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व्यंग्य

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मेरे जीवन की धर्म तुम्ही-- यद्यपि पालन में रही चूक हे मर्म-स्पर्शिनी आत्मीये! मैदान-धूप में-- अन्यमनस्का एक और सिमटी छाया-सा उदासीन रहता-सा दिखता हूँ यद्यपि खोया-खोया निज में डूबा-सा भूला-सा

मुझे नहीं मालूम मेरी प्रतिक्रियाएँ सही हैं या ग़लत हैं या और कुछ सच, हूँ मात्र मैं निवेदन-सौन्दर्य सुबह से शाम तक मन में ही आड़ी-टेढ़ी लकीरों से करता हूँ अपनी ही काटपीट ग़लत के ख़िलाफ़ नित स

मुझे पुकारती हुई पुकार खो गई कहीँ... प्रलम्बिता अंगार रेख-सा खिंचा अपार चर्म वक्ष प्राण का पुकार खो गई कहीं बिखेर अस्थि के समूह जीवनानुभूति की गभीर भूमि में। अपुष्प-पत्र, वक्र-श्याम झाड़-झंखड़ों

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹यमलोक की गद्दी पर ,चित्रगुप्त बैठे थे परेशान ,अब कितनी बही खाता लाए,प्राणी बढ़ते जा रहे बेफाम,।यमदूतों को फुरसत नहीं थी ,यमराज भी थे हैरान ,नाना उपाय करके हारे,ये मुसीबत कैसे टार

एक चीतल हिरण की व्यथा- आप लोग ठीक कह रहे हैं कि मैं एक जानवर हूँ और मुझे जंगल में शिकारी जीवों के बीच ही जीवन की जद्दोजहद करनी है। लेकिन मैं अभी जिस जंगल में रहता हूँ वंहा के शिकारी जानवरों

राम अमोल पाठक जी बिहार के एक गांव के भरे-पुरे परिवार से थे |  गांव में आँगन वाला सबसे ऊँचा मकान राम अमोल पाठक जी का था, घर पर पिताजी,भैया-भाभी, एक प्यारी सी भतीजी और बीवी अमरावती थी, अभी-अभी राम अमोल

आइना सच का जो किसी को दिखाया बड़ा शोर उसने मचाया सच से मुंह फेरा यारों हमें ही उसने घेरा खुद करे छल और फरेब ढिंढोरा पीटे और जमाए रौब क्या करे कलयुग है भाई सुनी जाए ना सच्चाई दिखावे के सीधे मन के ये ह

आज मनु को लड़के वाले देखने आये थे।मनु के पिताजी के  ही उसकी सगाई की बात चल रही थी पर अचानक से मनुके पिता का हार्ट अटैक से निधन हो गया।इस लिए बात वहीं की वहीं रह गयी। लेकिन जवान बेटी को कब तक रखते

शम्मी आज स्कूल से रोते रोते घर पहुंची । मां ने पूछा ,"क्यों रो रही हो बेटा ? किसी ने मारा है क्या?"  बेचारी शम्मी को मां का आंचल मिला तो बहुत ज़ोर से रोने लगी ।एक हाथ पीछे कमर मे छुपा रखा था । मा

भाईयों और बहनों ।जैसा कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ आ रही है तो मै चाहता हूं भारत के हर घर मे तिरंगा लहराना चाहिए।"भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भाषण टीवी पर आ रहा था ।चमेली और उसका पति दिहाड़ी म

                            ।।     जय श्री राम ।। आज का दौर इंटरनेट का दौर है हम सब को ये बात पता है ... आज   में आप से लोगो के गरीबी के नजरिए से जोड़ी सच्ची घटना पर बात करना चाहता हूं।  एक ias

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मैं भौचक्का का जूता हूँ। मुझे याद है वो दिन जब भौचक्का दुकान में मुझे लेने आया था। उसके पैर में पुराने जूते थे जिसमें से उसका पैर का अँगूठा निकल कर बाहर झाँक रहा था। उसने इतने सारे जूतों में से मुझे

गाँधी जी ने घोषणा की थी कि वह स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए विदेशी वस्तुओं की होली जलाएंगे। उन्होंने अपने सभी कार्यकर्ताओं को व्हाट्सएप कर दिया था। शहर में लोगों को जागरूक करने के लिए टीवी, अखबार आदि म

किसी ने सोचा नहीं होगा कि 21 जुलाई, 2022 का दिन भारत के इतिहास में अमर हो जायेगा । इस दिन ऐसी ऐसी घटनाएं घटित होंगी जो अविश्वसनीय प्रतीत होती हैं । किसने सोचा था कि कोई अर्श से फर्श पर आ गिरेगा तो कोई

सुंदर कांड आज सुबह सुबह सुंदर लाल जी हमारे मकान पर पधारे । कोरोना की घटना के बाद लोग दूसरे के घरों में जाने से ऐसे ही कतराने लगे थे जैसे सरकारी कर्मचारी ऑफिस जाने से , अध्यापक कक्षा में जाने से ,

"बाड़ाबंदी" ईवेन्ट के सफल आयोजन से कलेक्टर साहब की धाक पूरे जिले में जम गई । उनके बारे में अनेकानेक प्रकार की किंवदंतियों हवा में तैरने लगीं । कोई उन्हें "मुखिया" जी का "खासमखास" बताने लगा तो कोई "पार

बफर सिस्टम  - 1मैं अपना नित्य कर्म करके श्रीमती जी के समक्ष इस आशा से उपस्थित हुआ कि उनकी कृपा हो जाये तो उनके मखमली हाथों से एक प्याला गरम गरम ग्रीन टी मिल जाए । आप ग़लत समझ रहे हैं जनाब । मैं क

आषाढ का महीना आषाढ़ का महीना अपने अंतिम दिन गिन रहा था । अब कुछ दिनों का ही मेहमान था वह । जिस तरह जब किसी व्यक्ति के "अंतिम दिन" आते हैं तो उससे मिलने नाते रिश्तेदार , अड़ोसी पड़ोसी , यार दोस्त

ज्ञान का गुरुकुल  - 3 आज सुबह सुबह मेरे मित्र हंसमुख लाल जी किसी नौजवान के साथ आये और कहने लगे : भाईसाहब , अपने " ज्ञान के गुरुकुल" की ख्याति दूर दूर तक फैल चुकी है । बड़ी संख्या में लोग इसम

ज्ञान का गुरुकुल  - 2 हमारे घुटन्ना मित्र हंसमुख लाल जी ने हमें एक ज्ञान का गुरुकुल खोलने का सुझाव दिया था । मैं माथापच्ची कर रहा था कि उस गुरुकुल का नाम क्या रखूं ? हंसमुख लाल जी ने कहा " ह

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