व्यंग्य संग्रह
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एक हफ्ते बाद गाँधी जी का बड़ डे था (गाँधी जी के जमाने में उसे जन्मदिन कहा जाता था)। उनका मन हुआ वो धर
लो हर साल की तरह फिर से 15 अगस्त आ गया। कहते हैं कि इस दिन अंग्रेजो से भारत को आजादी मिली थी। पर बड़
सरकार ने घोषणा तो कर दी कि हर गरीब व्यक्ति को मुफ्त मोबाइल फोन देंगे। पर इस मोबाइल ने तो आम आद
रमेश बाबू का अच्छा खासा व्यवसाय था और उनकी जिन्दगी भी बहुत अच्छी गुजर रही थी। एक दिन उनकी एक औरत से
बालक चंट बुद्धि ने एक प्रश्न की व्याख्या इस प्रकार की जो आज के समय में बिल्कुल उपयुक्त बैठती है। यहा
स्वर्ग में जो स्थान रंभा का था उससे कहीं ज्यादा प्रसिद्धि हिडिम्बा ने प्राप्त कर ली थी। क्योंकि स्वर
तानसेन के वंशज हरि सिंह अभी-अभी विदेश से शिक्षा ग्रहण करके स्वदेश लौटे थे। भारत में आकर उन्होंने महस
गब्बर बचपन से ही पढ़ाई का चोर था। वह पूरे रामगढ़ के बच्चों को पढ़ने से रोकता था, बस ठाकुर के सामने उसकी
अगर ठाकुर की प्रेस कॉन्फ्रेंस होती तो मीडिया वालों ऐसे सवाल पूछते -<br> # अपने गब्बर को मारकर निरक्ष
बादशाह अकबर खान किसी न किसी तरह से बीरबल साहनी की परीक्षा लेते रहते थे। ऐसे ही एक बार अकबर खान ने अप
<div>नये युधिष्ठर यक्ष के तालाब से पानी लेना चाहते थे पर यक्ष ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया और कहा
<div>जहाँ पूरा देश स्वाइन फ्लू से परेशान है वहीं बॉलीबुड में एक और बीमारी तेजी से फैल रही है व्यान फ
बाहर गली में बच्चे खेल रहे थे और शोर मचा रहे थे,'लेके रहेगें आजादी, मच्छरों से आजादी, इन मक्खियों से
वो रोज लोगों से पूछते थे कि देश ने हमारे लिए क्या किया ? पर आपमें ही वो हिम्मत थी कि आप लोगों से पूछ
हमारे यहाँ घर आये मेहमान को चाय पिलाने की परम्परा है पर एक 20-21 साल की लड़की को चाय पिलाना मुझे महँ
उनके लेखन में आग है जब भी वो सोशल मीडिया पे कुछ लिखते हैं आग लग जाती है। जब भी उन्होंने किसी जाति के
ये सब मार्केटिंग का ही असर था कि हर कोई जहर खाना चाह रहा था। हर ब्राण्ड अपने जहर को दूसरे के जहर से
दिल्ली की पनोती आज पूरे देश के लिए मुसीबत बन गया था। टीवी पर बता रहे थे कि अपनी राजनीति चमकाने के लि
आजकल ये बन्दर भी बड़े बत्तमीज हो गये हैं, बताओ हमारे ऊपर दो आलू फेंक कर मार दिए। पहले ये काम महिलाओं
90 के दशक तक भारत में लोग यहीं का बना हुआ सामान खरीदते थे जो सस्ता व टिकाऊ होता था। फिर नया समय आ गय
पोशम पार भाई पोशम पार, नेताओं ने क्या किया<br> सौ करोड़ की दलाली खाई, सौ अरब बाहर जमा कराये<br> अब तो
परीक्षा का मौसम आते ही जगह-जगह शिक्षा की दुकानें लगने लगती हैं। कोई नकल के नाम पर, तो कोई पक्के तौर
