हमारा घर (भवन/आवास/मकान) एक ऐसी जगह होती है जहां खुलकर सांस ले सकते हैं । अगर घर में सभी जरूरी चीजों के लिए शुभ-अशुभ दिशाओं का ध्यान रखा जाए तो नकारात्मकता से मुक्ति मिल सकती है। वास्तु शास्त्र में घर के लिए कई नियम बताए गए हैं, इनका पालन करने पर घर की पवित्रता बनी रहती है। उज्जैन के वास्तु विशेषज्ञ पण्डित दयानन्द शास्त्री से जानिए घर में रखें किन बातों का ध्यान … किसी भी मकान की सभी दिशाओं की तुलना में उत्तरी व पूर्वी भाग में खाली स्थान अधिक हो तो आर्थिक उन्नति के साथ व्यापार में भी विशेष वृद्धि होगी। घर में खिड़की दरवाजों की संख्या सम हो तो शुभ रहता है। सम यानी 2, 4, 6, 8 या 10. दरवाजे और खिड़कियां अंदर की तरफ ही खुलना चाहिए, यह श्रेष्ठ रहता है। जब भी आप अपना मकान बनवाएं, उस समय सबसे पहले बोरिंग, फिर चौकीदार का कमरा और बाद में बाहरी दीवार बनवाएं. इससे काम समय पर पूरा होता है। घर में फालतू और बेकार सामान नहीं होना चाहिए। इस चीजों से घर में तनाव बना रहता है। घर का मुख्य द्वार पूर्व या उत्तर दिशा में हो तो श्रेष्ठ रहता है, लेकिन ऐसा न हो तो घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक, श्रीगणेश का चिह्न लगाना चाहिए। यदि संभव हो तो प्रवेश द्वार पर लकड़ी की दहलीज बनवाएं। बिजली के स्विचेज़, बिजली का मुख्य मीटर, टीवी आदि कमरे में आग्नेय कोण अथवा वायव्य कोण पर रखने से धन में वृद्धि होती है। घर के मुख्य द्वार पर तुलसी का पौधा रखना चाहिए। सुबह-सुबह तुलसी को जल अर्पित करें। शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं। पूर्व या उत्तर दिशा में तुलसी लगाने से घर में सकारात्मकता बनी रहती है। यदि आप धन संबंधी लाभ चाहते हैं तो तिजोरी का मुंह उत्तर या पूर्व दिशा में रखना चाहिए। धन के स्थान को सुगंधित बनाए रखना चाहिए। इसके लिए अगरबत्ती, इत्र, परफ्यूम आदि का उपयोग किया जा सकता है। भवन की ऊंचाई दक्षिण व पश्चिम भाग में अधिक तथा उत्तर व पूर्व भाग में कम हो।इससे कार्यों में आसानी होती है। दीवार या छत पर दरार हो तो उन्हें जल्दी ठीक करवा लेना चाहिए। शाम के समय कुछ देर के लिए पूरे घर में रोशनी अवश्य करनी चाहिए। घर में मकड़ी के जाले नहीं होना चाहिए। ऐसा होने पर घर में नकारात्मकता बनी रहती है। तिजोरी के दरवाजे पर कमल के आसन पर बैठी हुई महालक्ष्मी की तस्वीर लगानी चाहिए। घर की दक्षिण दिशा में दीवार पर दर्पण नहीं लगाना चाहिए। दर्पण पूर्व या उत्तर की दीवार पर होगा तो श्रेष्ठ रहेगा। तुलसी के गमले में दूसरा और कोई पौधा न लगाएं, ऐसा करने से धनहानि हो सकती है या बनते काम बिगड़ सकते हैं। दक्षिण और पश्चिम दिशा के मध्य के स्थान को नैऋत्य दिशा का नाम दिया गया है। इस दिशा पर निरूति या पूतना का आधिपत्य है।इस दिशा पर निरूति या पूतना का आधिपत्य है।ज्योतिष के अनुसार राहु और केतु इस दिशा के स्वामी हैं। वहीं उत्तर और पश्चिम दिशा के मध्य के कोण को वायव्य दिशा का नाम दिया गया हैं।ध्यान रखें, घर के नैऋत्य कोण में कभी भी अंधेरा नहीं रखना चाहिए।