पानी को पानी रहने दो
नदी अकेले बहकर अनेको घाट बनाती थी। हर घाट निराला होता था।
पनघट मे पानी भरी बाल्टी रस्सी से खीच कर औरत सुस्ताती थी।
भर मटका कलस फुरसत मे सखी सहेलियों से बतियाती थी, बेटी बहू।
चरवाहा बैठ पेड़ की छांव मे मन से गीत गुंगुनाता, गीले होठो से।
जानवर तालाबो मे डुबकी लगाते तैरते इतराते ले पानी पूँछ मे,
ठंडी बूंद जमी मे छिटकाते, गाँव का तालाब गायब हो रहा ।
दे मुह तालाब के अंदर अपनी प्यास बुझते । वह भी गुम हो रहा हैं।
कभी मुफ्त मे मिलने वाला निर्मल पानी, आज पैसे मे खरीदा जा रहा हैं।
पहले पानी नीचे से, अ ब पानी ऊपर लगी टंकी या आरो से आ रहा हैं ।
खरीद कर पियो कितने दिन और पियोगे? एक दिन प्यासे मारे जाओगे।
लोग कहने लगे टाइगर श्रफ 600 रु लीटर का पानी पी रहा हैं।
किसान बुंदेलखंड की जमीन पानी के लिए चिल्ला रहा हैं।
नेता कह रहे हैं देश विकास कर रहा हैं। प्यासा इंसान तड़प रहा हैं।
आज वही पानी बंदिसो और टाइम मे सिमटता जा रहा हैं।
यह बोलकर की पानी पाईप लाइन से आ रहा हैं।
मुफ़त की चीज को मुफ़त रहने दो इसकी कीमत न लगाओ यारो ।