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व्यंग्य

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कलेक्टर और एस पी साहब सामने स्टेज पर सजी दो कुर्सियों पर बैठ गये । उनके बैठने के बाद समस्त अधिकारी भी अपने अपने स्थान पर बैठ गये । कार्यक्रम का संचालन एक विद्यालय के हिन्दी के व्याख्याता आनंद राज "दुख

कई वर्ष से मेरे एंड्रॉइड फोन का सारथी अर्थात मेरा मोबाइल फोन चलाने वाला मेरा भतीजा मेरा फोन चेक कर रहा था। ऑन लाइन प्लेटफार्म पर मेरे लेख देखकर वह श्रीकृष्ण की तरह मुझे समझाने लगा कि पार्थ किस प्रकार

ज्ञान का गुरुकुल  - 1 आज सुबह सुबह श्रीमती जी से बहस हो गई । अजी , बहस करने की हिम्मत कहां है हमारी । यों कहो कि कहा सुनी हो गई । कहा सुनी का मतलब तो आप सभी ज्ञानी लोग जानते ही हैं कि कहने व

"बाड़ाबंदी" की सफल ईवेंट होने के बाद कलेक्टर अविनाश का रुतबा अचानक बढ गया । मुख्यमंत्री जी के प्रधान सचिव ने स्वयं फोन करके उसकी तारीफों के पुल बांध दिए और कहा "पहली पोस्टिंग के शुरुआती दिनों में ही ज

लाइफलाइन कहावत है "बिन गृहणी घर भूतों का डेरा" । इस पर आज सुबह सुबह बहस हो गई । श्रीमती जी बोलीं "अगर मैं नहीं रहूं तो यह घर भूतों का डेरा बन जाएगा । आपने कभी मेरी वैल्यू नहीं समझी मगर आपको पता च

डायरी सखि, आज तो बहुत दिनों के बाद तुमसे मुलाकात हो रही है सखि । इतने विलंब से मिलने का कारण वही है सखि जो मैंने तुम्हें पहले बताया था । मैं अपनी दूसरी पुस्तक "यक्ष प्रश्न" के लिये रचनाओं की प्रू

ज्ञान का गुरुकुल  - 3 आज सुबह सुबह मेरे मित्र हंसमुख लाल जी किसी नौजवान के साथ आये और कहने लगे : भाईसाहब , अपने " ज्ञान के गुरुकुल" की ख्याति दूर दूर तक फैल चुकी है । बड़ी संख्या में लोग इसम

ज्ञान का गुरुकुल  - 2 हमारे घुटन्ना मित्र हंसमुख लाल जी ने हमें एक ज्ञान का गुरुकुल खोलने का सुझाव दिया था । मैं माथापच्ची कर रहा था कि उस गुरुकुल का नाम क्या रखूं ? हंसमुख लाल जी ने कहा " ह

लाइफलाइन कहावत है "बिन गृहणी घर भूतों का डेरा" । इस पर आज सुबह सुबह बहस हो गई । श्रीमती जी बोलीं "अगर मैं नहीं रहूं तो यह घर भूतों का डेरा बन जाएगा । आपने कभी मेरी वैल्यू नहीं समझी मगर आपको पता च

कोरोना पास हमारे मौहल्ले में घसीटा राम जी रहते हैं ‌। जलदाय विभाग में हैंडपंप मिस्त्री हैं । आजकल हैंडपंप तो रहे नहीं । हैंडपंप रहे नहीं का मतलब यह नहीं है कि जो पहले के हैंडपंप लगे हुए थे उनको क

ब्रेड एण्ड बटर आज सुबह जब मैं पार्क में घूमने के लिए जा रहा था तो अचानक किसी के रोने की आवाज सुनकर ठिठक गया । जनानी आवाज लग रही थी । मुझे आश्चर्य हुआ कि सुबह सुबह कौन रो रही है ? क्या समस्या आन पड़ी

सास , जेठानी और छोटी बहू मैं आज सुबह सुबह अपने मोबाइल में आने वाले मैसेज देख रहा था कि अचानक मेरी नज़र एक मैसेज पर पड़ी । यह मैसेज तो कुछ जाना पहचाना सा लगा । तुरंत ध्यान आया कि यह तो मेरा ही एक

आज मैं अवकाश पर था । मैं यूं ही अवकाश पर नहीं रहता पर गोवर्धन जी की परिक्रमा करने के बाद पैर चलने से बिल्कुल मना कर देते हैं । इसलिए अवकाश लेकर गोवर्धन परिक्रमा की थकान उतार रहा था । दिन भर आराम किया

कंजूस मल एक गांव में एक सेठ रहता था । नाम था धनीराम । कंजूस इतना कि चाहे चमड़ी चली जाए मगर दमड़ी ना जाए । इसलिए लोगों ने उसका नाम कंजूस मल रख दिया था । एक दिन सेठानी ने कहा कि आपने लोभ लालच

लड़का होना गुनाह हो गया है आजकल जमाना कितना बदल गया है आजकल । एक जमाना था जब लड़की होना गुनाह था । अब जमाने ने पलटी मारी है और अब लडका होना गुनाह हो गया है । एक वाकया सुनाता हूं । लखनऊ की व्

कोरेन्टाइन यानि एकांत वास एक दिन मैं ऑफिस में काम कर रहा था कि मेरे साथ काम करने वाले एक साथी सुनील का फोन आया " मैं कोरोना पोजिटिव निकला हूं "  यह सुनकर मैं धक्क से रह गया । धक्का इस बात का नही

बड़े साहब आज सुबह-सुबह "बड़े साहब" मिल गए । वो भी पार्क में टहलने आते हैं और हम भी । बस, वहीं मुलाकात हो गई । खुशी के मारे उनके चेहरे से नूर टपक रहा था । दो दिन पहले जब मिले थे तो उनका चेहरा एक पके ह

कामवाली बाई  आज बॉस के साथ मेरी कहा सुनी हो गयी थी । इस कहा सुनी में कहते तो बॉस ही हैं मैं तो बस सुनता हूँ । बस, बीच बीच में मुस्कुरा भर देता हूँ । इस मुस्कान से बॉस इतना चिढ़ जाते हैं कि वे दां

बंद दरवाजे दिलों की तरह होते हैं दरवाजे । कुछ खुले तो कुछ बंद । जैसे साफ दिल और घाघ दिल । वैसे ही खुले दरवाजे और बंद दरवाजे । जो लोग स्पष्टवादी , निर्मल हृदय और सरल होते हैं वे खुले दरवाजे की तरह

गजब की लड़ाई हो रही थी । पूरा मजमा लग रहा था । दुनिया भर की भीड़ इकठ्ठी हो गई थी । सब लोग तमाशा देख रहे थे । इस देश के लोग इतने "फ्री" हैं कि अगर किसी मकान पर बुलडोजर चलने लगे तो वे शुरु से आखिर तक दे

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