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नवदुर्गा और शारदीय नवरात्रि 2019, आपकी राशि अनुसार कौनसी देवी का पूजन, कोनसा भोग लगाएं ?

30 सितम्बर 2019

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मां दुर्गा का प्रत्येक स्वरूप मंगलकारी है और एक-एक स्वरूप एक-एक ग्रह से संबंधित है। इसलिए नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूप की पूजा प्रत्येक ग्रहों की पीड़ा को शांत करती है।देवी माँ या निर्मल चेतना स्वयं को सभी रूपों में प्रत्यक्ष करती है,और सभी नाम ग्रहण करती है। माँ दुर्गा के नौ रूप और हर नाम में एक दैवीय शक्ति को पहचानना ही नवरात्रि मनाना है।असीम आनन्द और हर्षोल्लास के नौ दिनों का उचित समापन बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक पर्व दशहरा मनाने के साथ होता है। नवरात्रि पर्व की नौ रातें देवी माँ के नौ विभिन्न रूपों को को समर्पित हैं जिसे नव दुर्गा भी कहा जाता है।

। । या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: । ।


जानिए क्यों हैं माँ दुर्गा के नौ रूप :


इस वर्ष, नवरात्रि 29 सितंबर से शुरू हो रही है. यह नौ दिनों का त्योहार है, जो हिंदू धर्म और संस्कृति में बहुत महत्व रखता है. यह सबसे प्राचीन त्योहारों में से एक है क्योंकि यह भगवान राम की जीत का जश्न मनाता है, जिन्होंने रावण पर अपनी लड़ाई से पहले देवी दुर्गा की पूजा की थी. शारदा नवरात्रि का त्योहार पूरे भारत मं धूम धाम से मनाया जाता है।नवरात्रि एक ऐसा त्यौहार है जिसे बहुत धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है, और देवी दुर्गा के नौ अवतारों को समर्पित नौ दिन बहुत शुभ माने जाते हैं. भारत के प्रत्येक भाग में, इसका एक अलग महत्व है. नवरात्रि से जुड़ी कहानी देवी दुर्गा और राक्षस महिषासुर के बीच हुई लड़ाई की है. उसने त्रिलोक (पृथ्वी, स्वर्ग और नरक) पर हमला किया, और देवता उसे हराने में सक्षम नहीं थे।


अंत में भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव ने मिलकर देवी दुर्गा की रचना की, जिन्होंने अंत में महिषासुर को हराया. देवी दुर्गा ने 15 दिनों तक उसके साथ युद्ध किया, जिसके दौरान दानव अपना रूप बदलता रहा. वह देवी दुर्गा को भ्रमित करने के लिए विभिन्न जानवरों में बदल जाता था. अंत में, जब वह एक भैंस में बदल गया, जब देवी दुर्गा ने उसे अपने त्रिशूल से मार डाला. यह महालया के दिन था कि महिषासुर का वध किया गया था. नवरात्रि के प्रत्येक दिन का एक अलग रंग होता है. नवरात्रि शब्द संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ है नौ रातें- नव (नौ) रत्रि (रात). प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के एक अलग रूप की पूजा की जाती है. उत्तर पूर्व भारत के पूर्व और विभिन्न हिस्सों में, नवरात्रि को दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है, जहां त्योहार राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत का प्रतीक है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.


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प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।तृतीयं चन्द्रघंटेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।। पंचमं स्क्न्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च ।सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।। नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः ।।


वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥


पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसीदम तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।


वन्दे वांछित कामार्थे चंद्रार्घ्कृत शेखराम, सिंहरुढ़ा अष्टभुजा कुष्मांडा यशस्वनिम.


“सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया. शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी.”


स्वर्णाआज्ञा चक्र स्थितां षष्टम दुर्गा त्रिनेत्राम्। वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥


करालवंदना धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्। कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युतमाला विभूषिताम॥


पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्। वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥


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यह भौतिक नहीं, बल्कि लोक से परे आलौकिक रूप है, सूक्ष्म तरह से, सूक्ष्म रूप। इसकी अनुभूति के लिये पहला कदम ध्यान में बैठना है। ध्यान में आप ब्रह्मांड को अनुभव करते हैं। इसीलिये बुद्ध ने कहा है, आप बस देवियों के विषय में बात ही करते हैं, जरा बैठिये और ध्यान करिये। ईश्वर के विषय में न सोचिये। शून्यता में जाईये, अपने भीतर। एक बार आप वहां पहुँच गये, तो अगला कदम वो है, जहां आपको विभिन्न मन्त्र, विभिन्न शक्तियाँ दिखाई देंगी, वो सभी जागृत होंगी।


बौद्ध मत में भी, वे इन सभी देवियों का पूजन करते हैं। इसलिये, यदि आप ध्यान कर रहे हैं, तो सभी यज्ञ, सभी पूजन अधिक प्रभावी हो जायेंगे। नहीं तो उनका इतना प्रभाव नहीं होगा। यह ऐसे ही है, जैसे कि आप नल तो खोलते हैं, परन्तु गिलास कहीं और रखते हैं, नल के नीचे नहीं। पानी तो आता है, पर आपका गिलास खाली ही रह जाता है। या फिर आप अपने गिलास को उलटा पकड़े रहते हैं। 10 मिनट के बाद भी आप इसे हटायेंगे, तो इसमें पानी नहीं होगा। क्योंकि आपने इसे ठीक प्रकार से नहीं पकड़ा है।


सभी पूजन ध्यान के साथ शुरू होते हैं और हजारों वर्षों से इसी विधि का प्रयोग किया जाता है। ऐसा पवित्र आत्मा के सभी विविध तत्वों को जागृत करने के लिये, उनका आह्वाहन करने के लिये किया जाता था। हमारे भीतर एक आत्मा है। उस आत्मा की कई विविधतायें हैं, जिनके कई नाम, कई सूक्ष्म रूप हैं और नवरात्रि इन्हीं सब से जुड़े हैं – इन सब तत्वों का इस धरती पर आवाहन, जागरण और पूजन करना।


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नवरात्रि में देवी को खुश करने में पूजन-अर्चना के आलावा उनके भोग का भी विशेष महत्व होता है। ऐसे में जरूरी है कि नवरात्रि के दिन और उनसे सम्बंधित देवी मां की पसंद के हिसाब से ही भोग अर्पित किए जाएं। ऐसा करने से पूजा के फल में बहुत वृद्धि होती है।

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ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया की माँ दुर्गा की पूजन और आराधना के लिए पूर्व और दक्षिण अच्छी मानी जाती है। इसमें भी पूर्व की दिशा सर्वोत्तम होती है। इस दिशा को ज्ञान, बुद्धि और विवेक की दिशा माना जाता है। इसलिए जब आप माता की स्थापना करें तो उनकी स्थापना पूर्व दिशा में ही करें। इससे आपको अपनी पूजा का पूरा लाभ मिलेगा।

इसके अतिरिक्त नवरात्रि में अखण्ड जोत के लिए गाय के देसी घी का इस्तेमाल करना अच्छा माना जाता है। जब आप पूजा करते हैं तो आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। साथ ही आप माता की जोत की स्थापना कुछ इस तरह करें कि वह आपके सीधे हाथ पर हो। यह पूजा स्थान का अग्निकोण होता है। वहीं पूजा की अन्य सामग्री किसी भी दिशा में रखी जा सकती है।


आमतौर पर वास्तुशास्त्र में यह नियम निर्धारित है कि अग्नि से संबंधित कोई भी सामग्री नार्थ-ईस्ट अर्थात ईशान कोण में नहीं रखनी चाहिए लेकिन माता की जोत के साथ यह नियम लागू नहीं होता क्योंकि माता की ज्योति की सकारात्मकता इतनी अधिक होती है कि अगर आप उसे ईशान कोण में रखते हैं तो उसकी सकारात्मकता न सिर्फ उस दिशा की बल्कि पूरे घर की नकारात्मकता को खत्म कर देती है।

नवरात्रि के दिनों में अगर आपके पास कोई स्फटिक या पीतल का श्रीयंत्र है तो उसे पूजा स्थल में अवश्य रखें। इससे आपके लिए धन लाभ के योग बनते हैं। आप यह श्रीयंत्र नवरात्रि के किसी भी दिन स्थापित कर सकते हैं। ध्यान रखें कि आजकल बाजार में प्लास्टिक के श्रीयंत्र भी मिलते हैं, इन्हें पूजाघर में कभी न रखें। इससे आपको किसी प्रकार का लाभ प्राप्त नहीं होगा।

