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जानिए की कैसे और किस शुभ घड़ी में करें श्रावण मास में भगवान शिव का पूजन

31 जुलाई 2019

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भगवान शिव की भक्ति का प्रमुख माह श्रावण 17 जुलाई 2019 से सम्पूर्ण विश्व मे पूरी श्रद्धा से मनाया जा रहा है। पूरे माह भर भोलेनाथ की पूजा-अर्चना का दौर जारी रहेगा। सभी शिव मंदिरों में श्रावण मास के अंतर्गत विशेष तैयारियां की गई हैं। चारों ओर श्रद्धालुओं द्वारा 'बम-बम भोले और ॐ नम: शिवाय' की गूंज सुनाई देगी। शिवालयों में श्रद्धालुओं की अच्छी-खासी भीड़ नजर आएंगी। धार्मिक पुराणों के अनुसार श्रावण मास में शिवजी को एक बिल्वपत्र चढ़ाने से तीन जन्मों के पापों का नाश होता है। एक अखंड बिल्वपत्र अर्पण करने से कोटि बिल्वपत्र चढ़ाने का फल प्राप्त होता है।

साथ ही शिव को कच्चा दूध, सफेद फल, भस्म, भांग, धतूरा, श्वेत वस्त्र अधिक प्रिय होने के कारण यह सभी चीजों खास तौर पर अर्पित की जाती है। इसके साथ ही श्रावण मास शिवपुराण, शिवलीलामृत, शिव कवच, शिव चालीसा, शिव पंचाक्षर मंत्र, शिव पंचाक्षर स्त्रोत, महामृत्युंजय मंत्र का पाठ एवं मंत्र जाप करने से मनुष्य के सारे पापों का नाश होता है।


जानिए क्यों है श्रावण माह की प्रमुखता


वैसे इस बार श्रावण 17 जुलाई 2019 (बुधवार) से प्रारंभ होगा और 15 अगस्त 2019 (गुरुवार) तक चलेगा || श्रावण का यह महीना भक्तों को अमोघ फल देने वाला है। माना जाता है कि भगवान शिव के त्रिशूल की एक नोक पर काशी विश्वनाथ की पूरी नगरी का भार है। उसमें श्रावण मास अपना विशेष महत्व रखता है।इस दफा 01 अगस्त 2019 (गुरुवार) को हरियाली अमावस्या,मंगला गोरी व्रत,पितृ कार्य अमवस्या भी आएगी || 03 अगस्त 2016 (शनिवार) को हरियाली तीज भी मनाई जाएगी ||

ध्यान रखें- पण्डित "विशाल" दयानन्द शास्त्री के अनुसार इस दौरान खास तौर पर महिलाएं श्रावण मास में विशेष पूजा-अर्चना और व्रत-उपवास रखकर पति की लंबी आयु की प्रार्थना भोलेनाथ से करती हैं। खास कर सभी व्रतों में सोलह सोमवार का व्रत श्रेष्ठ माना जाता है।

श्रावण शिव का अत्यंत प्रिय मास है। इस मास में शिव की भक्ति करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। उनके पूजन के लिए अलग-अलग विधान भी है। भक्त जैसे चाहे उनका अपनी कामनाओं के लिए उनका पूजन कर सकता है। इस मास में प्रतिदिन श्री शिवमहापुराण व शिव स्तोस्त्रों का विधिपूर्वक पाठ करके दुध, गंगा-जल, बिल्बपत्र, फलादि सहित शिवलिंग का पूजन करना चाहिए || इसके साथ ही इस मास में "ऊँ नम: शिवाय:" मंत्र का जाप करते हुए शिव पूजन करना लाभकारी रहता है|| इस मास के प्रत्येक मंगलवार को श्री मंगलागौरी का व्रत, पूजानादि विधिपूर्वक करने से स्त्रियों को विवाह, संतान व सौभाग्य में वृ्द्धि होती है |


शवे भक्ति:शिवे भक्ति:शिवे भक्तिर्भवे भवे ।

अन्यथा शरणं नास्ति त्वमेव शरंण मम्।।


उच्चारण में अत्यंत सरल शिव शब्द अति मधुर है। शिव शब्द की उत्पत्ति वश कान्तौ धातु से हुई हैं। जिसका तात्पर्य है जिसको सब चाहें वह शिव हैं ओर सब चाहते हैं आंनद को अर्थात शिव का अर्थ हुआ आंनद। इस व्रत को वैशाख, श्रावण मास, कार्तिक मास और माघ मास में किसी भी सोमवार से प्रारंभ किया जा सकता है। इस व्रत की समाप्ति पर सत्रहवें सोमवार को सोलह दंपति को भोजन व किसी वस्तु का दान उपहार देकर उद्यापन किया जाता है। सम्पूर्ण विश्व में शिवलिंग को शिव का साक्षात स्वरूप माना जाता है तभी तो शिवलिंग के दर्श न को स्वयं महादेव का दर्शन माना जाता है और इसी मान्यता के चलते भक्त शिवलिंग को मंदिर और घर में स्थापित कर उनकी पूजा अर्चना करते हैं। हिन्दू धर्म परंपराओं में प्रदोष काल यानी दिन-रात के मिलन की घड़ी में भगवान शिव की पूजा व उपासना बहुत शुभ फलदायी मानी गई है।


- शिव पूजन से पहले काले तिल जल में मिलाकर स्नान करें। शिव पूजा में कनेर, मौलसिरी और बेलपत्र जरूर चढ़ावें। स्नान के बाद भगवान शंकर के साथ-साथ माता पार्वती और नंदी को गंगाजल या पवित्र जल चढ़ाएं। इससे संपन्नता आती है। सावन के महीने में बैंगन नहीं खाना चाह‌िए। बैंगन को अशुद्ध माना गया है इसल‌िए द्वादशी, चतुर्दशी के द‌िन और कार्त‌िक मास में भी इसे खाने की मनाही है।


- शिव जी की अराधना सुबह में पूर्व दिशा की ओर मुंह करके करनी चाहिए।


- शाम में शिव साधना पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके करनी चाहिए।


- अगर आप रात्रि में शिव उपासना करते हैं तो आपका मुंह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।

श्रावण मास में भगवान शिव का श्रेष्ठ द्रव्यों से अभिषेक करने से अलग-अलग फलों की प्राप्ति होती है। जैसे जल अर्पित करने से वर्षा की प्राप्ति, कुश और जल से शांति, गन्ने के रस से लक्ष्मी, मधु व घी से धन की प्राप्ति, दूध से संतान सुख, जल की धारा और बेलपत्र से मन की शांति, एक हजार मंत्रों सहित घी की धारा से वंश वृद्धि एवं मृत्युंजय मंत्रों के जाप से रोगों से मुक्ति और स्वस्थ एवं सुखी जीवन की प्राप्ति होती है।

पण्डित "विशाल"दयानन्द शास्त्री के अनुसार श्रावण मास में भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र ऊं नम: शिवाय’ का नियमित जाप, तन-मन को शुद्ध करता है। विधि व सच्चें मन से की गई उपासना कभी व्यर्थ नहीं जाती और शिव जी अपने भक्तों की मनोकामना पूरी कर देते हैं।।।

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सावन महीने के पहले सोमवार पर समूचा देश आज शिवमय होने जा रहा है। देश के शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। सुरक्षा के मद्देनजर शासन-प्रशासन की तरफ से विशेष व्यवस्था की गई है। देश भर के मंदिरों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। सावन महीने के प्रथम सोमवार पर राज्य के सभी शिव मंदिरों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। श्रद्धालुओं ने मंदिरों के अलावा अपने घरों में भी पूजा-अर्चना के लिए विशेष तैयारियां की हैं।

मंदिरों के आस पास पूजा सामग्री जैसे धतूरा, बेल-पत्र, फूल-माला और प्रसाद आदि की दुकानें सज गईं हैं। काशी (वाराणसी), इलाहाबाद, मथुरा, अयोध्या सहित पूरे देश में सावन के प्रथम सोमवार को लेकर भक्तों में खासा उत्साह है। देश के मंदिरों में सोमवार तड़के से ही भक्तों का ताता लगा हुआ है। ओम नम: शिवाय के जाप के साथ श्रद्धालु महादेव का दर्शन और अभिषेक कर रहे हैं।

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“सावन/श्रावण माह का महत्व”---


