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परदेस में दिन

23 जून 2022

11 बार देखा गया 11

"कोस-कोस पर बदले पानी
चार कोस पर बदले पानी "

घर की मिट्टी में खेले हम,
परदेस के दिन अब देख रहे।
अब तक जीते थे अपनों के संग,
अब दुनिया परायी देख रहे।

जो अपनापन मिलता अपनों के संग,
परदेस कहां मिल पायेगा।
जो प्रेम बंधुत्व पाया हमने,
उसका अहसास कहां मिल पायेगा।

भारत की मिट्टी से प्यार हमें,
हर देश दूर तक मिलता है।
पर दुनिया के झूठे चरित्र देख,
हमको सदा डर लगता है।

परदेस में बन जाते कुछ अपने,
वह बात नहीं जो अपनों में।
जो सच मिलता देखने को,
वह बात नहीं यहां सपनों में।

जिस मिट्टी में जन्म लिया,
उस मिट्टी की महक नहीं मिल पाती।
अपनी जन्मभूमि की यादें,
परदेस सदा हमें सताती।

जिस उपवन में हमने देखा,
खिलते फूलों की वादियों को।
उस महक के हम गुलाम सदा,
नहीं भूलेंगे उन सदियों को।

जहां दर्द के सदा सहभागी थे,
यहां हम अकेलेपन में जीते।
पेट की खातिर हम अपनों से,
परदेस में रहकर जीवन जीते।

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रचनाएँ
दैनिक कविता
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इस किताब के माध्यम से दैनिक जीवन में होने वाली दिन-प्रतिदिन की घटनाओं और मानव के संस्कारों एवं समाज में होने वाले परिवर्तन को एक कविता के माध्यम से उकेरा जायेगा। जिसमें सभी प्रकार की कविताएं संग्रहित रहेगी।
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प्रेम और सद्भावना

18 मार्च 2022
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होली के रंगों में ही क्यों, प्रेम और सद् भाव होते।रहे हमेशा जीवन में,उसके रंग कितने गहरे होते।द्वेष और घृणा को भुलाने, क्यों त्यौहार ही अपनाते हो।रहे त्यौहार सम हर पल जीवन,क्यों इसको तुम भुलाते हो।ऐसा

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तुम बैचेन क्यों हो

19 मार्च 2022
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धन-दौलत असीम,घर है शानदार। ना अहसास गर्मी का, ना अहसास सर्दी का। बरसात की बूंद भी ना होती आरपार। फिर भी तुम परेशान हो,तुम बैचेन क्यों हो। बेटे और पोतों से घिरे रहते हो दिनभर। खाते हो मर्जी से पीते हो

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मेरा कल कैसा होगा

20 मार्च 2022
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वर्तमान में जीना सीखो,कल क्या होगा पता नहीं।आज हमारे पास है जो कुछ,आज है कल का पता नहीं।जीवन में जो करना है ,वह वर्तमान में कर जाओ।कल की श्वास मिले या ना मिले,यह किसी को पता नहीं।जीवन में खुशियां बहुत

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मुरझाये फूलों को सहारा चाहिए

20 मार्च 2022
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फूल मुरझाये है एक सहारा चाहिए।बाग के माली की निगरानी चाहिए।भंवरे बहुत है खिलते फूलों पर मंडराने के लिए।तोड़ने वाले हैं बहुत माला बनाने और चढ़ाने के लिए।लेकिन कोई नहीं मुरझाते पेड़ों पर जल पिलाने के लि

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मन के गीत मेरे शब्दों में

20 मार्च 2022
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मन के गीत मेरे शब्दों में,कलम लिखे कुछ शब्द मेरे।कुछ शब्द है निर्धन दुखी जन के, कुछ अमीरों को घेरे।कुछ समय का मोल बताये, कुछ जीवन की राह लिख देते।कुछ लिखते बदलते चेहरों को, कुछ भले जनों को समर्पित होत

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नमन शहीदों को

23 मार्च 2022
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आंखें अश्रु भर लाती है,जब याद तुम्हारी आती है। सीना छलनी कर जाती है,जब खबर तुम्हारी आती है। तुम झुके नहीं उनकी ताकत पर ,उनकी ताकत को झुका दिया। तुम रूके नहीं किसी कीमत पर, तुफानों को हरा दिया। तुमने भ