माता की चौकी के लिए लकड़ी या शुद्ध धातु जैसे चांदी या सोने का प्रयोग किया जा सकता है। लेकिन गलती से भी इसके लिए कभी भी प्लास्टिक की चौकी का इस्तेमाल न करें। इसके अतिरिक्त आप अपने पूजा स्थान में शुभ और मंगलदायक रंग जैसे लाल और पीले रंग का ही उपयोग में लेने चाहिए। उदाहरण के लिए माता की चौकी में इस्तेमाल किए जाने वाले कपड़े, पूजा के फल और फूल आदि में लाल और पीले रंग को ही महत्ता प्रदान करें। इस उपाय से घर में सकारात्मकता आती है। पीला रंग जहां ज्ञान, बुद्धि और विवेक के देवता सूर्य का प्रतीक है, वहीं लाल रंग शक्ति और मंगल को दर्शाता है।

वास्तु नियमानुसार आप जहां पर बैठकर पूजा कर रहे हैं उसके नीचे कभी भी लटका हुआ बीम नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा है तो आप वहां से थोड़ा हटकर बैठें। अगर आप ऐसा नहीं करते तो आपको पूजा का पूरा फल प्राप्त नहीं होता।

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शारदीय नवरात्रि 2019 पर बन रहे है ये विशेष योग--

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इस नवरात्रि में बन रहा कलश स्थापना और सुख समृद्धि दायक संयोग--


इस बार कलश स्थापना के दिन ही सुख समृद्धि के कारक ग्रह शुक्र का उदय होना बेहद शुभ फलदायी है। शुक्रवार का संबंध देवी लक्ष्मी से है। नवरात्र के दिनों में देवी के सभी रूपों की पूजा होती है। शुक्र का उदित होना भक्तों के लिए सुख-समृद्धि दायक है। धन की इच्छा रखने वाले भक्त नवरात्र दे दिनों में माता की उपासना करके अपनी आर्थिक परेशानी दूर कर सकते हैं। इस दिन बुध का शुक्र के घर तुला में आना भी शुभ फलदायी है।


इस नवरात्र में 4 सर्वार्थ सिद्धि योग---


इस साल की नवरात्र इसलिए भी खास है क्योंकि इस बार पूरे नवरात्र के दौरान 4 सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं। ऐसे में साधकों को सिद्धि प्राप्त करने के पर्याप्त अवसर मिल रहे हैं। इस दौरान सभी शुभ काम शुरू कर सकते हैं। 29 सितंबर 2019, 2,6 और 7 अक्टूबर 2019 को भी यह शुभ योग बन रहा है।


इस शारदीय नवरात्र में बना अमृत सिद्धि योग--


इस वर्ष नवरात्र में दूसरे पूजा यानी 30 सितंबर, चौथे पूजा यानी 2 अक्टूबर को अमृत सिद्धि नामक शुभ योग बन रहा है।


इस वर्ष 2019 की शारदीय नवरात्र का आरंभ हस्त नक्षत्र में--


इस वर्ष नवरात्र का आरंभ हस्त नक्षत्र में होने जा रहा है। इस नक्षत्र में ही कलश स्थापन जाएगा। हस्त नक्षत्र को 26 नक्षत्रों में 13वां और शुभ माना गया है। इसके स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं। इस नक्षत्र को ज्ञान, मुक्ति और मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है। इस नक्षत्र में कलश में जल भरकर पूजा का संकल्प लेना शुभ फलदायी माना गया है।


इस शुभ संयोग में होगा कलश स्थापना---


29 सितंबर को नवरात्र आरंभ होगा। इसी दिन भक्त 10 दिनों तक माता की श्रद्धा भाव से पूजा का संकल्प लेकर कलश बैठाएंगे, जिसे घट स्थापना भी कहते हैं। पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार इस बार कलश स्थापना के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और द्विपुष्कर नामक शुभ योग बन रहा है। ये सभी घटनाएं नवरात्र का शुभारंभ कर रहे हैं।


इन शारदीय नवरात्र में आ रहे हैं दो सोमवार और रविवार--


इस बार नवरात्र का आरंभ रविवार को हो रहा है और इसका समापन मंगलवार को होगा। ऐसे में नवरात्र में दो सोमवार और दो रविवार आने वाले हैं। पहले सोमवार को देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी और अंतिम सोमवार को महानवमी के दिन सिद्धिदात्री की पूजा होगी। नवरात्र में दो सोमवार का होना शुभ फलदायी माना गया हैं।


इस नवरात्र में बन रहा रवि योग--


इस वर्ष की शारदीय नवरात्र में तीन दिन रवियोग बन रहा है। तीसरी पूजा यानी 1 अक्टूबर, छठे पूजा यानी 4 अक्टूबर और 7वीं पूजा यानी 5 अक्टूबर 2019 को यह शुभ योग बना है। 8 अक्टूबर 2019 को इसी योग में विजयादशमी का त्योहार भी मनाया जाएगा। इसी योग में देवी का विसर्जन भी होगा।



यह नवरात्र होगा पूरे 9 दिन का--


नवरात्र 9 दिनों का होता है और दसवें दिन देवी विसर्जन के साथ नवरात्र का समापन होता है लेकिन ऐसा हो पाना दुर्लभ संयोग माना गया है क्योंकि कई बार तिथियों का क्षय हो जाने से नवरात्र के दिन कम हो जाते हैं। लेकिन इस बार पूरे 9 दिनों की पूजा होगी और 10 वें दिन देवी की विदाई होगी। यानी 29 सितंबर 2019 से आरंभ होकर 7 अक्टूबर को नवमी की पूजा होगी और 8 अक्टूबर 2019 को देवी वसर्जन होगा।

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नवरात्रि में यदि आप अपनी राशि के अनुसार देवी का चयन कर साधना विधानपूर्वक करें तो आपको अवश्य ही सफलता प्राप्त होगी।


इस नवरात्रि ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी से जानिए आपकी राशि के अनुसार आपको किस देवी की पूजा करनी चाहिए ताकि आपको इच्छित फल मिल सके।


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शैलपुत्री---

देवी दुर्गा का प्रथम स्वरूप है शैलपुत्री। मां का यह स्वरूप चंद्रमा से संबंधित है। इसलिए प्रथम दिन शैलपुत्री माता का पूजन करने से चंद्र से जुड़े समस्त दोष समाप्त हो जाते हैं। ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया की चंद्र की अनुकूलता होने से मानसिक सुख-शांति प्राप्त होती है। देवी दुर्गा जी पहले स्वरूप में 'शैलपुत्री' के कपड़ों का रंग लाल होता है।ऐसे में आप भी लाल रंग पहन सकते हैं।

वृश्चिक राशि वाले जातकों को भगवती तारा या माता शैलपुत्री की उपासना करनी चाहिए।

नवरात्र के पहले दिन देवी शैलपुत्री के स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन माता को गाय के दूध से बने पकवानों का भोग लगाया जाता है। पिपरमिंट युक्त मीठे मसाला पान, अनार और गुड़ से बने पकवान भी देवी को अर्पण किए जाते हैं। पहले दिन घी नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता है। शंकरजी की पत्नी एवं नव दुर्गाओं में प्रथम शैलपुत्री दुर्गा का महत्व और शक्तियां अनंत है। इस दिन मां को घी का भोग लगाने से भक्त निरोगी रहते हैं और उनके सारे दुःख ख़त्म होते हैं। मेष राशि के जातक को भगवती तारा, नील-सरस्वती या माता शैलपुत्री की साधना करनी से लाभ मिलता हैं।


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मां शैलपुत्री का यह मंत्र करेगा आपका कल्याण --