पण्डित "विशाल" दयानन्द शास्त्री के अनुसार चैत्र माह से प्रारंभ होने वाले वर्ष का पांचवा महीना जो ईस्वी कलेंडर के जुलाई या अगस्त माह में पड़ता है, श्रावण माह कहलाता है । इसे वर्षा ऋतु का महीना भी कहा जाता है क्यों कि इस समय भारत में काफ़ी वर्षा होती है । सावन का महीना रिमझिम फुहारों और हरियाली से मन को आनंदित कर देता है। इसी महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है भारत में रक्षाबंधन के त्योहार के रूप में। पण्डित "विशाल" दयानन्द शास्त्री के अनुसार हमारे शास्त्रों में सावन के महात्म्य पर विस्तार पूर्वक उल्लेख मिलता है|| श्रावण मास अपना एक विशिष्ट महत्व रखता है|| श्रवण नक्षत्र तथा सोमवार से भगवान शिव शंकर का गहरा संबंध है|| इस मास का प्रत्येक दिन पूर्णता लिए हुए होता है|| धर्म और आस्था का अटूट गठजोड़ हमें इस माह में दिखाई देता है इस माह की प्रत्येक तिथि किसी न किसी धार्मिक महत्व के साथ जुडी़ हुई होती है. इसका हर दिन व्रत और पूजा पाठ के लिए महत्वपूर्ण रहता है||शास्‍त्रों के अनुसार सावन के महीने में दूध का सेवन अच्छा नही होता है। यही कारण है क‌ि सावन में भगवान श‌िव का दूध से अभ‌िषेक करने की बात कही गई है। इससे वात संबंधी दोष से बचाव होता है।

पण्डित "विशाल" दयानन्द शास्त्री के अनुसार सभी हिंदी माह/मासों को किसी न किसी देवता के साथ संबंधित देखा जा सकता है उसी प्रकार श्रावण मास को भगवान शिव जी के साथ देखा जाता है इस समय शिव आराधना का विशेष महत्व होता है|| यह माह आशाओं की पुर्ति का समय होता है जिस प्रकार प्रकृति ग्रीष्म के थपेडों को सहती उई सावन की बौछारों से अपनी प्यास बुझाती हुई असीम तृप्ति एवं आनंद को पाती है उसी प्रकार प्राणियों की इच्छाओं को सूनेपन को दूर करने हेतु यह माह भक्ति और पूर्ति का अनुठा संगम दिखाता है ओर सभी की अतृप्त इच्छाओं को पूर्ण करने की कोशिश करता है|| यूं तो पर‌िवार में कलह को कभी भी अच्छा नहीं माना जाता है लेक‌िन सावन के महीने में जीवनसाथी के साथ वाद-व‌िवाद और अपश्‍ब्दों का प्रयोग हान‌िकारक होता है। इन द‌िनों श‌िव पार्वती की पूजा से दांपत्य जीवन में प्रेम और तालमेल बढ़ता है इसल‌िए क‌िसी बात से मन मुटाव की आशंका होने पर श‌िव पार्वती की पूजा करनी चाह‌िए और प्रेम एवं सामंजस्य के ल‌िए प्रार्थ‌ना करनी चाह‌िए।

श्रावण पूर्णिमा को दक्षिण भारत में नारयली पूर्णिमा व अवनी अवित्तम, मध्य भारत में कजरी पूनम, उत्तर भारत में रक्षा बंधन और गुजरात में पवित्रोपना के रूप में मनाया जाता है। हमारे त्योहारों की यही विविधता ही तो भारत की विशिष्टता की पहचान है।

पण्डित "विशाल" दयानन्द शास्त्री के अनुसा श्रावण यह हिंदी कैलेंडर में पांचवे स्थान पर आता हैं। यह वर्षा ऋतू में प्रारंभ होता हैं । शिव जिनको श्रावण का देवता कहा जाता हैं उन्हें इस माह में भिन्न- भिन्न तरीकों से पूजा जाता हैं। पुरे माह धार्मिक उत्सव होते हैं शिव उपासना, व्रत, पवित्र नदियों में स्नान एवम शिव अभिषेक का महत्व हैं। विशेष तौर पर सावन सोमवार को पूजा जाता हैं । कई महिलायें पूरा सावन महीना सूर्योदय के पूर्व स्नान कर उपवास रखती हैं। कुवारी कन्या अच्छे वर के लिए इस माह में उपवास एवम शिव की पूजा करती हैं । विवाहित स्त्री पति के लिए मंगल कामना करती हैं। भारत देश में पुरे उत्साह के साथ सावन महोत्सव मनाया जाता हैं।


पवित्र माह:-




हिन्दू परिवारों में सावन को बेहद पवित्र और महत्वपूर्ण महीने के तौर पर देखा जाता है । इसकी महत्ता इसी बात से समझी जा सकती है कि सावन के माह में मांसाहार पूरी तरह त्याज्य होता है और शाकाहार को ही उपयुक्त माना गया है । इसके अलावा मदिरा पान भी निषेध माना गया है। लेकिन ऐसा क्या है जो सावन के माह को इतना विशिष्ट बनाता है ?

हरियाली तीज:- पण्डित "विशाल" दयानन्द शास्त्री के अनुसा श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रावणी तीज कहते हैं। जनमानस में यह हरियाली तीज के नाम से जानी जाती है। यह मुख्यत: स्त्रियों का त्योहार है। इस समय जब प्रकृति चारों तरफ हरियाली की चादर सी बिछा देती है तो प्रकृति की इस छटा को देखकर मन पुलकित होकर नाच उठता है। जगह-जगह झूले पड़ते हैं। स्त्रियों के समूह गीत गा-गाकर झूला झूलते हैं। हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की तृतीय को हस्त नक्षत्र के दिन होता है। इस दिन कुमारी और सौभाग्यवती महिला गौरी शंकर की पूजा करती है।

श्रावण/ सावन सोमवार व्रत का महत्व:--पण्डित "विशाल" दयानन्द शास्त्री के अनुसा सोमवार का स्वामी भगवान शिव को माना जाता हैं। पुरे वर्ष में सोमवार को शिव भक्ति के लिए उत्तम माना जाता हैं। अत : शिव प्रिय होने के कारण श्रावण के सोमवार का महत्व अधिक बढ़ जाता हैं। श्रावण में पाँच अथवा चार सोमवार आते हैं जिनमे पूर्ण व्रत रखा जाता हैं । संध्या काल में पूजा के बाद भोजन ग्रहण किया जाता हैं। शिव जी की पूजा का समय प्रदोषकाल में की जाती हैं।

यह महीना बारिशों का होता है, जिससे कि पानी का जल स्तर बढ़ जाता है। मूसलाधार बारिश नुकसान पहुंचा सकती है इसलिए शिव पर जल चढ़ाकर उन्हें शांत किया जाता है । महाराष्ट्र में जल स्तर को सामान्य रखने की एक अनोखी प्रथा विद्यमान है। वे सावन के महीने में समुद्र में जाकर नारियल अर्पण करते हैं ताकि किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुंच पाए।

काँवर यात्रा :- श्रावण में काँवर यात्रा का बहुत अधिक महत्व हैं। इसमें लोग भगवा वस्त्र धारण करके पवित्र नदियों के जल को एक काँवर में बाँधकर पैदल चलकर शिवलिंग पर उस जल को चढ़ाते हैं। काँवर एक बाँस का बना होता हैं जिसमे दोनों तरफ छोटी सी मटकी होती हैं जिसमे जल भरा होता हैं और उस बाँस को फूलों एवम घुन्घुरों से सजाया जाता हैं। साथ ही “बोल बम” का नारा लिए कई काँवर यात्री श्रृद्धा पूर्वक पद यात्रा कर पवित्र जल को शिवलिंग पर अर्पण करते हैं। यह कार्य पुरुषों द्वारा किया जाता हैं। अतः श्रावण का यह महीना स्त्री एवम पुरुषों दोनों के द्वारा अपने- अपने तरीकों द्वारा मनाया जाता हैं। भगवान शिव के भक्त कावड़ ले जाकर गंगा का पानी शिव की प्रतिमा पर अर्पित कर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयत्न करते हैं। इसके अलावा सावन माह के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव पर जल चढ़ाना शुभ और फलदायी माना जाता है।


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जानिए क्यों करें जलाभिषेक के साथ पूजन--


भगवान शिव इसी माह में अपनी अनेक लीलाएं रचते हैं. इस महीनें में गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, पंचाक्षर मंत्र इत्यादि शिव मंत्रों का जाप शुभ फलों में वृद्धि करने वाला होता है. पूर्णिमा तिथि का श्रवण नक्षत्र के साथ योग होने पर श्रावण माह का स्वरुप प्रकाशित होता है. श्रावण माह के समय भक्त शिवालय में स्थापित, प्राण-प्रतिष्ठित शिवलिंग या धातु से निर्मित लिंग का गंगाजल व दुग्ध से रुद्राभिषेक कराते हैं. शिवलिंग का रुद्राभिषेक भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है. इन दिनों शिवलिंग पर गंगा जल द्वारा अभिषेक करने से भगवान शिव अतिप्रसन्न होते हैं.

पण्डित "विशाल" दयानन्द शास्त्री के अनुसा शिवलिंग का अभिषेक महाफलदायी माना गया है. इन दिनों अनेक प्रकार से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है जो भिन्न भिन्न फलों को प्रदान करने वाला होता है. जैसे कि जल से वर्षा और शितलता कि प्राप्ति होती है. दूग्धा अभिषेक एवं घृत से अभिषेक करने पर योग्य संतान कि प्राप्ति होती है. ईख के रस से धन संपदा की प्राप्ति होती है. कुशोदक से समस्त व्याधि शांत होती है. दधि से पशु धन की प्राप्ति होती है ओर शहद से शिवलिंग पर अभिषेक करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है.


