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यादव परिवार में पैदा हुए उर्मिलेश एक भारतीय पत्रकार, टेलीविजन एंकर और लेखक हैं। वह 2010 से 2012 तक राज्यसभा टीवी के कार्यकारी निदेशक थे, और उन्होंने हिंदुस्तान और नवभारत टाइम्स जैसे विभिन्न हिंदी प्रकाशनों में काम किया है। उन्होंने राज्यसभा टीवी पर मीडिया मंथन की एंकरिंग भी की, जो सप्ताह के समाचारों और मीडिया में इसके कवरेज के बारे में एक मीडिया-वॉच कार्यक्रम है। वह वर्तमान में (जुलाई 2020 तक) newsclick.in पर 'रीडर्स एडिटर' हैं। उर्मिलेश ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमए पूरा किया और 1981 में जेएनयू से एम.फिल किया। उन्होंने क्रिस्टियानिया मेरी जान, कश्मीर-विरासत और सियासत (2006), झारखंड जादूई जमीन का अंधेरा, बिहार का सच, राहुल सांकृत्यायन सृजन और संघर्ष, झेलम किनारे दहकाते चिनार जैसी हिंदी किताबें लिखी हैं।

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मेम का गाँव गोडसे की गली

मेम का गाँव गोडसे की गली

उर्मिलेश उन थोड़े से पत्रकारों में है, जिन्होंने हिन्दी पत्रकारिता का सम्मान इस कठिन और चुनौतीपूर्ण समय में बचाकर रखा है। वह पत्रकार होने के साथ निःसंदेह एक अच्छे गद्यकार- संस्मरणकार भी हैं। यह पुस्तक खोजी-पत्रकारिता का एक अलग तरह का उदाहरण है। उर्मिल

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मेम का गाँव गोडसे की गली

मेम का गाँव गोडसे की गली

उर्मिलेश उन थोड़े से पत्रकारों में है, जिन्होंने हिन्दी पत्रकारिता का सम्मान इस कठिन और चुनौतीपूर्ण समय में बचाकर रखा है। वह पत्रकार होने के साथ निःसंदेह एक अच्छे गद्यकार- संस्मरणकार भी हैं। यह पुस्तक खोजी-पत्रकारिता का एक अलग तरह का उदाहरण है। उर्मिल

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ग़ाज़ीपुर में क्रिस्टोफ़र कॉडवेल

ग़ाज़ीपुर में क्रिस्टोफ़र कॉडवेल

'संस्मरणों के बहाने हिंदी के प्रभुत्वशाली समाज से हाशिये की पृष्ठभूमि से आए एक पत्रकार -बौद्धिक की विचारोत्तेजक बहस' - वीरेन्द्र यादव "देश के वरिष्ठ पत्रकार और प्रतिबद्ध लेखक-विचारक उर्मिलेश के संस्मरणों की किताब ‘ ग़ाज़ीपुर में क्रिस्टोफ़र कॉडवेल

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ग़ाज़ीपुर में क्रिस्टोफ़र कॉडवेल

ग़ाज़ीपुर में क्रिस्टोफ़र कॉडवेल

'संस्मरणों के बहाने हिंदी के प्रभुत्वशाली समाज से हाशिये की पृष्ठभूमि से आए एक पत्रकार -बौद्धिक की विचारोत्तेजक बहस' - वीरेन्द्र यादव "देश के वरिष्ठ पत्रकार और प्रतिबद्ध लेखक-विचारक उर्मिलेश के संस्मरणों की किताब ‘ ग़ाज़ीपुर में क्रिस्टोफ़र कॉडवेल

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