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।


नवरात्रि उत्सव के दौरान माँ दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों का सम्मान किया जाता है,एवं पूजा जाता है।जिसे नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता है। माँ दुर्गा का पहला ईश्वरीय स्वरुप शैलपुत्री है,शैल का मतलब शिखर।शास्त्रों में शैलपुत्री को पर्वत (शिखर) की बेटी के नाम से जाना जाता है।आमतौर पर यह समझा जाता है,कि देवी शैलपुत्री कैलाश पर्वत की पुत्री है।लेकिन यह बहुत ही निम्न स्तर की सोच है।किन्तु इसका योग के मार्ग पर वास्तविक अर्थ है-चेतना का सर्वोच्चतम स्थान।यह बहुत दिलचस्प है,जब ऊर्जा अपने चरम स्तर पर है,तभी आप इसका अनुभव कर सकते है,इससे पहले कि यह अपने चरम स्तर पर न पहुँच जाए,तब तक आप इसे समझ नहीं सकते। क्योंकि चेतना की अवस्था का यह सर्वोत्तम स्थान है,जो ऊर्जा के शिखर से उत्पन्न हुआ है।यहाँ पर शिखर का मतलब है,हमारे गहरे अनुभव या गहन भावनाओं का सर्वोच्चतम स्थान। जब आप १००% गुस्से में होते हो तो आप महसूस करोगे कि गुस्सा आपके शरीर को कमजोर कर देता है।दरअसल हम अपने गुस्से को पूरी तरह से व्यक्त नहीं करते,जब आप १००% क्रोध में होते हैं,यदि पूरी तरह से क्रोध को आप व्यक्त करें तो आप इस स्थिति से जल्द ही बाहर निकल सकते है। जब आप १००%(100 प्रतिशत) किसी भी चीज में होते है, तभी उसका उपभोग कर सकते है,ठीक इसी तरह जब क्रोध को आप पूरी तरह से व्यक्त करेंगे तब ऊर्जा की उछाल का अनुभव करेंगे,और साथ ही तुरंत क्रोध से बाहर निकल जाएंगे। क्या आपने देखा है कि बच्चे कैसे व्यवहार करते हैं? जो भी वे करते हैं, वे 100% करते हैं।अगर वे गुस्से में हैं, तो वे उस पल में 100% गुस्से में हैं, और फिर तुरंत कुछ ही मिनटों के बाद वे उस क्रोध को भी छोड़ देते हैं।अगर वे नाराज हो जाते हैं, तो भी वे थक नहीं जाते हैं।लेकिन अगर आप गुस्सा हो जाते हैं,तो आपका गुस्सा आपको थका देता है।ऐसा क्यों है? ऐसा इसलिए है,क्योंकि आप अपना क्रोध 100% व्यक्त नहीं करते हैं।अब इसका मतलब यह नहीं है,कि आप हर समय नाराज हो जाएँ।तब आपको उस परेशानी का भी सामना करना पड़ेगा जिसकी वजह से क्रोध आता है।


जब आप किसी भी अनुभव या भावनाओँ के शिखर तक पहुंचते हैं,तो आप दिव्य चेतना के उद्भव का अनुभव करते हैं,क्योंकि यह चेतना का सर्वोत्तम शिखर है।शैलपुत्री का यही वास्तविक अर्थ है।

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ब्रह्मचारिणी

देवी दुर्गा का दूसरा स्वरूप है ब्रह्मचारिणी। देवी के इस स्वरूप का संबंध मंगल से है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का पूजन करने से मंगल ग्रह से जुड़ी समस्त पीड़ाएं दूर हो जाती है। इससे रोग दूर होते हैं और आत्मविश्वास, आत्मबल में वृद्धि होती है।नवरात्र के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना में गहरे नीले (रॉयल ब्लू) रंग का उपयोग लाभदायक रहता हैं।

वृषभ एवम तुला राशि वाले जातक को श्री विद्या में माता षोडशी या माता ब्रह्मचारिणी की उपासना करनी चाहिए।नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा की ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा होती है। मातारानी को को चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगाया जाता है। देवी को इस दिन पान-सुपाड़ी भी चढ़ाएं।

मां ब्रह्मचारिणी का यह मंत्र करेगा आपका कल्याण--

ॐ देवी ब्रह्मचारिणी नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।


वह जिसका कोई आदि या अंत न हो,वह जो सर्वव्याप्त,सर्वश्रेष्ठ है और जिसके पार कुछ भी नहीं।जब आप आँखे बंद करके ध्यानमग्न होते हैं,तब आप अनुभव करते हैं,कि ऊर्जा अपनी चरम सीमा,या शिखर पर पहुँच जाती है,वह देवी माँ के साथ एक हो गयी है और उसी में ही लिप्त हो गयी है। दिव्यता, ईश्वर आपके भीतर ही है, कहीं बाहर नहीं।


आप यह नहीं कह सकते कि, ‘मैं इसे जानता हूँ’, क्योंकि यह असीम है; जिस क्षण ‘आप जान जाते हैं’, यह सीमित बन जाता है और अब आप यह नहीं कह सकते कि, “मैं इसे नहीं जानता”, क्योंकि यह वहां है – तो आप कैसे नहीं जानते? क्या आप कह सकते हैं कि “मैं अपने हाथ को नहीं जानता।” आपका हाथ तो वहां है, है न? इसलिये, आप इसे जानते हैं। और साथ ही में यह अनंत है अतः आप इसे नहीं जानते | यह दोनों अभिव्यक्ति एक साथ चलती हैं। क्या आप एकदम हैरान, चकित या द्वन्द में फँस गए!


अगर कोई आपसे पूछे कि “क्या आप देवी माँ को जानते हैं ?” तब आपको चुप रहना होगा क्योंकि अगर आपका उत्तर है कि “मैं नहीं जानता” तब यह असत्य होगा और अगर आपका उत्तर है कि “हाँ मैं जानता हूँ” तो तब आप अपनी सीमित बुद्धि से, ज्ञान से उस जानने को सीमा में बाँध रहे हैं। यह ( देवी माँ ) असीमित, अनन्त हैं जिसे न तो समझा जा सकता है न ही किसी सीमा में बाँध कर रखा जा सकता है।“जानने” का अर्थ है कि आप उसको सीमा में बाँध रहे हैं। क्या आप अनन्त को किसी सीमा में बांध कर रख सकते हैं? अगर आप ऐसा सकते हैं तो फिर वह अनन्त नहीं।


ब्रह्मचारिणी का अर्थ है वह जो असीम, अनन्त में विद्यमान, गतिमान है। एक ऊर्जा जो न तो जड़ न ही निष्क्रिय है, किन्तु वह जो अनन्त में विचरण करती है। यह बात समझना अति महत्वपूर्ण है – एक गतिमान होना, दूसरा विद्यमान होना। यही ब्रह्मचर्य का अर्थ है।इसका अर्थ यह भी है की तुच्छता, निम्नता में न रहना अपितु पूर्णता से रहना। कौमार्यावस्था ब्रह्मचर्य का पर्यायवाची है क्योंकि उसमें आप एक सम्पूर्णता के समक्ष हैं न कि कुछ सीमित के समक्ष। वासना हमेशा सीमित बँटी हुई होती है, चेतना का मात्र सीमित क्षेत्र में संचार। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी सर्व-व्यापक चेतना है।

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चंद्रघंटा

देवी का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करता है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का पूजन करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। जीवन में आकर्षण, सौंदर्य, प्रेम में वृद्धि होती है। भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति होती है। नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा के दौरान पीले रंग के कपड़े पहनना अच्छा माना जाता है।


देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा को दूध या दूध से बनी चीजें अर्पित करनी चाहिए।

गुड़ और लाल सेब भी मैय्या को बहुत पसंद है। ऐसा करने से सभी बुरी शक्तियां दूर भाग जाती हैं।मिथुन एवम कन्या राशि वाले जातक को माता भुवनेश्वरी या माता चन्द्रघंटा की उपासना करनी चाहिए।


मां चंद्रघण्टा का यह मंत्र करेगा आपका कल्याण--

ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु माँ चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि चन्द्रमा हमारे मन का प्रतीक है। मन का अपना ही उतार चढ़ाव लगा रहता है। प्राय:, हम अपने मन से ही उलझते रहते हैं – सभी नकारात्मक विचार हमारे मन में आते हैं, ईर्ष्या आती है, घृणा आती है और आप उनसे छुटकारा पाने के लिये और अपने मन को साफ़ करने के लिये संघर्ष करते हैं।


जैसे ही हमारे मन में नकरात्मक भाव, विचार आते हैं तो हम निरुत्साहित, अशांत महसूस करते हैं। हम विभिन्न तरीकों से इनसे पीछा छुड़ाने की कोशिश करते हैं पर यह मात्र कुछ समय के लिए ही काम करता है। कुछ समय पश्चात वही विचार फिर हमें घेर लेते हैं और वापिस वहीँ पहुँच जाते हैं जहाँ से हमने शुरुआत करी थी। अतः इन विचारों से पीछा छुड़ाने के संघर्ष में न फँसे। ‘चंद्र’ हमारी बदलती हुई भावनाओं, विचारों का प्रतीक है (ठीक वैसे ही जैसे चन्द्रमा घटता व बढ़ता रहता है)। ‘घंटा’ का अर्थ है जैसे मंदिर के घण्टे-घड़ियाल (bell)। आप मंदिर के घण्टे-घड़ियाल को किसी भी प्रकार बजाएँ, हमेशा उसमे से एक ही ध्वनि आती है। इसी प्रकार एक अस्त-व्यस्त मन जो विभिन्न विचारों, भावों में उलझा रहता है, जब एकाग्र होकर ईश्वर के प्रति समर्पित हो जाता है, तब ऊपर उठती हुई दैवीय शक्ति का उदय होता है - और यही चन्द्रघण्टा/चन्द्रघंटा का अर्थ है।


एक ऐसी स्थिति जिसमे हमारा अस्त-व्यस्त मन एकाग्रचित्त हो जाता है। अपने मन से भागे नहीं - क्योंकि यह मन एक प्रकार से दैवीय रूप का प्रतीक, अभिव्यक्ति है। यही दैवीय रूप दुःख, विपत्ति, भूख और यहाँ तक कि शान्ति में भी मौजूद है। सार यह कि सबको एक साथ लेकर चलें - चाहे ख़ुशी हो या गम - सब विचारों, भावनाओं को एकत्रित करते हुए एक विशाल घण्टे -घड़ियाल के नाद की तरह। देवी के इस नाम ‘चन्द्रघण्टा/चन्द्रघंटा’ का यही अर्थ है और तृतीय नवरात्रि के उपलक्ष्य में इसे मनाया जाता है।


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कुष्मांडा

नवरात्रि के चौथे दिन देवी के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है। देवी का यह स्वरूप सूर्य से संबंधित है। इनकी पूजा से सूर्य ग्रह से मिल रही पीड़ाएं दूर हो जाती है। मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। आर्थिक तरक्की होती है।नवरात्र-पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी की उपासन के लिए हरे रंग का उपयोग लाभदायक रहेगा।माता के चौथे स्वरूप की उपासना करने से जटिल से जटिल रोगों से मुक्ति मिलती है और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। देवी के इस रूप की कृपा से निर्णंय लेने की क्षमता में वृद्धि एवं मानसिक शक्ति अच्छी रहती हैं। इस तिथि को मालपुआ का भोग लगाना अच्छा होता हैं। भोग लगाने के बाद उसे बच्चों में वितरित करने से पुण्य फलों में वृद्धि होती हैं।

कूष्माण्डा का संस्कृत में अर्थ होता है लौकी,कद्दू। अब अगर आप किसी को मज़ाक में लौकी, कद्दू पुकारेंगे तो वह बुरा मान जाएंगे और आपके प्रति क्रोधित होंगे।लौकी, कद्दू गोलाकार है।अतः यहाँ इसका अर्थ प्राणशक्ति से है - वह प्राणशक्ति जो पूर्ण, एक गोलाकार, वृत्त की भांति।


मां कूष्माण्डा का यह मंत्र करेगा आपका कल्याण--

ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


भारतीय परंपरा के अनुसार लौकी, कद्दू का सेवन मात्र ब्राह्मण, महा ज्ञानी ही करते थे। अन्य कोई भी वर्ग इसका सेवन नहीं करता था। लौकी, कद्दू आपकी प्राणशक्ति, बुद्धिमत्ता और शक्ति को बढ़ाते है। लौकी, कद्दू के गुण के बारे में ऐसा कहा गया है, कि यह प्राणों को अपने अंदर सोखती है, और साथ ही प्राणों का प्रसार भी करती है। यह इस धरती पर सबसे अधिक प्राणवान और ऊर्जा प्रदान करने वाली शाक, सब्ज़ी है। जिस प्रकार अश्वथ का वृक्ष २४ घंटे ऑक्सीजन देता है उसी प्रकार लौकी, कद्दू ऊर्जा को ग्रहण या अवशोषित कर उसका प्रसार करते है।


सम्पूर्ण सृष्टि - प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष , अभिव्यक्त व अनभिव्यक्‍त - एक बड़ी गेंद , गोलाकार कद्दू के समान है। इसमें हर प्रकार की विविधता पाई जाता है - छोटे से बड़े तक।


‘कू’ का अर्थ है छोटा, ‘ष् ’ का अर्थ है ऊर्जा और ‘अंडा’ का अर्थ है ब्रह्मांडीय गोला – सृष्टि या ऊर्जा का छोटे से वृहद ब्रह्मांडीय गोला। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में ऊर्जा का संचार छोटे से बड़े में होता है। यह बड़े से छोटा होता है और छोटे से बड़ा; यह बीज से बढ़ कर फल बनता है और फिर फल से दोबारा बीज हो जाता है। इसी प्रकार, ऊर्जा या चेतना में सूक्ष्म से सूक्ष्मतम होने की और विशाल से विशालतम होने का विशेष गुण है,जिसकी व्याख्या कूष्मांडा करती हैं,देवी माँ को कूष्मांडा के नाम से जाना जाता है। इसका अर्थ यह भी है, कि देवी माँ हमारे अंदर प्राणशक्ति के रूप में प्रकट रहती हैं।


कुछ क्षणों के लिए बैठकर अपने आप को एक कद्दू के समान अनुभव करें। इसका यहाँ पर यह तात्पर्य है कि अपने आप को उन्नत करें और अपनी प्रज्ञा, बुद्धि को सर्वोच्च बुद्धिमत्ता जो देवी माँ का रूप है, उसमें समा जाएँ। एक कद्दू के समान आप भी अपने जीवन में प्रचुरता बहुतायत और पूर्णता अनुभव करें। साथ ही सम्पूर्ण जगत के हर कण में ऊर्जा और प्राणशक्ति का अनुभव करें। इस सर्वव्यापी, जागृत, प्रत्यक्ष बुद्धिमत्ता का सृष्टि में अनुभव करना ही कूष्माण्डा है।


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स्कंदमाता

देवी स्कंदमाता की पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन की जाती है। देवी का यह स्वरूप बुध ग्रह को नियंत्रित करता है। मां स्कंदमाता की पूजा करने से बुद्धि, ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है। आर्थिक स्थिति में सुधार आता है। कार्य में लाभ प्राप्त होता है।नवरात्रि के पांचवें दिन भूरा (ग्रे) रंग पहनना शुभ माना जाता है।इस बार पांचवें दिन सरस्वती माता की पूजा की जाएगी। इस दिन देवी स्कंदमाता की की गई पूजा से भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है। नवरात्र के पांचवे दिन देवी को शारीरिक कष्टों के निवारण के लिए माता का भोग केले का लगाएं फिर इसे प्रसाद के रूप में दान करें। इस दिन बुद्धि में वृद्धि के लिए माता को मंत्रों के साथ छह इलायची भी चढ़ाएं।

देवी माँ का पाँचवाँ रूप स्कंदमाता के नाम से प्रचलित है। भगवान् कार्तिकेय का एक नाम स्कन्द भी है जो ज्ञानशक्ति और कर्मशक्ति के एक साथ सूचक है। स्कन्द इन्हीं दोनों के मिश्रण का परिणाम है। स्कन्दमाता वो दैवीय शक्ति है,जो व्यवहारिक ज्ञान को सामने लाती है – वो जो ज्ञान को कर्म में बदलती हैं।



मां स्कंदमाता का यह मंत्र करेगा आपका कल्याण--

ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


शिव तत्व आनंदमय, सदैव शांत और किसी भी प्रकार के कर्म से परे का सूचक है। देवी तत्व आदिशक्ति सब प्रकार के कर्म के लिए उत्तरदायी है। ऐसी मान्यता है कि देवी इच्छा शक्ति, ज्ञान शक्ति और क्रिया शक्ति का समागम है। जब शिव तत्व का मिलन इन त्रिशक्ति के साथ होता है तो स्कन्द का जन्म होता है। स्कंदमाता ज्ञान और क्रिया के स्रोत, आरम्भ का प्रतीक है.इसे हम क्रियात्मक ज्ञान अथवा सही ज्ञान से प्रेरित क्रिया, कर्म भी कह सकते हैं।