सावन/श्रावण महीने में शिवलिंग पर जलाभिषेक का महत्व---


इस श्रावण मास में शिव भक्त ज्योतिर्लिंगों का दर्शन एवं जलाभिषेक करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त करता है तथा शिवलोक को पाता है. शिव का श्रावण में जलाभिषेक के संदर्भ में एक कथा बहुत प्रचलित है जिसके अनुसार जब देवों ओर राक्षसों ने मिलकर अमृत प्राप्ति के लिए सागर मंथन किया तो उस मंथन समय समुद्र में से अनेक पदार्थ उत्पन्न हुए और अमृत कलश से पूर्व कालकूट विष भी निकला उसकी भयंकर ज्वाला से समस्त ब्रह्माण्ड जलने लगा इस संकट से व्यथित समस्त जन भगवान शिव के पास पहुंचे और उनके समक्ष प्राथना करने लगे, तब सभी की प्रार्थना पर भगवान शिव ने सृष्टि को बचाने हेतु उस विष को अपने कंठ में उतार लिया और उसे वहीं अपने कंठ में अवरूद्ध कर लिया.

जिससे उनका कंठ नीला हो गया समुद्र मंथन से निकले उस हलाहल के पान से भगवान शिव भी तपन को सहा अत: मान्यता है कि वह समय श्रावण मास का समय था और उस तपन को शांत करने हेतु देवताओं ने गंगाजल से भगवान शिव का पूजन व जलाभिषेक आरंभ किया, तभी से यह प्रथा आज भी चली आ रही है प्रभु का जलाभिषेक करके समस्त भक्त उनकी कृपा को पाते हैं और उन्हीं के रस में विभोर होकर जीवन के अमृत को अपने भीतर प्रवाहित करने का प्रयास करते हैं||


पार्थिव पूजन का लाभ व महात्यम---


शिवोपासना में पार्थिव पूजा का भी विशेष महत्व होने के साथ-साथ शिव की मानस पूजा का भी महत्व है। इस साल श्रावण मास में चार ही सोमवार पड़ेंगे। तेरह अगस्त को श्रावण पूर्णिमा अर्थात रक्षाबंधन के साथ इस पुण्य पवित्र मॉस का समपान हो जायेगा। इस मास के प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर कुछ विशेष वास्तु अर्पित की जाती है जिसे शिवामुट्ठी कहते है। जिसमें प्रथम सोमवार को कच्चे चावल एक मुट्ठी, दूसरे सोमवार को सफेद तिल् एक मुट्ठी, तीसरे सोमवार को खड़े मूँग एक मुट्ठी, चौथे सोमवार को जौ एक मुट्ठी और यदि जिस मॉस में पांच सोमवार हो तो पांचवें सोमवार को सतुआ चढ़ाने जाते हैं और यदि पांच सोमवार न हो तो आखरी सोमवार को दो मुट्ठी भोग अर्पित करते है। श्रावण माह में एक बिल्वपत्र से शिवार्चन करने से तीन जन्मों के पापों का नाश होता है। एक अखंड बिल्वपत्र अर्पण करने से कोटि बिल्वपत्र चढ़ाने का फल प्राप्त होता है। शिव पूजा में शिवलिंग पर रुद्राक्ष अर्पित करने का भी विशेष फल व महत्त्व है क्यूंकि रुद्राक्ष शिव नयन जल से प्रगट हुआ इसी कारण शिव को अति प्रिय है। भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए महादेव को कच्चा दूध, सफेद फल, भस्म तथा भाँग, धतूरा, श्वेत वस्त्र अधिक प्रिय है।


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लिंग पूजन क्यूँ करते है...?


देह से कर्म-कर्म से देह-ये ही बंधन है, शिव भक्ति इस बंधन से मुक्ति का साधन है, जीव आत्मा तीन शरीरो से जकड़ी है स्थूल शरीर- कर्म हेतु, सूक्ष्म शरीर- भोग हेतु, कारण शरीर -आत्मा के उपभोग हेतु, लिंग पूजन समस्त बंधन से मुक्ति में परम सहायक है तथा स्वयंभू लिंग की अपनी महिमा है और शास्त्रों में पार्थिव पूजन परम सिद्धि प्रद बताया गया है|


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श्रावण/सावन महीने में दिन अनुसार शिव पूजा का फल-

रविवार- पाप नाशक

सोमवार- धन लाभ

मंगलवार- स्वस्थ्य लाभ, रोग निवारण

बुधवार- पुत्र प्राप्ति

गुरूवार- आयु कारक

शुक्रवार- इन्द्रिय सुख

शनिवार- सर्व सुखकारी


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जानिए सावन/श्रावण माह में शिव पूजा हेतु शास्त्रोक्त उत्तम स्थान---


तुलसी, पीपल व वट वृक्ष के समीप

नदी, सरोवर का तट, पर्वत की चोटी, सागर तीर

मंदिर, आश्रम, तीर्थ अथवा धार्मिक स्थल, पावन धाम, गुरु की शरण में ||


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जानिए श्रावण/सावन महीने में शिव पूजा व पुष्प का प्रभाव/महत्त्व---

बिल्वपत्र- जन्म जन्मान्तर के पापो से मुक्ति (पूर्व जन्म के पाप आदि)

कमल- मुक्ति, धन, शांति प्रदायक

कुशा- मुक्ति प्रदायक

दूर्वा- आयु प्रदायक

धतूरा- पुत्र सुख प्रदायक

आक- प्रताप वृद्धि

कनेर- रोग निवारक

श्रंघार पुष्प- संपदा वर्धक

शमी पत्र- पाप नाशक


शिव अभिषेक व पूजा में प्रयुक्त द्रव्य विशेष के फल-


मधु- सिद्धि प्रद


दुग्ध से- समृद्धि दायक


कुषा जल- रोग नाशक


ईख रस- मंगल कारक


गंगा जल- सर्व सिद्धि दायक


ऋतू फल के रस- धन लाभ


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शिव आराधना के मंत्र व अनुष्ठान---




|| नमोस्तुते शंकरशांतिमूर्ति | नमोस्तुते चन्द्रकलावत्स ||


|| नमोस्तुते कारण कारणाय | नमोस्तुते कर्भ वर्जिताय ||


अथवा


|| ॐ नमस्तुते देवेशाय नमस्कृताय भूत भव्य महादेवाय हरित पिंगल लोचनाय ||


अथवा


|| ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः ||


अथवा


|| ॐ दक्षिणा मूर्ति शिवाय नमः ||


अथवा


|| ॐ दारिद्र्य दुःख दहनाय नम: शिवाय ||


अथवा


|| वृषवाहनः शिव शंकराय नमो नमः | ओजस्तेजो सर्वशासकः शिव शंकराय नमो नमः ||




श्रावण मास में शिव की उपासना करते समय पंचाक्षरी मंत्र 'ॐ नम: शिवाय' और 'महामृत्युंजय' आदि मंत्र जप बहुत महत्व्यपूर्ण माना गया है। इन मंत्रों के जप-अनुष्ठान से सभी प्रकार के दुख, भय, रोग, मृत्युभय आदि दूर होकर मनुष्‍य को दीर्घायु की प्राप्ति होती है। समस्त उपद्रवों की शांति तथा अभीष्ट फल प्राप्ति के निमित्त रूद्राभिषेक आदि यज्ञ-अनुष्ठानचमत्कारी प्रभाव देते है। श्री रामचरित मानस, शिवपुराण, शिवलीलामृत, शिव कवच, शिव चालीसा, शिव पंचाक्षर मंत्र, शिव पंचाक्षर स्त्रोत, महामृत्युंजय मंत्र का पाठ एवं जाप श्रावण मॉस में विशेष फल कहा गया है|



श्रावण मॉस में राम कथा-


आपने यह अनुभव किया होगा की श्रावण मॉस में श्री रामचरित मानस की कथा व पाठ जगह जगह होते है इसका कारण यह है के स्वयं श्री महादेव ने माँ पार्वती से कहा -


|| उमा कहू में अनुभव अपना | सत हरी भजन जगत सब सपना ||


तो इस कारण श्रावण मॉस में भक्तगण शिव मंदिर में शिव जो को मानस का पाठ सुनाते है और इसका मॉस परायण सविधि अनुष्ठान करते है|


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जानिये शिवलिंग का मतलब:-

आज के समय में कुछ अज्ञानी किस्म के प्राणियों ने परम पवित्र शिवलिंग को जननांग समझ कर पता नही क्या-क्या और कपोल कल्पित अवधारणाएं फैला रखी हैं| क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग का मतलब क्या होता है और, शिवलिंग किस चीज का प्रतिनिधित्व करता है ?


