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व्यंग्य

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दुनिया में अगर कोई रिश्ता सबसे प्यारा है तो वह है दोस्ती का रिश्ता । यह एक ऐसा रिश्ता है जिसका वर्णन करना बहुत कठिन है । दिल की बात बिना कुछ कहे जान लेने वाला व्यक्ति एक सच्चा दोस्त कहलाता है । आंखों

आज गोधूलि और बेला फिर से लड़ पड़ीं । वैसे उन दोनों में लड़ाई होना नित्य कर्म के जैसा है । बल्कि यह कह सकते हैं कि यह उनका अनवरत क्रम है । ऐसी कौन सी बात है जिस पर लड़ाई नहीं होती है उनमें । घर में सब्जी क

रिशा लंच करके अपना पसंदीदा सीरियल "तू तू मैं मैं" देखने बैठी ही थी कि उसकी पड़ोसन रिद्धिमा आ गई । दोनों औरतें पड़ोसन होने के साथ साथ अच्छी सहेलियां भी हैं । दोनों में पटती भी खूब है । बुराई भलाई करने

आज सुबह जगा तो देखा कि आसमान पर काली काली घटाएं छा रहीं हैं । रिमझिम रिमझिम फुहारें पड़ रहीं हैं । हवा भी बड़ी तेज चल रही है । रह रहकर बिजली कड़क रही है । पेड़ पौधे सब मौसम की सुर-ताल के साथ लय बद्ध त

मैं नशे में हूं बात उन दिनों की है जब पूरा देश प्रथम लॉकडाउन में "बंद" था । हम घर में पड़े पड़े "मुटिया" रहे थे और श्रीमती पर काम की दोहरी मार पड़ रही थी । ऐसे में उन्होंने हमें भी "मजदूरी" पर लगा

दामो जी साहित्यकारों की उस श्रेणी में आते हैं जिसे पोंगा साहित्यकार कहना ही उचित होगा। उन्होंने रचनाएं तो बहुत की पर कोई भी रचना किसी प्रतिष्ठित पत्रिका या अखबार में छपी नहीं। उनको उनकी लेखनी के लिए ब

इंद्र का दरबार सजा हुआ था । सभी देवता सभा में बैठे हुए थे । मेनका , उर्वशी अपने सौंदर्य मिश्रित कला की प्रस्तुति दे रही थीं । अप्सराएं देवताओं को अद्भुत "पेय" पिला रहीं थीं । हास परिहास से सभा भवन चहक

अबला, सबला और आ बला मैं आज सुबह चाय के साथ अखबार का नाश्ता कर रहा था । सुबह सुबह पेट को भूख नहीं लगती है बल्कि दिमाग को लगती है । होठों को प्यास लगती है । मगर ये प्यास पानी से नहीं मिटती बल्कि गरमागर

आरोगोराजस्थान में "जीमण" का बड़ा शौक है । इतना कि महसूस होता है जैसे लोग जिंदा ही "जीमण" के लिए हैं । अगर कोई आदमी मर रहा हो और कोई उसे "जीमण" का निमंत्रण दे दे तो वह आदमी "जीमण" के लिए मौत से कुछ इस

इंतकाल  - 2 शिवचरण और भौती को बेहोश देखकर उनके बच्चे घबरा गए । उन्होंने जोर जोर से रोना शुरू कर दिया । बच्चों के रोने की आवाज सुनकर उनके आस पड़ोसी दौड़कर आये । गांवों में अभी थोड़ी बहुत संव

पंडित रामनाथ मिश्रा । जाने माने पटवारी । सिद्धांत के पक्के । धर्मनिष्ठ व्यक्ति । रोजाना गीता और रामायण का पाठ करते । मंदिर जाकर भजन कीर्तन करते । माथे पर बड़ा सा तिलक लगाते । चेहरे पर गजब की चमक थी उन

यक्ष प्रश्न  - 5 अश्वत्थामा , कृपाचार्य और कृतवर्मा का महाभारत युद्ध के बाद क्या हुआ कोरोना काल भें जब प्रथम लॉकडाउन लगा था तो लोगों के मनोरंजन और हमारे धार्मिक साहित्य को जानने के लिए "रामा

यक्ष प्रश्न  - 3 अजब सवालों के गजब जवाब कोरोना ने जन जीवन इतना ठप्प कर दिया था कि पार्क वगैरह सब पर ताला पड़ गया गया था । घर से बाहर निकलने पर पूर्ण पाबंदी थी । पहला लॉकडाउन तो कमाल का था

यक्ष प्रश्न  - 3 इकोनॉमी वारियर्स यह हास्य व्यंग्य कोरोना काल के प्रथम लॉकडाउन के समय का है । इसे उसी परिप्रेक्ष्य में पढें । लॉकडाउन में मैं और श्रीमती जी । एक दूसरे को देखते , बतियाते ,

कोरोना काल का प्रथम लॉकडाउन चल रहा था । उस समय हमारे मौहल्ले के थानेदार जी ने मुझसे कुछ प्रश्न पूछे थे जिनके मैंने अपने ज्ञान के अनुरूप ठीक ठीक उत्तर दिए थे वे मेरी रचना "यक्ष प्रश्न  - 1" में मि

यक्ष प्रश्न महाभारत में पांडवों के 12 वर्ष के वनवास के समय एक सरोवर में पानी पीने से पहले यक्ष द्वारा पूछे गए प्रश्न सर्वविदित हैं । ये प्रश्र देश , काल से परे हैं । जीवन मूल्यों से संबंधित प्रश्न

एक समय की बात है जब पूरा विश्व "कोरोना" नामक महामारी की चपेट में आया हुआ था । उसके खौफ के सामने यमराज जी का खौफ धूमिल पड़ गया था । लोग त्राहिमाम त्राहिमाम कर रहे थे । घोर नास्तिक लोग भी पूजा पाठ करके

कलेक्ट्रेट में आज सुबह से ही हड़कंप मचा हुआ था । सुबह से कम से कम दस बार मुख्यमंत्री निवास से फोन आ गया था । स्वयं मुख्यमंत्री जी ने कलेक्टर साहब से बात की थी । कलेक्टर साहब तो इसी बात से धन्य हो गये

सरकार पखाने (शौचालय) खुलवाने पर जोर दे रही है, सामाजिक संगठन मयखाने बंद करवाने पर जोर दे रहे हैं पर हो उल्टा ही रहा है। पखाने तो बन नहीं रहे हैं बल्कि मयखानों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। हद त

एक कहावत है कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं । हो सकता है कोई जमाने में यह बात सही होगी । शायद वह जमाना सम्राट विक्रमादित्य का रहा हो या हरिश्चंद्र का हो । लेकिन अब सब जानते हैं कि आज के जमाने में इ

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