प्रायः ऐसा देखा गया की है कि ज्ञान तो है, किंतु उसका कुछ प्रयोजन या क्रियात्मक प्रयोग नहीं होता। किन्तु ज्ञान ऐसा भी है, जिसका ठोस प्रोयोजन, लाभ है, जिसे क्रिया द्वारा अर्जित किया जाता है। आप स्कूल, कॉलेज में भौतिकी, रसायन शास्त्र पड़ते हैं जिसका प्रायः आप दैनिक जीवन में कुछ अधिक प्रयोग करते। और दूसरी ओर चिकित्सा पद्धति, औषधि शास्त्र का ज्ञान दिन प्रतिदिन में अधिक उपयोग में आता है। जब आप टेलीविज़न ठीक करना सीख जाते हैं तो अगर कभी वो खराब हो जाए तो आप उस ज्ञान का प्रयोग कर टेलीविज़न ठीक कर सकते हैं। इसी तरह जब कोई मोटर खराब हो जाती है तो आप उसे यदि ठीक करना जानते हैं तो उस ज्ञान का उपयोग कर उसे ठीक कर सकते हैं। इस प्रकार का ज्ञान अधिक व्यवहारिक ज्ञान है। अतः स्कन्द सही व्यवहारिक ज्ञान और क्रिया के एक साथ होने का प्रतीक है। स्कन्द तत्व मात्र देवी का एक और रूप है।


हम अक्सर कहते हैं, कि ब्रह्म सर्वत्र, सर्वव्यापी है, किंतु जब आपके सामने अगर कोई चुनौती या मुश्किल स्थिति आती है, तब आप क्या करते हैं? तब आप किस प्रकार कौनसा ज्ञान लागू करेंगे या प्रयोग में लाएँगे? समस्या या मुश्किल स्थिति में आपको क्रियात्मक होना पड़ेगा। अतः जब आपका कर्म सही व्यवहारिक ज्ञान से लिप्त होता है तब स्कन्द तत्व का उदय होता है। और देवी दुर्गा स्कन्द तत्व की माता हैं।

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कात्यायनी

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। देवी का यह स्वरूप बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करता है। मां कात्यायनी की पूजा से बृहस्पति के दुष्प्रभाव दूर होते हैं। जीवन में संयम, धैर्य और प्रसिद्धि में वृद्धि में होती है। नवरात्रि के छठे दिन लोगों को नारंगी (ऑरेंज) रंग के कपड़े पहनने चाहिए।देवी माँ कात्यायनी की आराधना से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन शहद का भोग लगाकर मां कात्यायनी को प्रसन्न किया जाता है।

इस दिन देवी को प्रसन्न करने के लिए शहद और मीठे पान का भोग लगाया जाता हैं। सूक्ष्म जगत जो अदृश्य, अव्यक्त है, उसकी सत्ता माँ कात्यायनी चलाती हैं। वह अपने इस रूप में उन सब की सूचक हैं, जो अदृश्य या समझ के परे है। माँ कात्यायनी दिव्यता के अति गुप्त रहस्यों की प्रतीक हैं।


मां कात्यायनी का यह मंत्र करेगा आपका कल्याण --

ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


क्रोध किस प्रकार से सकारात्मक बल का प्रतीक है और कब यह नकारात्मक आसुरी शक्ति का प्रतीक बन जाता है ? इन दोनों में तो बहुत गहरा भेद है। आप सिर्फ़ ऐसा मत सोचिये कि क्रोध मात्र एक नकारात्मक गुण या शक्ति है। क्रोध का अपना महत्व, एक अपना स्थान है। सकारात्मकता के साथ किया हुआ क्रोध बुद्धिमत्ता से जुड़ा होता है,और वहीं नकारात्मकता से लिप्त क्रोध भावनाओं और स्वार्थ से भरा होता है। सकारात्मक क्रोध एक प्रौढ़ बुद्धि से उत्पन्न होता है। क्रोध अगर अज्ञान, अन्याय के प्रति है तो वह उचित है। अधिकतर जो कोई भी क्रोधित होता है वह सोचता है कि उसका क्रोध किसी अन्याय के प्रति है अतः वह उचित है! किंतु अगर आप गहराई में, सूक्ष्मता से देखेंगे तो अनुभव करेंगे कि ऐसा वास्तव में नहीं है। इन स्थितियों में क्रोध एक बंधन बन जाता है। अतः सकारात्मक क्रोध जो अज्ञान, अन्याय के प्रति है, वह माँ कात्यायनी का प्रतीक है।


आपने बहुत सारी प्राकृतिक आपदाओं के बारे में सुना होगा। कुछ लोग इसे प्रकृति का प्रकोप भी कहते हैं। उदाहरणतः बहुत से स्थानों पर बड़े - बड़े भूकम्प आ जाते हैं या तीव्र बाढ़ का सामना करना पड़ता है। यह सब घटनाएँ देवी कात्यायनी से सम्बन्धित हैं। सभी प्राकृतिक विपदाओं का सम्बन्ध माँ के दिव्य कात्यायनी रूप से है। वह क्रोध के उस रूप का प्रतीक हैं जो सृष्टि में सृजनता, सत्य और धर्म की स्थापना करती हैं। माँ का दिव्य कात्यायनी रूप अव्यक्त के सूक्ष्म जगत में नकारात्मकता का विनाश कर धर्म की स्थापना करता है। ऐसा कहा जाता है कि ज्ञानी का क्रोध भी हितकर और उपयोगी होता है,जबकि अज्ञानी का प्रेम भी हानिप्रद हो सकता है। इस प्रकार माँ कात्यायनी क्रोध का वो रूप है, जो सब प्रकार की नकारात्मकता को समाप्त कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।


कालरात्रि

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नवरात्रि के सातवें दिन देवी के कालरात्रि स्वरूप की पूजा की जाती है। देवी का यह स्वरूप शनि ग्रह से संबंधित है। इसलिए सप्तम दिन पूजन करने से शनि की पीड़ा शांत होती है। शनि की साढ़ेसाती, ढैया आदि के दुष्प्रभाव कम होते हैं। नवरात्रि के सातवें दिन सफेद रंग कि कपड़े पहनने चाहिए।


मां कालरात्रि का यह मंत्र करेगा आपका कल्याण---

ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


यह माँ का अति भयावह व उग्र रूप है। सम्पूर्ण सृष्टि में इस रूप से अधिक भयावह और कोई दूसरा नहीं। किन्तु तब भी यह रूप मातृत्व को समर्पित है। देवी माँ का यह रूप ज्ञान और वैराग्य प्रदान करता है।माँ कालरात्रि की पूजा भूत-प्रेतों से मुक्ति दिलवाने वाली होती हैं।देवी कालरात्रि की उपासना करने से सभी दुख दूर होते हैं। इस दिन माता को गुड़ के नैवेद्य का भोग लगाना चाहिए । नकारात्मक शक्तियों से बचने के लिए आप गुड़ का भोग लगा सकते हैं। इसके अलावा नींबू काटकर भी मां को अर्पित कर सकते हैं।

सिंह राशि वाले जातक को माता पीताम्बरा या माता कालरात्रि की उपासना करनी चाहिए।


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महागौरी

देवी का आठवां स्वरूप महागौरी है। इनकी पूजा नवरात्रि के आठवें दिन की जाती है। देवी का यह स्वरूप राहु को नियंत्रित करता है। राहू की पीड़ा होने पर जातक का जीवन अव्यवस्थित हो जाता है। महागौरी की पूजा से राहु शांत होता है। दुर्गा मां की आठवें दिन की पूजा गुलाबी रंग के कपड़े पहनकर करनी चाहिए।



मां महागौरी का यह मंत्र करेें आपका कल्याण--

ॐ देवी महागौर्यै नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


नवरात्र के आंठवें दिन महागौरी के स्वरूप का वंदन किया जाता है। इस दिन नारियल का भोग लगाने से घर में सुख-समृद्धि आती है। मां के इस रूप को नारियल का भोग लगाया जाता हैं। इस भोग से संतान सुख की प्राप्ति होती हैं।

महागौरी की पूजा करने के बाद पूरी, हलवा और चना कन्याओं को खिलाना शुभ माना जाता है। इनकी पूजा से संतान संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

महागौरी का अर्थ है - वह रूप जो कि सौन्दर्य से भरपूर है, प्रकाशमान है - पूर्ण रूप से सौंदर्य में डूबा हुआ है। प्रकृति के दो छोर या किनारे हैं - एक माँ कालरात्रि जो अति भयावह, प्रलय के समान है, और दूसरा माँ महागौरी जो अति सौन्दर्यवान, देदीप्यमान,शांत है - पूर्णत: करुणामयी, सबको आशीर्वाद देती हुईं। यह वो रूप है, जो सब मनोकामनाओं को पूरा करता है।

