shabd-logo

यारो

hindi articles, stories and books related to yaro


पानी को पानी रहने दोनदी अकेले बहकर अनेको घाट बनाती थी। हर घाट निराला होता था।पनघट मे पानी भरी बाल्टी रस्सी से खीच कर औरत सुस्ताती थी।भर मटका कलस फुरसत मे सखी सहेलियों से बतियाती थी, बेटी बहू।चरवाहा बैठ पेड़ की छांव मे मन से गीत गुंगुनाता, गीले होठो से। जानवर तालाबो मे डुबकी लगाते तैरते इतराते ले प

संबंधित टैग्स

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए