धन-दौलत असीम,घर है शानदार।
ना अहसास गर्मी का, ना अहसास सर्दी का।
बरसात की बूंद भी ना होती आरपार।
फिर भी तुम परेशान हो,तुम बैचेन क्यों हो।
बेटे और पोतों से घिरे रहते हो दिनभर।
खाते हो मर्जी से पीते हो मर्जी से ।
ना काम करने की चिंता,ना कहीं जाने की फिकर।
ना खून निकला तन से ना ही पसीना,फिर भी लहुलुहान क्यों हो।
तुम बैचेन क्यों हो------------??
रिश्ते भी बड़े बड़े घरों में,मिलती है इज्जत असीम।
ना एक पदम पैर से चलते,ना थकना नसीब।
यश भी बहुत, प्रतिष्ठा भी बहुत,जानती है दुनिया असीम।
फिर भी हैरान क्यों हो,तुम परेशान क्यों हो?
तुम बैचेन क्यों हो------------??
मखमल के गद्दे है सोने के लिए,सोने के लोटे है पीने के लिए।
स्वर्ग सा माहौल है रहने के लिए।
नौकर है दस-बीस संभालने के लिए।
फिर भी तुम भटके हुए हो,दिल में ना चैन क्यों है।
तुम बैचेन क्यों हो------------??