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सिद्धिदात्री--

माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं।

देवी का नवम स्वरूप सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करता है। इनकी पूजा से केतु ग्रह के दुष्प्रभावों से राहत मिलती है। कर्क,धनु, मकर, कुंभ और मीन राशि वालों को भी माता कमल/काली या माता सिद्धिदात्री की उपासना करनी चाहिए।इन सभी राशि वाले जातक को कमला या माता सिद्धिदात्री की उपासना करने से सफलता मिलती हैं। इनकी पूजा आसमानी रंग (हल्के नील रंग) के कपड़े पहनकर करना शुभ माना जाता है।

नवरात्र के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री को जगत को संचालित करने वाली देवी कहा जाता है। इस दिन माता को हलवा, पूरी, चना, खीर, पुए आदि का भोग लगाएं।कोई भी अनहोनी से बचने के लिए इस दिन मां के भोग में अनार को शामिल किया जाता हैं।


यह मन्त्र करेगा आपका कल्याण--

नवरात्रि का नौवां दिन--

ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥


या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


हमारी प्रार्थना हैं कि ...देवी महागौरी आपको भौतिक जगत में प्रगति के लिए आशीर्वाद और मनोकामना पूर्ण करती हैं, ताकि आप संतुष्ट होकर अपने जीवनपथ पर आगे बढ़ें। माँ सिद्धिदात्री आपको जीवन में अद्भुत सिद्धि, क्षमता प्रदान करती हैं ताकि आप सबकुछ पूर्णता के साथ कर सकें। सिद्धि का क्याअर्थ है? सिद्धि, सम्पूर्णता का अर्थ है – विचार आने से पूर्व ही काम का हो जाना। आपके विचारमात्र, से ही, बिना किसी कार्य किये आपकी इच्छा का पूर्ण हो जाना यही सिद्धि है। आपके वचन सत्य हो जाएँ और सबकी भलाई के लिए हों। आप किसी भी कार्य को करें वो सम्पूर्ण हो जाए - यही सिद्धि है। सिद्धि आपके जीवन के हर स्तर में सम्पूर्णता प्रदान करती है। यही देवी सिद्धिदात्री की महत्ता है।

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ग्रहों की स्थिति कब बदल जाये कुछ कहा नहीं जा सकता, ज्योतिष की मानें तो रोज़ाना किसी न किसी ग्रह में परिवर्तन ज़रूर होता है जिसकी वजह से 12 रशियन प्रभावित होती हैं। तो आइये जानते हैं पं दयानन्द शास्त्री से कि किन-किन राशियों पर है भगवान विष्णु की असीम कृपा और साथ ही कैसा रहेगा आपका आज का दिन । वो 7 भा

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जानिए सिंह राशि के चन्द्रमा, शतभिषा नक्षत्र और कुम्भ राशि के सूर्य का आज आपकी राशि पर क्या प्रभाव डालेगा , पढ़े कैसे रहेंगे ग्रह गोचर/तारे सितारे......

21 फरवरी 2019
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जानिए सिंह राशि के चन्द्रमा, शतभिषा नक्षत्र और कुम्भ राशि के सूर्य का आज आपकी राशि पर क्या प्रभाव डालेगा , पढ़े कैसे रहेंगे ग्रह गोचर/तारे सितारे......मेष आज व्यस्तता भरे दिन के बावजूद आपकी सेहत पूरी तरह दुरुस्त रहेगी। विशेष लोग ऐसी किसी भी योजना में रुपये लगाने के लिए तैय

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इन 5 राशियों पर होगी गौरी पुत्र गणेश की असीम कृपा, होगा भाग्योदय, दूर होंगे सभी संकट

26 फरवरी 2019
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ग्रहों की स्थिति कब बदल जाये कुछ कहा नहीं जा सकता, ज्योतिष की मानें तो रोज़ाना किसी न किसी ग्रह में परिवर्तन ज़रूर होता है जिसकी वजह से 12 रशियन प्रभावित होती हैं। तो आइये जानते हैं पं दयानन्द शास्त्री से कि किन-किन राशियों पर है गौरी पुत्र गणेश की असीम कृपा और साथ ही कैसा रहेगा आपका आज का दिन । मेष व

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जाने भगवान शिव से जुड़े वो रोचक तथ्य जिनके बारे में आप नहीं जानते होंगे......

4 मार्च 2019
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"भगवान शिव का कोई माता-पिता नहीं हैं ! उन्हें अनादि माना गया है! मतलब, जो हमेशा से था, जिसके जन्म की कोई तिथि नही!" कथक, भरतनाट्यम करते वक्त भगवान शिव की जो मूर्ति रखी जाती है, उसे "नटराज" कहते है!" किसी भी देवी-देवता की टूटी हुई मूर्ति की पूजा नही होती! लेकिन शिवलिंग चाहे कितना भी टूट जाए फिर भी पू

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शिवपूजा में बेलपत्र का महत्व

18 जुलाई 2019
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इस सावन जानिए शिवपूजा में बेलपत्र का महत्व..!!!सावन का पवन महीना चल रहा है ऐसे में हम आपको बता रहें है शिवलिंग की पूजा में क्या क्या चढ़ाना चाहिए।भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र प्रयोग होते हैं। बेलपत्र का बहुत महत्व होता है और इनके बिना शिव की उपासना सम्पूर्ण नहीं होती।👉🏻👉🏻👉🏻👉🏻 आइये जानते है ब

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ज्योतिष - परामर्श सेवाएं, दिल्ली में

18 जुलाई 2019
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19,20 एवम 21 जुलाई 2019 (शुक्रवार से रविवार) तक मेरी परामर्श सेवाएं ...नई दिल्ली में उपलब्ध रहेंगी।आज से दिल्ली प्रवास/विश्राम..22 जुलाई 2019 शाम तक।👍👍💐💐💐कमरा नम्बर - 104.होटल पूनम इंटरनेशनल,3169/70, Sangatrashan,बाँके बिहारी मन्दिर के निकट,पहाड़गंज, नई दिल्ली-110055..फोन नम्बर -(011) 41519884👍

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कैसा होगा आपका जीवन साथी ??

18 जुलाई 2019
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यदि आपके माता पिता आपके लिए वर / वधु की तलाश कर रहे हैं और आपका मन कहीं और अटका है तो यह सवाल आपके मन में अवश्य आएगा | किन्ही दो जातकों की जन्म कुंडली देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यह दोनों पति पत्नी बनेंगे या नहीं |इस सम्बन्ध में सटीक भविष्यवाणी करने के पीछे मेरे पास कुछ सिद्धांत हैं जिन्हें

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जाने और समझे कितना उचित हैं बोलते नाम (प्रचलित नाम) से विवाह हेतु गुण मिलान ??

19 जुलाई 2019
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पंचांग के अनुसार नाम से लड़का-लड़की कुंडली मिलान कितना उचित ??--ज्यादातर भारतीय हिन्दू परिवार ज्योतिषी के पास विवाह के लिए श्रेष्ठ कुंडली मिलान या जन्मपत्रिका मिलान के लिए जाते ही हैं, ताकि विवाहित होने वाला जोड़ा किसी प्रकार के दुर्भाग्य का शिकार न हो, और अपनी जिंदगी हंसी ख़ुशी से काट सके. लोग ये विश्व

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Astro World 2019 Exhibition में मेरी कुछ झलकियां

19 जुलाई 2019
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हमारी परामर्श/सलाह/एडवाइज सेवाएं आज 19,20 एवम 21 जुलाई 2019 (शुक्रवार से रविवार) तक मेरी परामर्श सेवाएं ...स्टाल नम्बर #AH,Astro World 2019 Exhibition,कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया,कनॉट प्लेस, नई दिल्ली में उपलब्ध रहेंगी।संपर्क करें--आचार्य अमित तिवारी - 09893016120...ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास

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उज्जैन स्थित 84 महादेव यात्रा का सम्पूर्ण विवरण

22 जुलाई 2019
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चौर्यासी महादेव यात्रा चाहे क्रम अनुसार हो या क्षेत्र अनुसार परन्तु यात्रा का प्रारम्भ और अंत में पुनः दर्शन कर यात्रा का ससंकल्प समापन प्रथम महादेव मंदिर श्री अगस्तेश्वर से ही किया जाता है !(१) 1 /84 : अगस्तेश्वर : हरसिद्धि माता मंदिर के पीछे स्तिथ संतोषी माता मंदिर परिसर में(२) 10/84 : कर्कोटेश्वर

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उज्जैन स्थित 84 महादेवों की विशेष अर्चना श्रावण माह में

