वेलेंटाइन सबको याद रहा ....
क्यों पुलवामा को भूल रहे ...
प्यार प्यार सब करते यहां ...
क्यूं पर मिटने वाले ना याद रहे ...
उस दिन क्या मंजर था !
ना जाने कितनी मांगे , कोखे उजड़ी थी ...
आज भी आती है याद तो भर आती है मेरी आंख!
टुकड़ों में बिखरे थे , देश के लाल किसी की मिली कलाई तो , किसी किसी के चीथड़े उड़ रहे थे हवा में ऐसा मंजर कैसे भूले हम ...
वेलेंटाइन कैसे मनाए हम !
जब तारीख को कितने ही भूमि रक्षक गिरे पड़े थे .... लाल lahu tha बिखरा उस दिन कैसे हम खुशियां मनाएं।