प्रसिद्ध उपन्यास का मूल अर्थ है,निकट रखी गई वस्तु किंतु आधुनिक युग में इसका प्रयोग साहित्य के एक विशेष रूप के लिए होता है। जिसमें एक दीर्घ कथा का वर्णन गद्य में कहा जाता है। एक लेखक महोदय का विचार है, कि जीवन को बहुत निकट से प्रस्तुत कर दिया जाता है। अतः इसका यह नाम सर्वथा उचित है, किंतु वे भूल गए हैं। कि साहित्य के कुछ अन्य अंगों जैसे कहानी, नाटक, एकांकी आदि में भी जीवन को उपन्यास के भांति बहुत समीप उपस्थित कर दिया जाता है। प्राचीन काव्य शास्त्र में इस शब्द का प्रयोग नाटक की प्रति मुख्य संधि के एक उपभेद के रूप में किया गया है। जिसका अर्थ होता है किसी अर्थ को युक्तिपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करने वाला तथा प्रसन्नता प्रदान करने वाला साहित्य के अन्य अंगों में भी लागू होती है। आधुनिक युग में उपन्यास प्रयुक्त होता है। जिसका अर्थ है,एक दीर्घ कथात्मक गद्य रचना है। कथावस्तु , पात्र या चरित्र-चित्रण, कथोपकथन, देशकाल, शैली, उपदेश। इन तत्वों के अतिरिक्त एक और महत्वपूर्ण तत्व भाव या है। कि साहित्य का सबसे महत्वपूर्ण तत्व भाव माना गया है। तथा साहित्य और दर्शन साहित्य और विज्ञान को पृथक करने वाला तत्व भाव ही है। साहित्य का कोई भी अंग यह कोई भी रुप कविता, नाटक, उपन्यास इस भाव तत्व के बिना शुन्य रह जाता है। और वह साहित्य के श्रेणी में नहीं आ सकता। उपन्यास की कथावस्तु में प्रमुख कथानक के साथ-साथ कुछ प्रसंगिक कथाऐ भी चल सकती है।