शिवलिंग वातावरण सहित घूमती धरती तथा सारे अनन्त ब्रह्माण्ड (क्योंकि, ब्रह्माण्ड गतिमान है) का अक्स/धुरी (axis) ही लिंग है।


दरअसल ये गलतफहमी भाषा के रूपांतरण और, मलेच्छों द्वारा हमारे पुरातन धर्म ग्रंथों को नष्ट कर दिए जाने तथा, अंग्रेजों द्वारा इसकी व्याख्या से उत्पन्न हुआ हो सकता है! खैरजैसा कि हम सभी जानते है कि एक ही शब्द के विभिन्न भाषाओँ में अलग-अलग अर्थ निकलते हैं! उदाहरण के लिए यदि हम हिंदी के एक शब्द “सूत्र” को ही ले लें तो सूत्र मतलब डोरी/ धागागणितीय सूत्र कोई भाष्य अथवा लेखन भी हो सकता है जैसे कि नासदीय सूत्रब्रह्म सूत्र इत्यादि! उसी प्रकार “अर्थ” शब्द का भावार्थ: सम्पति भी हो सकता है और मतलब भी! ठीक बिल्कुल उसी प्रकार शिवलिंग के सन्दर्भ में लिंग शब्द से अभिप्राय चिह्न, निशानी, गुण, व्यवहार या प्रतीक है। ध्यान देने योग्य बात है कि “लिंग” एक संस्कृत का शब्द है जिसके निम्न अर्थ है :


1.) त आकाशे न विधन्ते -वै०। अ ० २ । आ ० १ । सू ० ५

अर्थात रूप, रस, गंध और स्पर्श ये लक्षण आकाश में नही है किन्तु शब्द ही आकाश का गुण है ।


2.) निष्क्रमणम् प्रवेशनमित्याकश स्य लिंगम् -वै०। अ ० २ । आ ० १ । सू ० २०

अर्थात जिसमे प्रवेश करना व् निकलना होता है वह आकाश का लिंग है अर्थात ये आकाश के गुण है ।


3.) अपरस्मिन्नपरं युगपच्चिरं क्षिप्रमिति काललिङ्गानि । -वै०। अ ० २। आ ० २ । सू ० ६

अर्थात जिसमे अपर, पर, (युगपत) एक वर, (चिरम) विलम्ब, क्षिप्रम शीघ्र इत्यादि प्रयोग होते है, इसे काल कहते है, और ये काल के लिंग है ।


4.) इत इदमिति यतस्यद्दिश्यं लिंगम । -वै०। अ ० २ । आ ० २ । सू ० १ ०

अर्थात जिसमे पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ऊपर व् नीचे का व्यवहार होता है उसी को दिशा कहते है मतलब किये सभी दिशा के लिंग है ।


5.) इच्छाद्वेषप्रयत ्नसुखदुःखज्ञाना न्यात्मनो लिंगमिति – न्याय० अ ० १ । आ ० १ । सू ० १ ०

अर्थात जिसमे (इच्छा) राग, (द्वेष) वैर, (प्रयत्न) पुरुषार्थ, सुख, दुःख, (ज्ञान) जानना आदि गुण हो, वो जीवात्मा है और, ये सभी जीवात्मा के लिंग अर्थात कर्म व् गुण है । इसीलिए शून्य, आकाश, अनन्त, ब्रह्माण्ड और निराकार परमपुरुष का प्रतीक होने के कारन इसे लिंग कहा गया है। स्कन्दपुराण में स्पष्ट कहा है कि आकाश स्वयं लिंग है एवं, धरती उसका पीठ या आधार है और, ब्रह्माण्ड का हर चीज अनन्त शून्य से पैदा होकर अंततः उसी में लय होने के कारण इसे लिंग कहा है|


यही कारण है कि इसे कई अन्य नामो से भी संबोधित किया गया है जैसे कि: प्रकाश स्तंभ/लिंग, अग्नि स्तंभ/लिंग, उर्जा स्तंभ/लिंग, ब्रह्माण्डीय स्तंभ/लिंग इत्यादि! यहाँ यह ध्यान देने योग्य बात है कि इस ब्रह्माण्ड में दो ही चीजे है| ऊर्जा और प्रदार्थ! इसमें से हमारा शरीर प्रदार्थ से निर्मित है जबकि आत्मा एक ऊर्जा है| ठीक इसी प्रकार शिव पदार्थ और शक्ति ऊर्जा का प्रतीक बन कर शिवलिंग कहलाते हैं|


क्योंकि ब्रह्मांड में उपस्थित समस्त ठोस तथा उर्जा शिवलिंग में निहित है! अगर इसे धार्मिक अथवा आध्यात्म की दृष्टि से बोलने की जगह शुद्ध वैज्ञानिक भाषा में बोला जाए तो हम कह सकते हैं कि शिवलिंग और कुछ नहीं बल्कि हमारे ब्रह्मांड की आकृति है और अगर इसे धार्मिक अथवा आध्यात्म की भाषा में बोला जाए तो शिवलिंग भगवान शिव और देवी शक्ति (पार्वती) का आदि-अनादि एकल रूप है तथा पुरुष और प्रकृति की समानता का प्रतीक है! अर्थात शिवलिंग हमें बताता है कि इस संसार में न केवल पुरुष का और न ही केवल प्रकृति (स्त्री) का वर्चस्व है बल्कि, दोनों एक दूसरे के पूरक हैं और दोनों ही समान हैं|


शिवलिंग की पूजा को ठीक से समझने के लिए आप जरा आईसटीन का वो सूत्र याद करें जिसके आधार पर उसने परमाणु बम बनाया था! क्योंकि उस सूत्र ने ही परमाणु के अन्दर छिपी अनंत ऊर्जा की एक झलक दिखाई जो कितनी विध्वंसक थी ये सर्वविदित है| और परमाणु बम का वो सूत्र था e / c = m c {e=mc^2} अब ध्यान दें कि ये सूत्र एक सिद्धांत है जिसके अनुसार पदार्थ को पूर्णतया ऊर्जा में बदला जा सकता है अर्थात, अर्थात पदार्थ और उर्जा दो अलग-अलग चीज नहीं बल्कि, एक ही चीज हैं परन्तु वे दो अलग-अलग चीज बनकर ही सृष्टि का निर्माण करते हैं!


जिस बात को आईसटीन ने अभी बताया उस रहस्य को हमारे ऋषियो ने हजारो-लाखों साल पहले ही ख़ोज लिया था| यह सर्वविदित है कि हमारे संतों/ऋषियों ने हमें वेदों और उपनिषदों का ज्ञान लिखित रूप में प्रदान किया है, परन्तु, उन्होंने कभी यह दावा नहीं किया कि यह उनका काम है बल्कि, उन्होंने हर काम के अंत में स्वीकार किया कि वे हमें वही बता रहे हैं ज उन्हें अपने पूर्वजों द्वारा कहा गया है| लगभग १३७ खरब वर्ष पुराना सार्वभौमिक ज्ञान हमें तमिल और संस्कृत जैसी महान भाषाओँ में उपलब्ध होता है और भावार्थ बदल जाने के कारण इसे किसी अन्य भाषा में पूर्णतया अनुवाद नही किया जा सकता| कम से कम अंग्रेजी जैसी कमजोर भाषा में तो बिलकुल नही।


इसके लिए एक बहुत ही छोटा सा उदाहरण देना ही पर्याप्त होगा कि आज “गूगल ट्रांसलेटर” में लगभग सभी भाषाओँ का समावेश है परन्तु संस्कृत का नही क्योंकि संस्कृत का व्याकरण विशाल तथा दुर्लभ है! कुछ समय पहले जब नासा के वैज्ञानिकों नें अपने उपग्रह आकाश में भेजे और उनसे रेडार के द्वारा इंग्लिश में संपर्क करने की कोशिश की, जो वाक्य उन्होंने पृथ्वी से आकाश में भेजे उपग्रह के प्रोग्राम में वो सब उल्टा हो गया और उन सबका उच्चारण ही बदल गया| इसी तरह वैज्ञानिक नै १०० से ज्यादा भाषाओँ का प्रयोग किया लेकिन सभी में यही परेशानी हुई कि वाक्यों का अर्थ ही बदल जा रहा था| बाद में वैज्ञानिकों नें संस्कृत भाषा का उपयोग किया तो सारे वाक्य सही अर्थ में उपग्रह को मिले और फिर सही से सभी वाक्यों का सही संपर्क मिल सका| कोई भी प्प्राणी नासा वाली बात का सबूत गूगल पर सर्च कर सकते हैं|


शिवपिंडी--खैर हम फिर शिवलिंग पर आते हैं शिवलिंग का प्रकृति में बनना हम अपने दैनिक जीवन में भी देख सकते है जब कि किसी स्थान पर अकस्मात् उर्जा का उत्सर्जन होता है तो, उर्जा का फैलाव अपने मूल स्थान के चारों ओर एक वृताकार पथ में तथा उपर व नीचे की ओर अग्रसर होता है अर्थात दशो दिशाओं (आठों दिशों की प्रत्येक डिग्री (360 डिग्री)+ ऊपर व नीचे ) होता है| जिसके फलस्वरूप एक क्षणिक शिवलिंग आकृति की प्राप्ति होती है उसी प्रकार बम विस्फोट से प्राप्त उर्जा का प्रतिरूप एवं, शांत जल में कंकर फेंकने पर प्राप्त तरंग (उर्जा) का प्रतिरूप भी शिवलिंग का निर्माण करते हैं! दरअसल सृष्टि के आरम्भ में महाविस्फोट के पश्चात् उर्जा का प्रवाह वृत्ताकार पथ में तथा ऊपर व नीचे की ओर हुआ फलस्वरूप एक महाशिवलिंग का प्राकट्य हुआ जिसका वर्णन हमें लिंगपुराण, शिवमहापुराण, स्कन्द पुराण आदि में इस प्रकार मिलता है कि आरम्भ में निर्मित शिवलिंग इतना विशाल (अनंत) तथा की देवता आदि मिल कर भी उस लिंग के आदि और अंत का छोर या शाश्वत अंत न पा सके।