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सपने

28 मार्च 2022
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सपनों को हम दिल में सजाकर, नया भविष्य बनायेंगे। जीवन में हम लाये रोशनी, जीवन नया सजायेंगें। भूतकाल को छोड़ गये हम, वर्तमान में जीते हैं। भविष्य के सपने होते हैं, वहीं राह हम चुनते हैं। सपनों को सच क

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भोर

28 मार्च 2022
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धीरे-धीरे स्वर्ण पट पहने,आज धरा पर उतर रही।सज-धज कर एक सुन्दर नारी,घर से बाहर निकल रही।खग तरू बैठ संगीत सुनायें,अभिनन्दन करते उस अबला का।सरिता कल-कल बह रही है,पीत रंग हुआ सारे जल का।मंदी-मंदी पवन चले,

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शिक्षा की हम अलख जगाये

29 मार्च 2022
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शिक्षा की मैं अलख जगाऊं,जन जीवन में खुशियां लाऊं।व्यवसाय चलाऊं शिक्षा का,देश प्रगति में हाथ बढाऊं।सबको शिक्षा मिलें देश में ,हर जन उन्नति के पथ चले।बनें सहारा पर जन का, जीवन में हर पल खुशियां मिले।शिक

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जीवन का अंत

2 अप्रैल 2022
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जीवन का अंत बुरा होगा,तेरे कर्मो का फल होगा।मानव को मानव ना समझा,उसका उत्तर देना होगा।तूने सारा जन्म गंवाया है,धन-दौलत खूब कमाने में।क्या काम तेरे यह आते,अब नही समय पछताने का।अभिमान में अंधे होकर तूने

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हम और तुम

11 अप्रैल 2022
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मधु से लिपटी हुई एक मुस्कान, जो शर्मिंदा कर रही सुमन को। रस बह रहा है सुंदरता का, सितम ढा रहा है तन बदन को। वो कोई नही, सिर्फ हम और तुम। नशीले नयन नशा से मदहोश कर रहें, तेरे ये जलवे हमें बेहोश कर रहे।

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नव वर्ष

18 अप्रैल 2022
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नया साल मुबारक होखट्टी-मीठी यादों के पल, आज अलविदा कह गये।कहीं खुशियां मिली किसी को,कहीं गम किसी को दे गये।भूल जाओ सब अब वो यादें,जो यादें बनकर रह गई।अभिनन्दन करें नूतन पल का,अब नई सबेरे आ गई।मान

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लोकतंत्र में भागीदारी

28 अप्रैल 2022
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भागीदारी लोकतंत्र में,मिलकर सभी निभाये हम।जनता का,जनता को शासन,जनता बन इसे चलाये हम।लोकतंत्र है मत की ताकत,करते हैं हम निर्वाचन।सही चुने हम अपना नेता, एक प्रण ले हम सब जन।खतरे में है लोकतंत्र,सिसक सिस

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समय ने करवट बदली

29 अप्रैल 2022
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"द्वेष ईर्ष्या भरी पड़ी है,इस दुनिया के मैले में। बिकती है सस्ती बहुत,मिल जाती है धैले में। लम्बी लाइन लगी है यहां पर, जो खत्म कभी ना हो

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रूपरानी

2 मई 2022
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अंधेरी रात में चांदनी सी चमक रही,तेरे मुखमंडल की छवि।किसने गढ़ी मोहिनी ये सूरत,जो लज्जित करती है रवि।।नैन नशीले मदिरा से ज्यादा ,मदहोश कर रहें हैं हमें।एक झलक तेरी मिलें,धन-दौलत फीकी लगे हमें।।होंठ है

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लंगड़ी हो गई कविताएं

3 मई 2022
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कवियों के महासागर में खो गई है कविताएं।इंतजार कर रही अपने पाठकों का कविताएं।पद से अपंग हो गई कविताओं की भीड़ में।टेढापन आ गया है कविताओं की रीढ़ में।कुछ कमजोर हो लोगों के लिए समस्या करती।कुछ प्रोत्साह