मैं एक ऐसे जंगल में गया जहाँ बिल्लियां दूध बेच रही थीं। भैस बीन बजाकर नाच रही थी। यहाँ गधे सबसे ज्या
कल चिड़ियाघर देखने गए। सोचा था यह चिड़िया का घर होगा। पर वहाँ तो जानवर भी थे। रंगा सियार था, टेडी पूछ
हिन्दी साहित्य में गधे का जिक्र तो बहुत होता है पर उसे आज तक किसी पाठ्यक्रम में निबन्ध का विषय नहीं बनाया गया। यू तो भारत में गाय को माँ माना जाता है पर जरूरत पड़ने पर बाप गधे को ही बनाया जाता है। इसके
एक तरह सरकार ध्वनि प्रदूषण कम करने के प्रयास में लगी है। दूसरी तरफ जनता है जो उसके हर प्रयास को विफल कर रही है। कभी धर्म के नाम पर तो कभी अपनी खुशियों की दुहाई देकर शोर मचाती रहती है। मरीज व छोटे बच्च
टीप शास्त्र के रचयिता व कपट मुनि के शिष्य श्री टीपाचार्य समय व भीड़ की भावना के अनुसार लोगों को कथाएं सुनाया करते थे। वह पब्लिक की डिमांड के अनुसार कहानियों में फेरबदल करके लोगों के कानों तक पहुँचाते।
पहले जो लड़कियाँ सुशील व संस्कारी होती थीं वो अब बोल्ड होते-होते हॉट हो गई हैं। पर एक चीज जो नहीं बदली है वो है हमारी सोच। आज भी हम कोई बात होने पर 'हमारे यहाँ देवी की पूजा होती है' वाली बात कहते हैं।
उमराव जान उम्र के उस दौर में पहुँच चुकी थीं यहाँ लोगों की गिनती उम्र दराज लोगों में की जाने लगती है। पर जैसे बन्दर गुलाटी मारना नहीं छोड़ता, उमराव जान जवान दिखना नहीं छोड़ सकती थीं। पीठ पीछे लोग उन्हें
आज सुबह मेरी खाँसते हुए आँख खुली। देखा तो पूरा मोहल्ला खाँस रहा था क्योंकि किसी ने लाल मिर्च जलाई थी, नजर उतारने के लिए। शक होता है क्या हम वाकई पढ़े लिखे हैं जो अब भी टोन-टोटके करते रहते हैं। कोई किसी
होली का मौसम आते ही होली मिलन के कार्यक्रम भी शुरू हो जाते हैं। ये समारोह होली से एक महीने पहले शुरू होते हैं और होली के एक महीने बाद तक चलते रहते हैं। ब्रज में होली एक महीने की होती हैं पर ये होली मि
द्वापर युग में एकलव्य अपनी धनुर्विद्या का अभ्यास कर रहे थे। तब उन्होंने एक कुक्कर (कुत्ते) का मुँह तीरों से भर दिया। वह कुक्कर भगवान श्री कृष्ण के पास गया और बोला कि भगवन मैं तो एक श्वान हूँ और मेरा क
चिदम्बरम पर जूता क्या चला पूरी राजनीति में तहलका सा मच गया। यह प्रथा भले ही इराक वालों ने चलाई हो या बुश के नाम के साथ जुड़ी हो, पर भारतीय संस्कृति से जूतों का रिश्ता बड़ा पुराना है। चाहें शादी में सालि
आजादी के इतने सालों बाद हमें कुछ मिला हो या न मिला हो पर एक चीज है जिस पर हर भारतीय अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझता है... वो है सड़क। सरकार भले ही कहती रहे 'सड़क किसी के बाप की नहीं है।' पर हम लोग सड़क को अप