समझें शिवलिंग का अर्थ--


हमारे पुराणो में कहा गया है कि प्रत्येक महायुग के पश्चात समस्त संसार इसी शिवलिंग में समाहित (लय) होता है तथा इसी से पुनः सृजन होता है । इस तरह सामान्य भाषा में कहा जाए तो उसी आदि शक्ति के आदि स्वरुप (शिवलिंग ) से इस समस्त संसार की उत्पति हुई तथा उसका यह गोलाकार/ सर्पिलाकार स्वरुप प्रत्यक्ष अथवा प्ररोक्ष तथा प्राकृतिक अथवा कृत्रिम रूप से हमारे चारों और स्थित है और, शिवलिंग का प्रतिरूप ब्रह्माण्ड के हर जगह मौजूद है जैसे कि 1 हमारी आकाश गंगा , हमारी पडोसी अन्य आकाश गंगाएँ (पांच -सात -दस नही, अनंत है), ग्रहों, उल्काओं आदि की गति (पथ), ब्लैक होल की रचना , संपूर्ण पृथ्वी पर पाए गये सर्पिलाकार चिन्ह (जो अभी तक रहस्य बने हए है और, हजारों की संख्या में है तथा, जिनमे से अधिकतर पिरामिडों से भी पुराने है। ), समुद्री तूफान , मानव डीएनए, परमाणु की संरचना इत्यादि! इसीलिए तो शिव को शाश्वत एवं अनादी, अनत निरंतर भी कहा जाता है! याद रखो सही ज्ञान ही आधुनिक युग का सबसे बड़ा हथियार है|

पं दयानन्द शास्त्री की अन्य किताबें

रेणु

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लेख को आजका लेख चुने जाने पर हार्दिक बधाई आदरनीय !!!!!!

1 अगस्त 2019

रेणु

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आदरणीय शास्त्री जी ,------ हार्दिक आभार शिव उपासना के प्रेरक सावन माह के बारे में इतनी सुंदर जानकारियां एक ही लेख में उपलब्ध करवाने के लिए | बाबा भोलेनाथ के लिए मेरे छोटे से भाव -- जग सत्य ,अनित्य और नश्वर , तू परम सत्य ,आदिदेव ,योगेश्वर ; ललाट सोहे अर्ध चन्द्र नवल ; रूप अभिनव ,सर गंगधार धवल , त्रिलोकीनाथ , शिवा करुणाकर, कोटि नमन तुम्हे! भोले शंकर !!!!!!!!!!

1 अगस्त 2019

anubhav

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सावन का महीना बहुत ही पावन माना जाता है इस दौरान अगर आपने सच्चे मन से भोले बाबा से कुंछ मांगा तो मिल जाएगा।

1 अगस्त 2019

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जानिए कौनसे ज्योतिषीय योग बनाते हैं आपको धनवान...

10 जनवरी 2019
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भगवान विष्णु की कृपा से इन 5 राशियों को मिलेंगी ढेरों खुशियां, पूरी होगी हर मनचाही मुराद

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10 जनवरी 2019
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11 जनवरी 2019
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माँ लक्ष्मी दे रही हैं वरदान, इन राशियों के भरेंगे भंडार, होगी अपार धन की बरसात

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भोलेनाथ की कृपा से इन 7 राशियों के होंगे संकट दूर, होगा भाग्योदय, मिलेंगीं खुशियाँ

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आज साल का पहला चंद्रग्रहण होने वाला है बेहद अनोखा, इन राशियों के लिए कष्टदायी, जाने किस पर होगा असर

21 जनवरी 2019
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वर्ष 2019 का पहला चंद्र ग्रहण 21 जनवरी (सोमवार) को लगने वाला है । वैज्ञानिक इसे सुपर ब्लड वूल्फ मून का नाम दे रहे हैं। इस दिन आसमान में खगोलीय घटना का अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, केवल अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी-दक्षिणी अमेरिका और मध्य प्रशांत में दिखाई देगा।इसकी समय

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इन 7 राशियों पर होगी बजरंगबली की कृपा, होगा कष्टों का नाश, चमकेगी किस्मत, मिलेगी सफलता

22 जनवरी 2019
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ये 18 वास्तु टिप्स खोल देंगे तरक्की के सारे दरवाज़े, बरसेगा धन, होगी खुशियां ही खुशियां

22 जनवरी 2019
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हमारा घर (भवन/आवास/मकान) एक ऐसी जगह होती है जहां खुलकर सांस ले सकते हैं ।अगर घर में सभी जरूरी चीजों के लिए शुभ-अशुभ दिशाओं का ध्यान रखा जाए तो नकारात्मकता से मुक्ति मिल सकती है। वास्तु शास्त्र में घर के लिए कई नियम बताए गए हैं, इनका पालन करने पर घर की पवित्रता बनी रहती है। उज्जैन के वास्तु विशेषज्ञ

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इन 5 राशियों पर होगी गौरी पुत्र गणेश की असीम कृपा, होगा भाग्योदय, दूर होंगे सभी संकट

22 जनवरी 2019
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ग्रहों की स्थिति कब बदल जाये कुछ कहा नहीं जा सकता, ज्योतिष की मानें तो रोज़ाना किसी न किसी ग्रह में परिवर्तन ज़रूर होता है जिसकी वजह से 12 रशियन प्रभावित होती हैं। तो आइये जानते हैं पं दयानन्द शास्त्री से कि किन-किन राशियों पर है गौरी पुत्र गणेश की असीम कृपा और साथ ही कैसा रहेगा आपका आज का दिन । मेष व

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इन 5 राशियों पर होगी भगवान विष्णु की असीम कृपा, होगा भाग्योदय, दूर होंगे सभी संकट

24 जनवरी 2019
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ग्रहों की स्थिति कब बदल जाये कुछ कहा नहीं जा सकता, ज्योतिष की मानें तो रोज़ाना किसी न किसी ग्रह में परिवर्तन ज़रूर होता है जिसकी वजह से 12 रशियन प्रभावित होती हैं। तो आइये जानते हैं पं दयानन्द शास्त्री से कि किन-किन राशियों पर है भगवान विष्णु की असीम कृपा और साथ ही कैसा रहेगा आपका आज का दिन । मेषअनजान

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इन 7 राशियों पर होगी बजरंगबली की कृपा, होगा कष्टों का नाश, चमकेगी किस्मत, मिलेगी सफलता

29 जनवरी 2019
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ग्रहों की स्थिति कब बदल जाये कुछ कहा नहीं जा सकता, ज्योतिष की मानें तो रोज़ाना किसी न किसी ग्रह में परिवर्तन ज़रूर होता है जिसकी वजह से 12 रशियन प्रभावित होती हैं। तो आइये जानते हैं पं दयानन्द शास्त्री से कि किन-किन राशियों पर है की हनुमान जी असीम कृपा और साथ ही कैसा रहेगा आपका आज का दिन । मेषआज के दि

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शुक्र की बदलती चाल का क्या प्रभाव पड़ेगा आपकी राशि पर जानिए......

1 फरवरी 2019
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ज्योतिष में शुक्र को धन समृद्धि मान-सम्मान सौंदर्य का ग्रह माना गया है। ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार, जीवन में ऐश्वर्या की प्राप्ति के लिए शुक्र ग्रह का मजबूत होना बहुत जरूरी है. शुक्र के राशि परिवर्तन से हर राशि के लोगों की आर्थिक स्थिति, स्वास्थ्य, प्यार, पारिवारिक जीवन, भोग विल

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सोमवती अमावस्या के दिन ये उपाय करने से दरिद्रता होगी दूर, घर में आएगी सुख सम्बृद्धि, बरसेगा अपार धन

4 फरवरी 2019
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जब सोमवार को अमावस्या होती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। ऐसी अमावस्या का शास्त्रों में काफी अधिक महत्व बताया गया है। इस दिन किये जाने वाले उपायों का शीघ्र फल प्राप्त होता हैं। यहां हम आपको सोमवती अमावस्या के दिन किए जाने वाले कुछ विशेष उपाय बताने जा रहे हैं। इन्हें करने से गरीबी और दरिद्रता

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क़र्ज़ से हैं परेशान तो अपनाये ये उपाय, हो जायेंगे क़र्ज़ मुक्त, घर में होगी बरकत ही बरकत

6 फरवरी 2019
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कर्ज या ऋ़ण का होना जिंदगी को मुश्किल में डाल देता है। कर्ज मुक्त जीवन ही सबसे खुशहाल जीवन होता है।कई बार जरूरी चीजों के लिए हमें कर्ज लेने पड़ जाते हैं लेकिन ये कर्ज खत्म होने का नाम नहीं लेता है। कई बार कर्ज लेने के बाद उसे लौटाना व्यक्ति को भारी पड़ता है और उसकी पूरी जिंदगी कर्ज चुकाते-चुकाते खत्

