कुदरत ने भारत को बहुत सारी छोटी बड़ी नदियां उपहार के तोर पर बख्शी है। जैसे कि गंगा नदी, महानदी , सुवर्णरेखा नदी, गोदावरी नदी, कृष्ण नदी, कावेरी नदी, नर्मदा नदी , साबरमती नदी , लूनी नदी और माहीं नदी आदि बहुत सारी नदियां भारत में बहती है। इनका जल पवित्र होता है। यह नदीयां भारत की शान का प्रतीक बनीं हुई है।
पानी महत्वपूर्ण और अहम कुदरती सोमा है जिससे हमारा जीवन जूड़ा हुआ है। पानी के बिना मानव का ही नहीं बल्कि जानवरों और पेड़ -पौधों का भी जीवन असंभव है। या फिर कह सकते है कि पानी के बिना धरती पर जीवन बिल्कुल खत्म है। मानव अपनी बहुत सारी जरूरतों को पूरा करने के लिए पानी पर निर्भर करता है।जली जीवों का जीवन भी पानी पर निर्भर करता है।
लेकिन फिर भी मानव द्वारा इन नदियों के साफ पानी को प्रदुषित किया गया है , और किया जा रहा है। मानव द्वारा अलग अलग विधियों द्वारा नदियों पानी को प्रदुषित किया जा रहा है। भारत की बहुत सारी नदियों के पानी को मानव द्वारा किए प्रदूषण के कारण इन नदियों के पानी को उपयोग करने के लायक नहीं छोड़ा।
मानव द्वारा नदियों के साफ पानी में सीवरेज, कीटनाशक, उली नाशक, नदीन नाशक आदि का उपयोग खेतीबाड़ी में अधिक मात्रा में उपयोग करने के कारण बारिश के पानी के साथ बह जाता है और नदियों में जाकर मिल जाता है। यह सभी जहरीले पदार्थ नदियों के पानी को ज़हरीले पानी में बदल देते हैं। इसके अलावा मानव द्वारा फैंके गया कूड़ा - कचरा पानी में प्रवाहित हो जाता है। कपड़े धोने, मुर्दा व्यक्ति की राख बहाना, लाश का पानी बहाने के कारण नदियों का पानी प्रदुषित हो गया जिसके कारण मानव को बहुत सारी बिमारियां का रोगी बना देती है। और इन नदियों में रहने वाले जली जीव भी मर रहे हैं। मानव की वजह से उनका जीवन भी खतरे में है। पवित्र नदियां अब प्रदुषित और जहरीली नदियों में तब्दील हो गई है।
नदियों के प्रदुषण को रोकने के लिए सरकार के द्वारा बहुत सारे कदम उठाए गए हैं। 1986 ई में सरकार द्वारा गंगा एक्शन प्लान बनाया गया था। जिसके तहत 2009 में सरकार द्वारा नैशनल गंगा बेसिन अथोरिटी का निर्माण किया गया था। इसके तहत 2015 को केंद्र सरकार द्वारा गंगा की सफाई करने के लिए अहम कदम उठाए गए। इसमें सिर्फ गंगा की सफाई ही नहीं बल्कि इस योजना में सतलुज दरिया को भी शामिल किया गया।
यह मामला सिर्फ सरकार नहीं है कि हम नदियों को प्रदुषित करेंगे और सरकारें नदियों को साफ करवाती रहेंगी। यह हमारा भी फर्ज बनता है कि हम कड़े कचरें को पानी में ना फेंके, खेतीबाड़ी में कीट नाशकों का उपयोग कम से कम करें। और नदियों के पानी को साफ सुथरा रखने की सौगंध खाएं। अगर नदियों का पानी साफ और स्वच्छ रहेगा तो हमारा जीवन भी स्वच्छ रहेगा और रोगों को भी हमसे दूर भगाएं। जली जीवों का जीवन भी खतरे से बचाएं। क्योंकि जल ही जीवन है कल ही हमारा कल है।