पुलिस के डण्डे से डर नहीं लगता साहब, मीडिया के डण्डे से डर लगता है जो वो मुँह में घुसेड़ के पूछते हैं,"आपको कैसा लग रहा है ?" छपरा में बाढ़ आई हुई थी। एक बाप अपनी बच्ची को बचाने के लिए नदी में कूदने वाल
ये तो बहुत बड़ी तानाशाह सरकार है। इसने अपने दोनों कार्यकाल में एक भी बम भारत में नहीं फटने दिया। पहले वो दूसरे देशों से आकर भारत के किसी भी शहर में बम फोड़ जाते थे और हम दिवाली पर सुतली बम भी नहीं फोड़ प
एक आतंकवादी के लिए आधी रात को अदालत खोल दी जाती है कुछ लोगों की अवैध वस्ती बचाने के लिए जज 10 बजे ही अदालत पहुंच जाते हैं। आधे घंटे ताला खुलने का इंतजार करते हैं व ताला खुलने के 10 मिनट बाद ही कार्यवा
पैसों की बदौलत ये कॉलोनी वाले न जाने अपने आप को क्या समझने लगते हैं। सबके घरों में समर लगी होती है इसलिए पानी की कोई कमी नहीं होती लेकिन टँकी भरने के बाद भी कई घण्टों तक टँकी से पानी गिरता रहता है। को
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हम हिग्लिस्तानी पढ़े लिखे- बेबी पानी ड्रिंक करलो अनपढ़- बेटा वॉटर पीलो ☺️☺️☺️ -------- एक अमीर आदमी गरीब ठेले वाले को टक्कर मार के भाग गया। अमीर पर fir दर्ज कराई गई। पुलिस ने लिखा उसका 4 साल का बेटा का
# आज इंद्रापुरम में दूध फट गया जिसकी आवाज कई किलोमीटर तक सुनी गई। बताया जा रहा है कि कोई व्यक्ति फ्रिज में रखकर दही जमाने की कोशिश कर रहा था। जिस कारण दूध फट गया। फटे दूध को सिलने के लिए दर्जियों की म
ललुआ सुबह तीन बजे उठ जाता। वह गोदी में उठाकर अपनी भैंस को तबेले की तीसरी मंजिल पर ले जाता। वह भैंस को हाथ में ऊपर उठाता और छोड़ देता। ऐसा दो तीन बार करने पर भैंस नींद से उठ जाती और रंभाना शुरू कर देती।
छिछोरे लाल 30 साल बाद आज पुनः जवान हो गये थे। आँखों पर लाल चश्मा, पीली टीशर्ट, काली कार्गो पेंट। आखिर आज रिटायर्ड होने के बाद पुनः अपने पहले प्यार से मिलने का मौका मिला था। आज से 30 साल पहले वो उसी के
अपने दादा छिछोरे लाल की तरह भौचक्का भी पतंग का शौकीन था। पतंग लूटने में भौचक्का सबसे आगे रहता। यहाँ उसी के कुछ किस्से दिये जा रहे हैं। भौचक्का हाथ में झाड़ लेकर कटी पतंग के पीछे भागा जा रहा था। उसकी आँ
अरे आग लग जाये सबके मोबाइल में धरती फटे और सबके हाथ से छूटकर मोबाइल जमीन में समा जाये। बताओ चार दिन से कुंजी भाभी ब्यूटी पार्लर के चक्कर लगा रहीं थीं। कभी मेड़ीक्योट, कभी पेडीक्योट, कभी पेटीकोट (सॉरी)
सरकार पखाने (शौचालय) खुलवाने पर जोर दे रही है, सामाजिक संगठन मयखाने बंद करवाने पर जोर दे रहे हैं पर हो उल्टा ही रहा है। पखाने तो बन नहीं रहे हैं बल्कि मयखानों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। हद त
दामो जी साहित्यकारों की उस श्रेणी में आते हैं जिसे पोंगा साहित्यकार कहना ही उचित होगा। उन्होंने रचनाएं तो बहुत की पर कोई भी रचना किसी प्रतिष्ठित पत्रिका या अखबार में छपी नहीं। उनको उनकी लेखनी के लिए ब