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मंदिर जाना केवल धर्म के लिए ही नहीं बल्कि आपके स्वास्थ्य के लिए भी है फायदेमंद, पढ़े क्यों……

7 फरवरी 2019
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मंदिर जाना शिव धर्म के लिए ही नहीं बल्कि आपके स्वास्थ्य के लिए भी है फायदेमंद, पढ़े क्यों……आमतौर पर मंदिर में जाना धर्म से जोड़ा जाता है। लेकिन मंदिर जाने के कुछ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से स्वास्थ्य लाभ भी हैं। ज्योतिर्विद पण्डित दयानन्द शास्त्री बताते हैं कि यदि हम रोज मंदिर जाते हैं तो इससे कई तरह की ह

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जाने किन- किन राशियों पर रहेगी माँ लक्ष्मी की असीम कृपा, साथ ही क्या है आपका भाग्यांक

7 फरवरी 2019
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ग्रहों की स्थिति कब बदल जाये कुछ कहा नहीं जा सकता, ज्योतिष की मानें तो रोज़ाना किसी न किसी ग्रह में परिवर्तन ज़रूर होता है जिसकी वजह से 12 रशियन प्रभावित होती हैं। तो आइये जानते हैं पं दयानन्द शास्त्री से कि किन-किन राशियों पर है माँ लक्ष्मी की असीम कृपा और साथ ही कैसा रहेगा आपका आज का दिन । मेष आपको

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घर या दुकान (कार्यस्थल) पर वास्तु अनुसार यहाँ मन्दिर होने से होती हैं माँ लक्ष्य प्रसन्न, होती है धन की बरसात, बनते हैं बिगड़े काम.....

12 फरवरी 2019
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यह सच है कि ईश्‍वर सर्वव्यापी हैं और वे हमेशा सबका कल्याण ही करेंगे, लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि दिशाओं के स्वामी भी देवता ही हैं। अत: आवश्यक है कि पूजा स्थल बनवाते समय भी वास्तु के कुछ नियमों का ध्यान रखा जाए।वास्तु विज्ञान के अनुसार देवी-देवताओं की कृपा घर पर बनी रहे, इसके लिए पूजाघर वास्तुदोष से

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14 फरवरी (वेलेन्टाइन डे) पर विशेष जानिए क्यों प्रेम और वासना के देवता "कामदेव" को,कोई नहीं बच पाया जिनके तीरो से........

13 फरवरी 2019
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सनातन (हिन्दू) धर्म में कामदेव, कामसूत्र, कामशास्त्र और चार पुरुषर्थों में से एक काम की बहुत चर्चा होती है। खजुराहो में कामसूत्र से संबंधित कई मूर्तियां हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या काम का अर्थ सेक्स ही होता है? नहीं, काम का अर्थ होता है कार्य, कामना और कामेच्छा से। वह सारे कार्य जिससे जीवन आनंदद

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जानिए की क्या हैं माघ पूर्णिमा और माघ पूर्णिमा का महत्व..???

19 फरवरी 2019
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हिन्दू धर्म में धार्मिक दृष्टि से माघ मास को विशेष स्थान प्राप्त है। भारतीय संवत्सर का ग्यारहवां चंद्रमास और दसवां सौरमास माघ कहलाता है।मघा नक्षत्र से युक्त होने के कारण इस महीने का नाम का माघ नाम पडा। ऐसी मान्यता है कि इस मास में शीतल जल में डुबकी लगाने वाले पापमुक्त होकर स्वर्ग लोक जाते हैं। ज्योत

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ये हैं वो 7 भाग्यशाली राशियां जिन पर बरसेगी भगवान विष्णु की कृपा, होगी धन की बरसात, मिलेगी कामयाबी

21 फरवरी 2019
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ग्रहों की स्थिति कब बदल जाये कुछ कहा नहीं जा सकता, ज्योतिष की मानें तो रोज़ाना किसी न किसी ग्रह में परिवर्तन ज़रूर होता है जिसकी वजह से 12 रशियन प्रभावित होती हैं। तो आइये जानते हैं पं दयानन्द शास्त्री से कि किन-किन राशियों पर है भगवान विष्णु की असीम कृपा और साथ ही कैसा रहेगा आपका आज का दिन । वो 7 भा

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जानिए सिंह राशि के चन्द्रमा, शतभिषा नक्षत्र और कुम्भ राशि के सूर्य का आज आपकी राशि पर क्या प्रभाव डालेगा , पढ़े कैसे रहेंगे ग्रह गोचर/तारे सितारे......

21 फरवरी 2019
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जानिए सिंह राशि के चन्द्रमा, शतभिषा नक्षत्र और कुम्भ राशि के सूर्य का आज आपकी राशि पर क्या प्रभाव डालेगा , पढ़े कैसे रहेंगे ग्रह गोचर/तारे सितारे......मेष आज व्यस्तता भरे दिन के बावजूद आपकी सेहत पूरी तरह दुरुस्त रहेगी। विशेष लोग ऐसी किसी भी योजना में रुपये लगाने के लिए तैय

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इन 5 राशियों पर होगी गौरी पुत्र गणेश की असीम कृपा, होगा भाग्योदय, दूर होंगे सभी संकट

26 फरवरी 2019
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ग्रहों की स्थिति कब बदल जाये कुछ कहा नहीं जा सकता, ज्योतिष की मानें तो रोज़ाना किसी न किसी ग्रह में परिवर्तन ज़रूर होता है जिसकी वजह से 12 रशियन प्रभावित होती हैं। तो आइये जानते हैं पं दयानन्द शास्त्री से कि किन-किन राशियों पर है गौरी पुत्र गणेश की असीम कृपा और साथ ही कैसा रहेगा आपका आज का दिन । मेष व

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जाने भगवान शिव से जुड़े वो रोचक तथ्य जिनके बारे में आप नहीं जानते होंगे......

4 मार्च 2019
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"भगवान शिव का कोई माता-पिता नहीं हैं ! उन्हें अनादि माना गया है! मतलब, जो हमेशा से था, जिसके जन्म की कोई तिथि नही!" कथक, भरतनाट्यम करते वक्त भगवान शिव की जो मूर्ति रखी जाती है, उसे "नटराज" कहते है!" किसी भी देवी-देवता की टूटी हुई मूर्ति की पूजा नही होती! लेकिन शिवलिंग चाहे कितना भी टूट जाए फिर भी पू

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शिवपूजा में बेलपत्र का महत्व

18 जुलाई 2019
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इस सावन जानिए शिवपूजा में बेलपत्र का महत्व..!!!सावन का पवन महीना चल रहा है ऐसे में हम आपको बता रहें है शिवलिंग की पूजा में क्या क्या चढ़ाना चाहिए।भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र प्रयोग होते हैं। बेलपत्र का बहुत महत्व होता है और इनके बिना शिव की उपासना सम्पूर्ण नहीं होती।👉🏻👉🏻👉🏻👉🏻 आइये जानते है ब

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ज्योतिष - परामर्श सेवाएं, दिल्ली में

18 जुलाई 2019
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19,20 एवम 21 जुलाई 2019 (शुक्रवार से रविवार) तक मेरी परामर्श सेवाएं ...नई दिल्ली में उपलब्ध रहेंगी।आज से दिल्ली प्रवास/विश्राम..22 जुलाई 2019 शाम तक।👍👍💐💐💐कमरा नम्बर - 104.होटल पूनम इंटरनेशनल,3169/70, Sangatrashan,बाँके बिहारी मन्दिर के निकट,पहाड़गंज, नई दिल्ली-110055..फोन नम्बर -(011) 41519884👍

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कैसा होगा आपका जीवन साथी ??

18 जुलाई 2019
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यदि आपके माता पिता आपके लिए वर / वधु की तलाश कर रहे हैं और आपका मन कहीं और अटका है तो यह सवाल आपके मन में अवश्य आएगा | किन्ही दो जातकों की जन्म कुंडली देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यह दोनों पति पत्नी बनेंगे या नहीं |इस सम्बन्ध में सटीक भविष्यवाणी करने के पीछे मेरे पास कुछ सिद्धांत हैं जिन्हें

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जाने और समझे कितना उचित हैं बोलते नाम (प्रचलित नाम) से विवाह हेतु गुण मिलान ??

