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ग़ाज़ीपुर में क्रिस्टोफ़र कॉडवेल

उर्मिलेश

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13 जुलाई 2022 को पूर्ण की गई
ISBN : 9788194900245

'संस्मरणों के बहाने हिंदी के प्रभुत्वशाली समाज से हाशिये की पृष्ठभूमि से आए एक पत्रकार -बौद्धिक की विचारोत्तेजक बहस' - वीरेन्द्र यादव "देश के वरिष्ठ पत्रकार और प्रतिबद्ध लेखक-विचारक उर्मिलेश के संस्मरणों की किताब ‘ ग़ाज़ीपुर में क्रिस्टोफ़र कॉडवेल’ हिंदी संस्मरण विधा को सामाजिक, राजनीतिक व अकादमिक हलचलों के और ज्यादा करीब ले कर जायेगी। आम तौर पर हिंदी में संस्मरण विधा साहित्यिक बहसों और साहित्यिक व्यक्तियों के इर्द-गिर्द ही सीमित रही है, और ऐसा होना स्वभाविक भी है क्योंकि साहित्यिक जनों का अनुभव संसार का जो फैलाव है स्मृतियाँ वहीं से कलमबद्ध होती हैं। उर्मिलेश जी एक समादृत पत्रकार, विचारक और समता और सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्ध बुद्धिजीवी के बतौर जाने जाते हैं। उनका अनुभव संसार बहुत व्यापक और जीवन यात्रा रोमांचकारी है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक धूल धूसरित पिछड़े जनपद ग़ाज़ीपुर में एक छोटे किसान के घर में जन्म से लेकर इलाहाबाद विवि होते हुए जेएनयू , वहाँ पर शिक्षण, शोध और छात्र सक्रियता के दौरान अच्छे-बुरे अनुभवों से गुजरते हुए पत्रकारिता की शुरुआत और पत्रकारिता के दौरान सामाजिक-राजनीतिक साहित्यिक घटनाओं और व्यक्तियों के गहन प्रेक्षण के बीच से निकली हुई स्मृतियों को उन्होंने इस किताब में संकलित किया है। इसमे गाजीपुर से लेकर कश्मीर तक का भौगोलिक विस्तार है। साथ ही गोरख पांडे, तुलसीराम, राजेंद्र यादव, डी प्रेमपति, महाश्वेता देवी, एम जे अकबर, नामवर सिंह और कश्मीर के मशहूर पत्रकार शुजात बुखारी जैसी शख्सियतें जिनके साथ उनके सकरात्मक और नकारात्मक अनुभव रहे हैं, ये सभी उनकी यादों के गलियारे में मौजूद हैं।" - डॉ. रामायन राम 

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