22 जुलाई 2019
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महाकाल की नगरी उज्जैन स्थित 84 महादेवों की अर्चना श्रावण माह में विशेष रूप से की जाती है जब पुरुषोत्तम मास (अधिक मास ) आता है, तब भी दर्शन यात्रा की जाती हैं । स्कन्द पुराण के अनुसार ८४ लाख योनियों का भ्रमण करते हुए, मानव योनि में आते है, तो मानव योनि में आने के बाद में ८४ लाख योनियों के भ्रमण म

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जानिए "शिवलिंग" पूजा का प्रारंभ एवं महत्व एवं पूजन विधि

31 जुलाई 2019
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जानिए Shiv Aradhana"शिवलिंग" पूजा का महत्व भगवान शिव अत्यंत ही सहजता से अपने भक्तों की मनोकामना की पूर्ति करने के लिए तत्पर रहते है। भक्तों के कष्टों का निवारण करने में वे अद्वितीय हैं। समुद्र मंथन के समय सारे के सारे देवता अमृत के आकां

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जानिए की कैसे और किस शुभ घड़ी में करें श्रावण मास में भगवान शिव का पूजन

31 जुलाई 2019
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भगवान शिव की भक्ति का प्रमुख माह श्रावण 17 जुलाई 2019 से सम्पूर्ण विश्व मे पूरी श्रद्धा से मनाया जा रहा है। पूरे माह भर भोलेनाथ की पूजा-अर्चना का दौर जारी रहेगा। सभी शिव मंदिरों में श्रावण मास के अंतर्गत विशेष तैयारियां की गई हैं। चारों ओर श्रद्धालुओं द्वारा 'बम-बम भोले और ॐ नम: शिवाय' की गूंज सुना

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जानिए आपकी राशि का दैनिक राशिफल - 01-08-2019

31 जुलाई 2019
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जानिए आपकी राशि का दैनिक राशिफल... rashifal 2019 - 01-08-2019##मेष :- आज धार्मिक कार्य की ओर मन आकर्शित होगा। ईश्वर की अराधना करने से मानसिक शान्ति मिलेगी। परिवार के साथ अच्छा समय व्यतीत होगा। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें।##वृषभ :-आज वाणी का प्रभाव भी अच्छा बना रहेगा।घर के बड़े-बुजुर्गो का सुख और स

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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल... 02-08-2019

31 जुलाई 2019
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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल... 02-08-2019 rashifal 2019##मेष :-आज परिश्रम के बावजूद कम सफलता मिलने से निराशा की भावना आ सकती है।धार्मिक स्थल की यात्रा हो सकती है। पारिवारिक सुख सहयोग मिलेगा।लम्बी यात्रा करने से बचने का प्रयास करें। ##वृषभ :-आज व्यावसायिक कार्यों में सरकारी हस्ताक्षेप

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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल 03-08-2019

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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल 03-08-2019 को##मेष :-आज निर्णय लेने में असंमजस बना रहेगा।मन में कामकाज के प्रति नया उत्साह देखने को मिलेगा।जीवन साथी का सुख सहयोग मिलेगा।अपने स्वास्थ्य का विषेश ध्यान रखें।##वृषभ :- मित्रों के साथ अच्छा समय व्यतीत होगा। कामकाज में लाभ होगा। शरीर में फूर्ति

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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल 04-08-2019

31 जुलाई 2019
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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल 04-08-2019 rashifal2019 ##मेष :-आज कार्य क्षेत्र में हालात आपके अनुकूल नहीं होंगे जिसके कारण कुछ परेशानियाँ खड़ी हो सकती है। दिन की शुरुआत मंदिर जाने से करें मानशिक शांति मिलेगी और काम में भी मन लगेगा। ##वृषभ :- आज आपके स्वभाव में गुस्से की बढ़ोतरी होगी जिस

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जानिए आपकी राशि का दैनिक राशिफल 05-08-2019

31 जुलाई 2019
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जानिए आपकी राशि का दैनिक राशिफल 05-08-2019 को.. rashifal 2019 ##मेष :- आज आमदनी के नए स्रोत बन सकते है। भाग्य का साथ मिलेगा।व्यापार-व्यवसाय में संतोषजनक स्थिति रहेगी।परिवार से लाभ मिल सकता है।वे आपके कार्यों में मदद करेंगे।##वृषभ :- आज के दिन खुशी और सफलता मिल सकती है। पारिवारिक सदस्यों के साथ घर

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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल 06-08-2019

31 जुलाई 2019
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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल 06-08-2019 को rashifal 2019 ##मेष-आज आपका व्यक्तित्व प्रभावशाली बना रहेगा।कामकाज में कुछ नया करने की सोच सकते है। काम काज सामान्य रहेगा। धन का सुख मिलेगा।वाहन के प्रति सावधानी बरतें। ##वृषभ- परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर जो भी कार्य होगा उसमें सफलता मिल

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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल.. 08-08-2019

31 जुलाई 2019
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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल.. 08-08-2019 को rashifal 2019 ##मेष :-धार्मिक आयोजन में शामिल होने से शान्ति मिलेगी।युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकते है। उलझने दूर होंगी।लंबी दूरी की यात्राओ पर जाने की योजना बना सकते है।वाणी पर संयम रखें। ##वृषभ :-आज परिवार का सुख और अच्छा मिलेगा।

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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल 07-08-2019

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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल 07-08-2019 को.. rashifal 2019 ##मेष :- आज कामकाज की अधिकता होने के कारण कुछ चिंतित रहेंगे। कामकाज में आशानुरूप सफलता मिलेगी। मित्र सहयोग करेंगे। परिवार के साथ अच्छा समय व्यतीत होगा। स्वास्थ्य में ताजगी रहेगी।##वृषभ :- आज का दिन युवाओं को रोजगार के नए अवस

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आपकी राशि का दैनिक राशिफल 09-08-2019 को कैसा रहेगा..

31 जुलाई 2019
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आपकी राशि का दैनिक राशिफल 09-08-2019 को कैसा रहेगा..##मेष :- आज आप किसी भी काम की शुरुआत करने से पहले अपने घर के बड़ों से राय-मशवरा जरूर करें और उनसे आशीर्वाद लेकर ही काम प्रारम्भ करें।काम काज सामान्य रहेगा। आज अपने गुस्से पर काबू रखने की जरूरत है। ##वृषभ :- विद्यार्थियों के लिए आज का दिन कुछ खास अच

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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल 10-08-2019

31 जुलाई 2019
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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल 10-08-2019 को rashifal 2019 ##मेष :- आज मेहनत के बलबूते पर अपनी हर मुश्किल काम को आसन कर लेंगे।काम काज सामान्य रहेगा। विद्यार्थियों के लिए आज का दिन अच्छा है शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी । ##वृषभ :- आज काम काज में सामान्य सफलता मिलेगी। कोशिश कर

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जानिए इस वर्ष 2019 में कब करें "हरतालिका तीज व्रत" और क्यो ??

29 अगस्त 2019
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हरतालिका तीज व्रत 2 सितंबर 2019 को ही मनाया जाना शास्त्र सम्मत क्यों होगा??विद्वतजन कृपया ध्यान देंसम्पूर्ण भारतवर्ष में "हरतालिका तीज" सुहागिन महिलाओं द्वारा किए जाने वाले प्रमुख व्रतों में से एक है। यह व्रत पति की लंबी उम्र और मंगल कामना के लिए रखा जाता है। इस दौरान महिलाएं निर्जला व्रत रखकर माता

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विशेष -- श्राद्ध पक्ष 2019 पर---

13 सितम्बर 2019
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ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया की शतभिषा नक्षत्र में शुरू हो रहे पितृ आराधना के पर्व में श्राद्ध करने से सौ प्रकार के तापों से मुक्ति मिलेगी।इस वर्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा पर 13 सितंबर 2019 ( शुक्रवार) को शततारका (शतभिषा) नक्षत्र,धृति योग,वणिज करण एवं कुंभ राशि के चंद्रमा की साक्

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जानिए पितृपक्ष में पितरों के लिए पिण्डदान और श्राद्ध कैसे करें??

13 सितम्बर 2019
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शास्त्रों में मनुष्य के लिए तीन ऋण कहे गये हैं- देव ऋण, ऋषि ऋण व पितृ ऋण। इनमें से पितृ ऋण को श्राद्ध करके उतारना आवश्यक है। क्योंकि जिन माता-पिता ने हमारी आयु, आरोग्यता तथा सुख सौभाग्य की अभिवृद्धि के लिए अनेक प्रयास किये, उनके ऋण से मुक्त न होने पर हमारा जन्म लेना निरर्थक होता है। इसे उतारने में क

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क्या पंचकों में अस्थि संचयन हो सकती है ???

