से गांव में एक औरत द्वारा इस पेड़ को काटे जाने पर विरोध किया गया था, जिसका नाम अमृता देवी बिश्नोई था। दरअसल बात यह थी कि जोधपुर के राजा अभ्यै सिंह को अपने नए महल के लिए लकड़ियों की जरूरत थी, तो राजा ने अपने सैनिकों को खेजड़ी के पेड़ की कटाई के लिए भेजा। जब सैनिक पेड़ काटने लगे, तो अमृता उस पेड़ से लिपट गई और उसकी तीन बेटियां भी पेड़ से लिपट गईं। उन्होंने भी अपनी मां का सहयोग दिया। सैनिकों ने उन्हें पेड़ से दूर होने को कहा, लेकिन वे पेड़ से लिपटी ही रहीं। सैनिकों ने उनका सिर धड़ से अलग कर दिया। इसके बाद बिश्नोई भाईचारे ने सैनिकों का विरोध किया, और पेड़ों की सुरक्षा के लिए यह विरोध काफी हिंसकता से भर गया। राजा के सैनिकों ने बिश्नोई भाईचारे के 363 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इस हिंसक विरोध को देखते हुए राजा ने खेजड़ी के पेड़ों को काटने का फैसला वापस ले लिया और इस पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी। और उसके बाद मारवाड़ी इलाके को जानवरों और पेड़ों के लिए सुरक्षित घोषित कर दिया। आज भी बिश्नोई भाईचारा पेड़ और जानवरों की रक्षा करने में सक्षम है। 1787 ई. के इस संघर्ष के बाद लोग वातावरण के प्रति जागरूक हो गए हैं।

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रचनाएँ
मानव द्वारा प्रकृति का विनाश
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मानव जीवन में जंगल बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जंगल मानव की बहुत सी जरूरतों को पूरा करते हैं। जंगल बहुत सी लकड़ियां प्रदान करते हैं, जो हमारे अलग-अलग कामों के लिए उपयोग की जाती हैं। जैसे कि भोजन पकाने के लिए, फर्नीचर बनाने के लिए, कुर्सी-टेबल बनाने के लिए और कागज बनाने के लिए, और इसके सिवाय और भी अन्य उद्योगों के लिए उपयोग की जाती हैं। जंगल बरखा लाने में सहायक होते हैं, जिससे हवा का तापमान ठंडा रहता है। जंगल हमारे वातावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाने में मददगार साबित होते हैं। जंगल बहुत बड़ी मात्रा में हवा में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और हवा में ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जो मानव और जानवरों को जीवित रखने में सहायक होती है। इसके बिना मानव और जानवरों का जीवन असंभव है। लेकिन यह सब जानते हुए भी मानव जंगलों की अंधाधुंध कटाई करता जा रहा है। तेजी से कम हो रहे जंगलों ने देश के जंगली जीवन पर बहुत बुरा असर डाला है। कई जंगली जीवों की प्रजातियों की गिनती बहुत कम हो गई है। कई प्रजातियां तो लुप्त हो चुकी हैं। यह बहुत ही गंभीर समस्या है, जो कुदरती वातावरण के संतुलन के लिए बहुत बुरी है। यह सिर्फ मानव के द्वारा लगातार पेड़ काटने की वजह से ही हुआ है। मानव के द्वारा कुदरत में बहुत ज्यादा दखलअंदाजी दी जाती है। अगर मानव अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पेड़ काटता है, तो उसे उसके बदले और पेड़ लगाने चाहिए। कुदरती वनस्पति मानव के लिए किसी अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित होती है। वनस्पति रकबा बढ़ाने और कुदरती वनस्पति को बचाने की सख्त ज़रूरत है। अधिक से अधिक पेड़ लगाने की और उनकी देखभाल करने की प्रेरणा दी जानी चाहिए। जंगल की खेती या फिर सामाजिक जंगलात उत्पादन को अपनाना चाहिए। नदियों, नहरों, दरियावों, सड़कों और रेल मार्गों के पास खाली जमीन पर दरख़्त लगाने चाहिए। अधिक से अधिक पेड़ लगाकर ही हम अपनी लकड़ी की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं और अपने वातावरण को साफ-सुथरा और शुद्ध रख सकते हैं।
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