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Rachna shukla के बारे में

Housewife, social worker

पुरस्कार और सम्मान

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-06-27

Rachna shukla की पुस्तकें

Rachna shukla के लेख

बेटी

11 अगस्त 2022
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आंखो मे आंसू आंचल मे खोइचा के चावल मां बाबा भाई बहन सखियो को रोता छोड़ अपने संघ संस्कारो की गठरी ले बिदा होती बेटीकिसी अनजाने के संघ अपने घर को बिदा होती फिर से नये जन्मी सी अलग द

राखी

10 अगस्त 2022
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परदेश बसी हूं ,भाई राखी है सूनी अगर साथ होते खुशी होती दूनी।मै मंगल मनाऊ दुआ करती इतनी,है घायल हृदय दर्द उठता है खूनी ।हमे याद बहुत आती तुम्हारी है भाई,धधकती है ज्वाला पर सती न बन पायी ।है पती के

शिक्षा

30 जून 2022
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माता पिता से करू निवेदन बेटी खूब पढाओ तुम।सम्मान से जीने के लियेआत्मबिस्वास जगाओ तुम ।पढना लिखना बहुत जरूरी ये बात बतलाओ तुम ।पढ लिख कर नाम करेगी फिर जग मे इतराओ तुम ।प्रतिभा उन मेभरी प

जीवन

30 जून 2022
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पचास के पार हो कर सोचती हूं इस उमर तक काम बहुत किया।कही नौकरी नही किया हां अपने परिवार के लिए जिया ।खट्टे, मीठे अनुभवो के साथ पूरे आनन्द और उमंग के साथ।बिना किसी की परवाह कियेअपनी जिम्म

सोलह श्रृंगार

27 जून 2022
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आज तीज के पावन पर्व पर कर रही मै श्रृगार सखी मै रूचि _रूचि करू श्रंगार ।कज़र, गजरा,टीका, बिन्दिया लाला सिन्दूर भरू मांगसखी मै लाल सिन्दूर भरू मांग सखी मै रूचि रूचि करूश्रृंगार ।कुण

खुशी

27 जून 2022
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सब को खुश करके खुद की खुशी ढूढ़ती थी ।सब का ख्याल रखती थी खुद को नही संभाली थी।सब को सयम देती परखुद को समय न दे पाती थी ।मन मे पीड़ा होती थी चेहरे पर शिकन न लाई थी ।उम्र बढी तन ढलता सा&

शुकराना

24 जून 2022
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सुप्रभात शुकराना करना ईईष्ट देव अपनो को कहना।चेहरे परर मुस्कान खिली होवाणी रस से पगी हुई हो ।संदेह कभभी मत करना खुद पर खुद की काबिलियत और हुनर पर ।सुबह सुबह शुकराना सुन कर स

मेरे सपने

24 जून 2022
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मै मां पापा की लाडली अन्नंत सपनो से अआंखे भरी ।चाह पंखो को फैला कर उड़ने कीआसमान के ऊचाईयो को छूने की ।बडी हो रही थी सपनो को लिए तभी परिस्थियो और संस्कारो ने पर बांध दिए ।पत्नी ,बहु,मां बन न

मैका

24 जून 2022
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कभी बुलाने पर कभी बिन बुलायेबेटियां अधिकार के साथ मां पापा के घर पहुच जाती है सभी चिंताओ सेमुक्त देर तक सोती हैमनुहार कराती है मां से बचपन की तरह फरमाईसे करती है अपनी पसंद की वो वे

नारी

22 जून 2022
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कभी ममता कभी करूणा कभीदया कासागर बनती वो।कभी हिम्मत कभी ताकत कभी ललकार बनती वो।कभी दर्गा कभी लक्ष्मी कभी बरदान बनती वो कभी वीणा बजाती शास्त्रो का ज्ञान बनती वो ।कही पर मां कही बहना कही अर्धागिनी

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