13 सितम्बर 2019
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अंत‌िम संस्कार का शास्‍त्रों में बहुत वर्णन द‌िया गया है क्योंक‌ि इसी से व्यक्त‌ि को परलोक में उत्तम स्थान और अगले जन्म में उत्तम कुल पर‌िवार में जन्म और सुख प्राप्त होता है। गरुड़ पुराण में बताया गया है क‌ि ज‌िस व्यक्त‌ि का अंत‌िम संस्कार नहीं होता है उनकी आत्मा मृत्‍यु के बाद प्रेत बनकर भटकती है औ

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क्या करें मृत आत्मा की शांति के लिए--

14 सितम्बर 2019
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पितृ सदा रहते हैं आपके आस-पास। मृत्यु के पश्चात हमारा और मृत आत्मा का संबंध-विच्छेद केवल दैहिक स्तर पर होता है, आत्मिक स्तर पर नहीं। जिनकी अकाल मृत्यु होती है उनकी आत्मा अपनी निर्धारित आयु तक भटकती रहती है। हमारे पूर्वजों को, पितरों को जब मृत्यु उपरांत भी शांति नहीं मिलती और वे इसी लोक में भटकते रह

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कब और कैसे करें महालय (कनागत या श्राद्ध)वर्ष 2019 में..

14 सितम्बर 2019
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भाद्रपद (भादों मास) की पूर्णिमा से प्रारंभ होकर आश्विन मास की अमावस्या तक कुल सोलह तिथियां श्राद्ध पक्ष की होती है। इस पक्ष में सूर्य कन्या राशि में होता है। इसीलिए इस पक्ष को कन्यागत अथवा कनागत भी कहा जाात है। श्राद्ध का ज्योतिषीय महत्त्व की अपेक्षा धार्मिक महत्व अधिक है क्योंकि यह हमारी धार्मिक आस

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अथ श्री बाटी पुराण कथा- - ऐसे हुआ बाटी का 'आविष्कार' बाटी का

30 सितम्बर 2019
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मालवा का प्रसिद्ध भोजन। कोई भी खास मौका इसके बगैर खास नहीं होता। कई घरों में तो छुट्टी के दिन बाटी बनना अनिवार्य है। नई बहुओं को भी पहले दिन ही परिवार के इस स्वादिष्ट नियम के बारे में बता दिया जाता है। हर घर की पसंद बाटी करीब तीन दिन तक खराब भी नहीं होती है। ऐसे में य

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नवदुर्गा और शारदीय नवरात्रि 2019, आपकी राशि अनुसार कौनसी देवी का पूजन, कोनसा भोग लगाएं ?

30 सितम्बर 2019
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मां दुर्गा का प्रत्येक स्वरूप मंगलकारी है और एक-एक स्वरूप एक-एक ग्रह से संबंधित है। इसलिए नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूप की पूजा प्रत्येक ग्रहों की पीड़ा को शांत करती है।देवी माँ या निर्मल चेतना स्वयं को सभी रूपों में प्रत्यक्ष करती है,और सभी नाम ग्रहण करती है। माँ दुर्गा के नौ रूप और हर नाम में एक

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क्या वास्तु दोष के कारण होते हैं महिलाओं एवं पुरुषों के रोग..????

30 सितम्बर 2019
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वास्तु शास्त्र के प्रसिद्ध ग्रंथ: समरांगण सूत्रधार, मानसार, विश्वकर्मा प्रकाश, नारद संहिता, बृहतसंहिता, वास्तु रत्नावली, भारतीय वास्तु शास्त्र, मुहूत्र्त मार्तंड आदि वास्तुज्ञान के भंडार हैं। अमरकोष हलायुध कोष के अनुसार वास्तुगृह निर्माण की वह कला है, जो ईशान आदि कोण से आरंभ होती है और घर को विघ्नों

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जानिए ब्रह्म स्थान/ ब्रह्म स्थल क्या होता हैं ??

30 सितम्बर 2019
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प्रिय पाठकों/मित्रों, पृथ्वी, आकाश, जल, अग्नि एवं वायु इन पंचतत्वों तथा दसों दिशाओं के कल्याणकारी सूत्र एवं सिद्धान्त ही वास्तु शास्त्र की मूल अवधारणा है। प्रकृति के इन नियमों का पालन मनुष्य किस तरह शारीरिक एवं मानसिक विकास हेतु करके सुखी एवं सम्पन्न रहे, यही वास्तु श

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जानिए आपकी जन्मकुंडली से कब होगी बीमारी या, बीमारी / रोग का प्रकार , समय और निदान

30 सितम्बर 2019
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प्रिय दर्शकों/पाठकों,आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी ,अनियमित जीवनशैली, अनियमित खानपान कई रोगो और समस्याओ को जन्म दे रहे हैं।किसी भी जातक की जन्म कुण्डली से इस बात को जानने में बहुत सहायता मिलती है कि व्यक्ति को कब , क्यों और किस प्रकार के रोगो की सम्भावना है. इसी प्रकार नक्षत्रों का भी रोग विच

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समझें राम मंदिर विवाद, धर्म और भारत की कुंडली को..

24 अक्टूबर 2019
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उज्जैन (मध्यप्रदेश) निवासी आदरणीय पंडित सूर्य नारायण व्यास वह मूर्धन्य विद्वान ज्योतिषी थे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता का मुहूर्त 14 अगस्त की रात्रिकालीन अभिजीत (12 बजे ) या ये कहें की 15 अगस्त की सुबह 00 बजे का निकला था l स्वतंत्र भारत का जन्म 15 अगस्त 1947 को मध्यरात्रि दिल्ली में हुआ था और कुंडल

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जानिए भारत के मुख्य नगरों में दीपावली 2019 के लिए शुभ पूजन मुहूर्त..

24 अक्टूबर 2019
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27 अक्टूबर के दिन पूरा देश दीपावली का शुभ त्यौहार मनाएगा। हर कोई इसकी खरीदारी और तैयारी में लगा हुआ है लेकिन अगर इनमें सबसे अहम बात को जाना जाए तो पूजा सबसे अहम होती है। अगर दीपावली वाले दिन पूजा नहीं हो तो ये दिन मनाने का कोई मतलब नहीं होता है। यहां हम आपको दीपावली मनाने का तरीका और शुभ मुहूर्त के

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जानिए कैसा रहेगा आपके लिए नवम्बर 2019 का राशिफल (आपकी राशिनुसार)

24 अक्टूबर 2019
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मेष ( च, चू, चे, ला, ली, लू, ले, लो, अ ):- जीविका संबंधी महत्वपूर्ण कार्यों में आलस्य न करें. शिक्षा-प्रतियोगिता की दिशा में समुचित परिश्रम की आवश्यकता है. सुख-साधन हेतु व्यय संभव. यात्रा द्वारा कार्य सिद्धि होने का योग है. ==> शुभ रंग : सुनहरा शुभ अंक : 6# आपके लिए उपाय => गुनगुने पानी से सेंधा

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अगर श्री राम का मंदिर तोड़ा गया तो इसका जिक्र तुलसीदास ने क्यों नहीं किया...????

24 अक्टूबर 2019
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सुप्रीमकोर्ट में अब हिंदू और मुस्लिम पक्ष से सारी दलीलें 16 अक्टूबर को ही बंद कर दी गई थी। अब इस राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला दीवाली की छुट्टियों के बाद आ सकता है। पूरा देश अपने-अपने समर्थन में फैसला आने का इंतजार कर रहे हैं मगर क्या आपको ये मामला पूरी तरह से पता है? अगर पता है तो क्या आपको

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जानिए कुछ ज्योतिष ज्योतिषीय उपाय/सुझाव-

24 अक्टूबर 2019
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भारत में जितने भी बड़े-बड़े व्यापारी और सेलिब्रिटीज हैं उनके अपने पर्सनल पंडितजी होते हैं। जिनसे पूछकर ही वे अपने सारे शुभ काम करते हैं। ऐसा हर कोई करता है और धार्मिक गुरु पर उनका ये विश्वास ही उन्हें सच्ची सफलता प्रदान करता है। ज्योतिषीयों के बारे में बहुत सारी बातें होती हैं जिन्हें समझने के लिए ज

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