कविताओं का केंद्रीय भाव अक्सर प्रेम ही रहा है। कवियों के लिए भी प्रेम एक शाश्वत विषय रहा है। ऐसे में प्रेमी से बिछड़न या फिर प्रेम में मिली पीड़ा को काव्य बनाने में कवि अपनी सार्थकता समझता है। कवि मृत्युंजय राय के इस कविता-संग्रह ‘वेदना के मौन स्वर’ में कविताओं के माध्यम से किसी प्रिय के बिछड़ने से उत्पन्न वेदना एक प्रकार से मौन रूप में शब्दाकार ले उठी है। ग्लोबल त्रासदी कोरोना के भी छींटें इस पुस्तक पर पड़े हैं। कहीं मीठी याद की फुहारें हैं तो कहीं पुत्र प्रेम से पगी रचनाएँ भी इस संकलन में हैं, लेकिन मूल स्वर वेदना का ही है।
0 फ़ॉलोअर्स
2 किताबें