19 जुलाई 2019
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पंचांग के अनुसार नाम से लड़का-लड़की कुंडली मिलान कितना उचित ??--ज्यादातर भारतीय हिन्दू परिवार ज्योतिषी के पास विवाह के लिए श्रेष्ठ कुंडली मिलान या जन्मपत्रिका मिलान के लिए जाते ही हैं, ताकि विवाहित होने वाला जोड़ा किसी प्रकार के दुर्भाग्य का शिकार न हो, और अपनी जिंदगी हंसी ख़ुशी से काट सके. लोग ये विश्व

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Astro World 2019 Exhibition में मेरी कुछ झलकियां

19 जुलाई 2019
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हमारी परामर्श/सलाह/एडवाइज सेवाएं आज 19,20 एवम 21 जुलाई 2019 (शुक्रवार से रविवार) तक मेरी परामर्श सेवाएं ...स्टाल नम्बर #AH,Astro World 2019 Exhibition,कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया,कनॉट प्लेस, नई दिल्ली में उपलब्ध रहेंगी।संपर्क करें--आचार्य अमित तिवारी - 09893016120...ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास

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उज्जैन स्थित 84 महादेव यात्रा का सम्पूर्ण विवरण

22 जुलाई 2019
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चौर्यासी महादेव यात्रा चाहे क्रम अनुसार हो या क्षेत्र अनुसार परन्तु यात्रा का प्रारम्भ और अंत में पुनः दर्शन कर यात्रा का ससंकल्प समापन प्रथम महादेव मंदिर श्री अगस्तेश्वर से ही किया जाता है !(१) 1 /84 : अगस्तेश्वर : हरसिद्धि माता मंदिर के पीछे स्तिथ संतोषी माता मंदिर परिसर में(२) 10/84 : कर्कोटेश्वर

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उज्जैन स्थित 84 महादेवों की विशेष अर्चना श्रावण माह में

22 जुलाई 2019
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महाकाल की नगरी उज्जैन स्थित 84 महादेवों की अर्चना श्रावण माह में विशेष रूप से की जाती है जब पुरुषोत्तम मास (अधिक मास ) आता है, तब भी दर्शन यात्रा की जाती हैं । स्कन्द पुराण के अनुसार ८४ लाख योनियों का भ्रमण करते हुए, मानव योनि में आते है, तो मानव योनि में आने के बाद में ८४ लाख योनियों के भ्रमण म

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जानिए "शिवलिंग" पूजा का प्रारंभ एवं महत्व एवं पूजन विधि

31 जुलाई 2019
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जानिए Shiv Aradhana"शिवलिंग" पूजा का महत्व भगवान शिव अत्यंत ही सहजता से अपने भक्तों की मनोकामना की पूर्ति करने के लिए तत्पर रहते है। भक्तों के कष्टों का निवारण करने में वे अद्वितीय हैं। समुद्र मंथन के समय सारे के सारे देवता अमृत के आकां

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जानिए की कैसे और किस शुभ घड़ी में करें श्रावण मास में भगवान शिव का पूजन

31 जुलाई 2019
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भगवान शिव की भक्ति का प्रमुख माह श्रावण 17 जुलाई 2019 से सम्पूर्ण विश्व मे पूरी श्रद्धा से मनाया जा रहा है। पूरे माह भर भोलेनाथ की पूजा-अर्चना का दौर जारी रहेगा। सभी शिव मंदिरों में श्रावण मास के अंतर्गत विशेष तैयारियां की गई हैं। चारों ओर श्रद्धालुओं द्वारा 'बम-बम भोले और ॐ नम: शिवाय' की गूंज सुना

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जानिए आपकी राशि का दैनिक राशिफल - 01-08-2019

31 जुलाई 2019
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जानिए आपकी राशि का दैनिक राशिफल... rashifal 2019 - 01-08-2019##मेष :- आज धार्मिक कार्य की ओर मन आकर्शित होगा। ईश्वर की अराधना करने से मानसिक शान्ति मिलेगी। परिवार के साथ अच्छा समय व्यतीत होगा। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें।##वृषभ :-आज वाणी का प्रभाव भी अच्छा बना रहेगा।घर के बड़े-बुजुर्गो का सुख और स

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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल... 02-08-2019

31 जुलाई 2019
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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल... 02-08-2019 rashifal 2019##मेष :-आज परिश्रम के बावजूद कम सफलता मिलने से निराशा की भावना आ सकती है।धार्मिक स्थल की यात्रा हो सकती है। पारिवारिक सुख सहयोग मिलेगा।लम्बी यात्रा करने से बचने का प्रयास करें। ##वृषभ :-आज व्यावसायिक कार्यों में सरकारी हस्ताक्षेप

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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल 03-08-2019

31 जुलाई 2019
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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल 03-08-2019 को##मेष :-आज निर्णय लेने में असंमजस बना रहेगा।मन में कामकाज के प्रति नया उत्साह देखने को मिलेगा।जीवन साथी का सुख सहयोग मिलेगा।अपने स्वास्थ्य का विषेश ध्यान रखें।##वृषभ :- मित्रों के साथ अच्छा समय व्यतीत होगा। कामकाज में लाभ होगा। शरीर में फूर्ति

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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल 04-08-2019

31 जुलाई 2019
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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल 04-08-2019 rashifal2019 ##मेष :-आज कार्य क्षेत्र में हालात आपके अनुकूल नहीं होंगे जिसके कारण कुछ परेशानियाँ खड़ी हो सकती है। दिन की शुरुआत मंदिर जाने से करें मानशिक शांति मिलेगी और काम में भी मन लगेगा। ##वृषभ :- आज आपके स्वभाव में गुस्से की बढ़ोतरी होगी जिस

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जानिए आपकी राशि का दैनिक राशिफल 05-08-2019

31 जुलाई 2019
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जानिए आपकी राशि का दैनिक राशिफल 05-08-2019 को.. rashifal 2019 ##मेष :- आज आमदनी के नए स्रोत बन सकते है। भाग्य का साथ मिलेगा।व्यापार-व्यवसाय में संतोषजनक स्थिति रहेगी।परिवार से लाभ मिल सकता है।वे आपके कार्यों में मदद करेंगे।##वृषभ :- आज के दिन खुशी और सफलता मिल सकती है। पारिवारिक सदस्यों के साथ घर

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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल 06-08-2019

31 जुलाई 2019
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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल 06-08-2019 को rashifal 2019 ##मेष-आज आपका व्यक्तित्व प्रभावशाली बना रहेगा।कामकाज में कुछ नया करने की सोच सकते है। काम काज सामान्य रहेगा। धन का सुख मिलेगा।वाहन के प्रति सावधानी बरतें। ##वृषभ- परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर जो भी कार्य होगा उसमें सफलता मिल

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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल.. 08-08-2019

31 जुलाई 2019
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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल.. 08-08-2019 को rashifal 2019 ##मेष :-धार्मिक आयोजन में शामिल होने से शान्ति मिलेगी।युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकते है। उलझने दूर होंगी।लंबी दूरी की यात्राओ पर जाने की योजना बना सकते है।वाणी पर संयम रखें। ##वृषभ :-आज परिवार का सुख और अच्छा मिलेगा।

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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल 07-08-2019

31 जुलाई 2019
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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल 07-08-2019 को.. rashifal 2019 ##मेष :- आज कामकाज की अधिकता होने के कारण कुछ चिंतित रहेंगे। कामकाज में आशानुरूप सफलता मिलेगी। मित्र सहयोग करेंगे। परिवार के साथ अच्छा समय व्यतीत होगा। स्वास्थ्य में ताजगी रहेगी।##वृषभ :- आज का दिन युवाओं को रोजगार के नए अवस

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आपकी राशि का दैनिक राशिफल 09-08-2019 को कैसा रहेगा..

31 जुलाई 2019
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आपकी राशि का दैनिक राशिफल 09-08-2019 को कैसा रहेगा..##मेष :- आज आप किसी भी काम की शुरुआत करने से पहले अपने घर के बड़ों से राय-मशवरा जरूर करें और उनसे आशीर्वाद लेकर ही काम प्रारम्भ करें।काम काज सामान्य रहेगा। आज अपने गुस्से पर काबू रखने की जरूरत है। ##वृषभ :- विद्यार्थियों के लिए आज का दिन कुछ खास अच

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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल 10-08-2019

31 जुलाई 2019
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जानिए कैसा रहेगा आपकी राशि का दैनिक राशिफल 10-08-2019 को rashifal 2019 ##मेष :- आज मेहनत के बलबूते पर अपनी हर मुश्किल काम को आसन कर लेंगे।काम काज सामान्य रहेगा। विद्यार्थियों के लिए आज का दिन अच्छा है शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी । ##वृषभ :- आज काम काज में सामान्य सफलता मिलेगी। कोशिश कर

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जानिए इस वर्ष 2019 में कब करें "हरतालिका तीज व्रत" और क्यो ??

29 अगस्त 2019
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हरतालिका तीज व्रत 2 सितंबर 2019 को ही मनाया जाना शास्त्र सम्मत क्यों होगा??विद्वतजन कृपया ध्यान देंसम्पूर्ण भारतवर्ष में "हरतालिका तीज" सुहागिन महिलाओं द्वारा किए जाने वाले प्रमुख व्रतों में से एक है। यह व्रत पति की लंबी उम्र और मंगल कामना के लिए रखा जाता है। इस दौरान महिलाएं निर्जला व्रत रखकर माता

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विशेष -- श्राद्ध पक्ष 2019 पर---

13 सितम्बर 2019
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ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया की शतभिषा नक्षत्र में शुरू हो रहे पितृ आराधना के पर्व में श्राद्ध करने से सौ प्रकार के तापों से मुक्ति मिलेगी।इस वर्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा पर 13 सितंबर 2019 ( शुक्रवार) को शततारका (शतभिषा) नक्षत्र,धृति योग,वणिज करण एवं कुंभ राशि के चंद्रमा की साक्

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जानिए पितृपक्ष में पितरों के लिए पिण्डदान और श्राद्ध कैसे करें??

