आंखें अश्रु भर लाती है,जब याद तुम्हारी आती है।
सीना छलनी कर जाती है,जब खबर तुम्हारी आती है।
तुम झुके नहीं उनकी ताकत पर ,उनकी ताकत को झुका दिया।
तुम रूके नहीं किसी कीमत पर, तुफानों को हरा दिया।
तुमने भूखे-प्यासे रहकर भी,रक्षा वतन की करते रहे।
हम सोए घरों में सुख निद्रा, तुम सर्दी, गर्मी सहते रहे।
धन्य है तुम्हारे साहस को, सह गई तुम्हारी छाती है।
जननी तुम्हारी धन्य सदा,पिता तुम्हारे पूजनीय है।
जो गर्व से तुमको विदा किये, उनका साहस भी कथनीय है।
पीड़ा छाती में झेल गये,देश पे जान लुटाने पर।
माता तुम्हारी गर्व करे,दूध का मान बढ़ाने पर।
आंखों में अश्रु आते हैं,पर दुनिया को नहीं दिखाती है।
पिता तुम्हारे कहते हैं,मेरे शेर ने सिर मेरा ऊंचा किया।
मेरे लालन-पालन का हिसाब,दुश्मन को हराकर चुका दिया।
वह मरा नहीं मैं थका नहीं,उसकी इस अमर कहानी पर।
मुझे आज भी नाज होता ,तु सबकी वीर जुबानी पर।
मुझे सर जन्म मिल जाना सुत,तेरी याद सदा मुझे आती है।
मांग सिंदूर मिटाऊं क्यों,मेरा पिया अमर वह मरा नहीं।
मेरे दिल में जिंदा है जन्म-जन्म,जो शत्रु से कभी डरा नहीं।
दुश्मन की छाती पर चढकर,उसने धूल चटाई सीमा पर।
मेरी गर्व से छाती फूल गई, मुझे नाज है उसकी गरिमा पर।
निगाह चुरा आंसू पोंछे,उसे प्यार की याद सताती है।
मेरी राखी का बंधन टूटा नहीं,बंधन अब मजबूत हुआ।
मेरा भाई मेरा आदर्श है,जो देश की खातिर चुका दिया।
मैं भाई की प्यारी बहिना थी,बचपन खेला एक आंगन में।
चांद-भानु सी जोड़ी थी,अब भी रहता मेरे सीने में।
मैं वंदन करती भाई को,कहती-कहती थक जाती है।
मेरे पापा की मैं छाया हूं,अधूरे काम पूरे कर जाऊंगा।
सीमा पर जाकर फौजी बन, दुश्मन से बदला ले आऊंगा।
क्या समझ रहा दुश्मन हमको,हम भारत मां के बच्चे हैं।
धोखे ना सहे तुम्हारे हम,हम विश्वासों के पक्के हैं।
पापा मेरी एक ताकत है,सीमा पर मुझे दिखानी है।