कई वर्ष से मेरे एंड्रॉइड फोन का सारथी अर्थात मेरा मोबाइल फोन चलाने वाला मेरा भतीजा मेरा फोन चेक कर रहा था। ऑन लाइन प्लेटफार्म पर मेरे लेख देखकर वह श्रीकृष्ण की तरह मुझे समझाने लगा कि पार्थ किस प्रकार
गाँधी जी ने घोषणा की थी कि वह स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए विदेशी वस्तुओं की होली जलाएंगे। उन्होंने अपने सभी कार्यकर्ताओं को व्हाट्सएप कर दिया था। शहर में लोगों को जागरूक करने के लिए टीवी, अखबार आदि म
यह मेरी डायरी का 50 वां व्यंग्य है पर समझ नहीं आ रहा था क्या लिखूं इसलिए लिखने बैठ गया, पछले उडनचास व्यंग्यों की यादों में खोये हुए। कैसे एक-एक व्यंग्य को दस-दस बार संपादको ने खेद सहित वापस लौटाया था।
मीडिया की नजर कभी छोटे लोगों पर नहीं जाती उन्हें सिर्फ शहर की परेशानी व पेट्रोल ही नजर आता है। पेट्रोल पर अगर 10 पैसे भी बढ़ जाये तो मीडिया कई दिन तक न्यूज चलाता है क्योंकि पेट्रोल की जरूरत अमीरों की द
मैं पड़ा-पड़ा बोर हो रहा था तो सोचा ड्रॉइंग बना लूँ। मैने पेंसिल उठाई और परी की ड्राइंग बनाने लगा पर ये पेंसिल तो जादुई निकली जैसे ही ड्राइंग पूरी हुई वो परी सच्ची की सोनपरी बन गई। सोनपरी ने मुझे अपनी ज
नर्सरी क्लास में एक बालक था, जिसके स्कूल में बच्चे पेंसिल छीलकर उसके छिलके क्लास में फेंक देते थे।स्कूल की प्रथानाचार्य इससे बहुत परेशान थीं। उन्होंने स्कूल में कहलवा दिया कि जो कोई भी पेंसिल के छिलके
छगनापुर के एक कवि सम्मेलन का दृश्य कवि बचाल चोंचा- तिल को तिल कहें या मोर के पँख, जब आती है याद तेरी बजाते हैं शंख कवि गम्भीर सुस्ती- तेरे घर के सामने एक घर बनाऊंगा, जब कपड़े सूखायेगी तू मैं उठा ले जाऊ
ये आजकल के तथाकथित पशुप्रेमी इंसानियत के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। ये पशुप्रेमी दो प्रकार के मिलेंगे, एक जिन्हें टोटका बताया जाता है जैसे- शनिवार को बन्दरों को भोजन कराने से ग्रह शान्त होंगे। फिर ऐसे
शहर में कोई मेला लगा था। मेला नहीं फेस्ट, मेला बोलना तो आजकल के हिसाब से गवार भाषा है। इस मेले में.... सॉरी फेस्ट में तीन पत्ती, रमी स्कॉयर, आई पी एल सट्टा आदि नामों से जुए की कई दुकानें लगीं थीं। मेल
एक मेज पर मच्छर की बड़ी सी फोटो रखी थी। फोटो के ऊपर गुडनाईट व कैस्पर ब्लू मैट की लडियों की माला लटकी हुई थी। उसके बगल में कछुआ छाप जल रही थी। फोटो के आगे एक चम्मच में मच्छर का मृत शरीर रखा था। फोटो के
आजकल एक बाबा (बागेश्वर) लोगों में अंधविश्वास फैलाने में लगे हैं लेकिन तब कोई अंधविश्वास नहीं फैलता जब हजारों लोगों के सामने चंगई दी जाती है। हजारों की भीड़ के सामने कई लोग दावा करते हैं कि उन्हें चंगई