13 सितम्बर 2019
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शास्त्रों में मनुष्य के लिए तीन ऋण कहे गये हैं- देव ऋण, ऋषि ऋण व पितृ ऋण। इनमें से पितृ ऋण को श्राद्ध करके उतारना आवश्यक है। क्योंकि जिन माता-पिता ने हमारी आयु, आरोग्यता तथा सुख सौभाग्य की अभिवृद्धि के लिए अनेक प्रयास किये, उनके ऋण से मुक्त न होने पर हमारा जन्म लेना निरर्थक होता है। इसे उतारने में क

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क्या पंचकों में अस्थि संचयन हो सकती है ???

13 सितम्बर 2019
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अंत‌िम संस्कार का शास्‍त्रों में बहुत वर्णन द‌िया गया है क्योंक‌ि इसी से व्यक्त‌ि को परलोक में उत्तम स्थान और अगले जन्म में उत्तम कुल पर‌िवार में जन्म और सुख प्राप्त होता है। गरुड़ पुराण में बताया गया है क‌ि ज‌िस व्यक्त‌ि का अंत‌िम संस्कार नहीं होता है उनकी आत्मा मृत्‍यु के बाद प्रेत बनकर भटकती है औ

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क्या करें मृत आत्मा की शांति के लिए--

14 सितम्बर 2019
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पितृ सदा रहते हैं आपके आस-पास। मृत्यु के पश्चात हमारा और मृत आत्मा का संबंध-विच्छेद केवल दैहिक स्तर पर होता है, आत्मिक स्तर पर नहीं। जिनकी अकाल मृत्यु होती है उनकी आत्मा अपनी निर्धारित आयु तक भटकती रहती है। हमारे पूर्वजों को, पितरों को जब मृत्यु उपरांत भी शांति नहीं मिलती और वे इसी लोक में भटकते रह

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कब और कैसे करें महालय (कनागत या श्राद्ध)वर्ष 2019 में..

14 सितम्बर 2019
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भाद्रपद (भादों मास) की पूर्णिमा से प्रारंभ होकर आश्विन मास की अमावस्या तक कुल सोलह तिथियां श्राद्ध पक्ष की होती है। इस पक्ष में सूर्य कन्या राशि में होता है। इसीलिए इस पक्ष को कन्यागत अथवा कनागत भी कहा जाात है। श्राद्ध का ज्योतिषीय महत्त्व की अपेक्षा धार्मिक महत्व अधिक है क्योंकि यह हमारी धार्मिक आस

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अथ श्री बाटी पुराण कथा- - ऐसे हुआ बाटी का 'आविष्कार' बाटी का

30 सितम्बर 2019
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मालवा का प्रसिद्ध भोजन। कोई भी खास मौका इसके बगैर खास नहीं होता। कई घरों में तो छुट्टी के दिन बाटी बनना अनिवार्य है। नई बहुओं को भी पहले दिन ही परिवार के इस स्वादिष्ट नियम के बारे में बता दिया जाता है। हर घर की पसंद बाटी करीब तीन दिन तक खराब भी नहीं होती है। ऐसे में य

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नवदुर्गा और शारदीय नवरात्रि 2019, आपकी राशि अनुसार कौनसी देवी का पूजन, कोनसा भोग लगाएं ?

30 सितम्बर 2019
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मां दुर्गा का प्रत्येक स्वरूप मंगलकारी है और एक-एक स्वरूप एक-एक ग्रह से संबंधित है। इसलिए नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूप की पूजा प्रत्येक ग्रहों की पीड़ा को शांत करती है।देवी माँ या निर्मल चेतना स्वयं को सभी रूपों में प्रत्यक्ष करती है,और सभी नाम ग्रहण करती है। माँ दुर्गा के नौ रूप और हर नाम में एक

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क्या वास्तु दोष के कारण होते हैं महिलाओं एवं पुरुषों के रोग..????

30 सितम्बर 2019
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वास्तु शास्त्र के प्रसिद्ध ग्रंथ: समरांगण सूत्रधार, मानसार, विश्वकर्मा प्रकाश, नारद संहिता, बृहतसंहिता, वास्तु रत्नावली, भारतीय वास्तु शास्त्र, मुहूत्र्त मार्तंड आदि वास्तुज्ञान के भंडार हैं। अमरकोष हलायुध कोष के अनुसार वास्तुगृह निर्माण की वह कला है, जो ईशान आदि कोण से आरंभ होती है और घर को विघ्नों

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जानिए ब्रह्म स्थान/ ब्रह्म स्थल क्या होता हैं ??

30 सितम्बर 2019
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प्रिय पाठकों/मित्रों, पृथ्वी, आकाश, जल, अग्नि एवं वायु इन पंचतत्वों तथा दसों दिशाओं के कल्याणकारी सूत्र एवं सिद्धान्त ही वास्तु शास्त्र की मूल अवधारणा है। प्रकृति के इन नियमों का पालन मनुष्य किस तरह शारीरिक एवं मानसिक विकास हेतु करके सुखी एवं सम्पन्न रहे, यही वास्तु श

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जानिए आपकी जन्मकुंडली से कब होगी बीमारी या, बीमारी / रोग का प्रकार , समय और निदान

30 सितम्बर 2019
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प्रिय दर्शकों/पाठकों,आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी ,अनियमित जीवनशैली, अनियमित खानपान कई रोगो और समस्याओ को जन्म दे रहे हैं।किसी भी जातक की जन्म कुण्डली से इस बात को जानने में बहुत सहायता मिलती है कि व्यक्ति को कब , क्यों और किस प्रकार के रोगो की सम्भावना है. इसी प्रकार नक्षत्रों का भी रोग विच

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समझें राम मंदिर विवाद, धर्म और भारत की कुंडली को..

24 अक्टूबर 2019
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उज्जैन (मध्यप्रदेश) निवासी आदरणीय पंडित सूर्य नारायण व्यास वह मूर्धन्य विद्वान ज्योतिषी थे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता का मुहूर्त 14 अगस्त की रात्रिकालीन अभिजीत (12 बजे ) या ये कहें की 15 अगस्त की सुबह 00 बजे का निकला था l स्वतंत्र भारत का जन्म 15 अगस्त 1947 को मध्यरात्रि दिल्ली में हुआ था और कुंडल

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जानिए भारत के मुख्य नगरों में दीपावली 2019 के लिए शुभ पूजन मुहूर्त..

24 अक्टूबर 2019
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27 अक्टूबर के दिन पूरा देश दीपावली का शुभ त्यौहार मनाएगा। हर कोई इसकी खरीदारी और तैयारी में लगा हुआ है लेकिन अगर इनमें सबसे अहम बात को जाना जाए तो पूजा सबसे अहम होती है। अगर दीपावली वाले दिन पूजा नहीं हो तो ये दिन मनाने का कोई मतलब नहीं होता है। यहां हम आपको दीपावली मनाने का तरीका और शुभ मुहूर्त के

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जानिए कैसा रहेगा आपके लिए नवम्बर 2019 का राशिफल (आपकी राशिनुसार)

24 अक्टूबर 2019
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मेष ( च, चू, चे, ला, ली, लू, ले, लो, अ ):- जीविका संबंधी महत्वपूर्ण कार्यों में आलस्य न करें. शिक्षा-प्रतियोगिता की दिशा में समुचित परिश्रम की आवश्यकता है. सुख-साधन हेतु व्यय संभव. यात्रा द्वारा कार्य सिद्धि होने का योग है. ==> शुभ रंग : सुनहरा शुभ अंक : 6# आपके लिए उपाय => गुनगुने पानी से सेंधा

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अगर श्री राम का मंदिर तोड़ा गया तो इसका जिक्र तुलसीदास ने क्यों नहीं किया...????

24 अक्टूबर 2019
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सुप्रीमकोर्ट में अब हिंदू और मुस्लिम पक्ष से सारी दलीलें 16 अक्टूबर को ही बंद कर दी गई थी। अब इस राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला दीवाली की छुट्टियों के बाद आ सकता है। पूरा देश अपने-अपने समर्थन में फैसला आने का इंतजार कर रहे हैं मगर क्या आपको ये मामला पूरी तरह से पता है? अगर पता है तो क्या आपको

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जानिए कुछ ज्योतिष ज्योतिषीय उपाय/सुझाव-

24 अक्टूबर 2019
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भारत में जितने भी बड़े-बड़े व्यापारी और सेलिब्रिटीज हैं उनके अपने पर्सनल पंडितजी होते हैं। जिनसे पूछकर ही वे अपने सारे शुभ काम करते हैं। ऐसा हर कोई करता है और धार्मिक गुरु पर उनका ये विश्वास ही उन्हें सच्ची सफलता प्रदान करता है। ज्योतिषीयों के बारे में बहुत सारी बातें होती हैं जिन्हें समझने के लिए ज

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