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गड़बड़ घोटाला

5 मई 2022
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चारों तरफ गढबढ घोटाला, हाहाकार मचा भारी।जनता के हर रक्षक को,लगी एक अनोखी बीमारी।।जेब बना ली थैले जैसी,सांझ तक भरने की जिम्मेदारी।अमीर, गरीब का भेद नहीं,दान-दक्षिणा दर चढ़े भारी।।खेल हो रहे यहां घिनौने

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दुनिया के है रंग निराले

7 मई 2022
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सुप्रभात दोस्तोंमोहित करती यह दुनिया मुझे, प्रकृति के गजब नजारे है।कहीं गिरि कहीं नदियां बहती,कहीं उपवन महकें बहु सारे है।इस दुनिया की अद्भुत कृति,मानव का रुप निराला है।पंचतत्व का आश्चर्य स

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तेरी आंखें

8 मई 2022
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तेरी आंखें मेरे लिए वरदान है।तेरी आंखें बड़ी बेईमान है।कर देती है मुझे घायल इस दुनिया में।अभी मेरी है नजरों से अनजान हैं।कभी होंठों पर मुस्कान दिलाती है ।कभी रूठती है कभी मनाती हैं।प्रेम की शुरुआत है

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कर्तव्य मेरे कुछ जीवन में

10 मई 2022
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मुझे भविष्य का पता नही, जीवन की डगर पर क्या होगा।मैं कर्तव्य पर अडिग हूं,हर पल हर दिन हर सप्ताह का लक्ष्य होगा।।जिसके लिए जो जिम्मेदारी ,उसे बखूबी निभाऊं मैं।अपनी जीवन यात्रा पर ,कर्तव्य पथ पर चल

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विनाशकारी

13 जून 2022
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विनाशकारी बीज बो रहा मानव इस दुनिया में। प्रकृति से छेड़छाड़ कर जीवन को रहा दुनिया में। प्रकृति का रूप भयंकर सह नहीं पायेगा मानव। प्रकृति का प्रेमी था तू अब क्यों बन रहा दानव। बढ़ रही आपदा दुनिया में

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अपनापन

19 जून 2022
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अपनापन जीवन में मनुज कोमनुष्य का महत्व समझाता है।रिश्ते खून और प्रेम के अहम हैअपनापन सिखलाता है।अपनापन अंतर्मन का प्रेम हैजीवन को सुंदर सुखी बनाएं।मानवता के बीज बोकर जीवन मेंमानव की कीमत बतलाएं।अपनेपन

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हमसाया

19 जून 2022
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हां तुम मेरी जिंदगी की सांस होतेरे प्रेम में गोते लगा रहा।लगा है रोग इस दिल को ऐसापल-पल बिछड़ने का डर सता रहा।छोड़ देगी मेरी सांसें यह किराये का मकान।बेबफाई होगी या धोखा होगा जिंदगीइस दुनिया में

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छुट्टियों के दिन

19 जून 2022
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खिल उठता है अंतर्मन रह बच्चे काछुट्टियों के दिन जब आते हैं।उछलते हैं यहां से वहांमन के सारे बोझ हर जाते हैं।घूमने के मौके मिलते हैंस्वतंत्रता के दिन चलते हैंना जल्दी उठना ना जल्दी सोनाबच्चे मर्जी के म

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परदेस में दिन

23 जून 2022
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"कोस-कोस पर बदले पानी चार कोस पर बदले पानी " घर की मिट्टी में खेले हम, परदेस के दिन अब देख रहे। अब तक जीते थे अपनों के संग, अब दुनिया परायी देख रहे। जो अपनापन मिलता अपनों के संग, परदेस कहां मिल पायेगा

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आखिरी मुलाकात

12 जुलाई 2022
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आखिरी मुलाकात जिंदगी की हो या प्यार की। बिछड़ना होता है दोनों में ही,यह हकीकत है संसार की। यह दर्द असहनीय होता है,किसी की जिंदगी में। तोड देता है हर उम्मीद और साहस जिंदगी में। हिम्मत धारण करो इसे भुला

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मेरे सपनों का भारत

25 जुलाई 2022
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मेरे सपनों का भारत इतना महान होगा।जहां हर जन की जाति मनुष्य मानवता धर्म होगा।जहां प्रेम,दया,करूणा अपनापन सदैव होगा।मानव के जीवन की होगी कीमत हर जन का सम्मान होगा।मेरे देश के ध्वज के सामने हम नतमस्तक ह

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