CM योगी ने 4 किसानों को किया सम्मानित, बोले- बच्चे खेती नहीं करना चाहते
कानपुर. यूपी के कानपुर आए सीएम योगी ने 4 किसानों को उनके आधुनिक खेती को लेकर सम्मानित किया।DainikBhaskar.com से बातचीत में सम्मानित हुए किसानों ने कहा- ''हमारे बच्चे खेती नहीं करना चाहते बल्कि वो किसी और फिल्ड में अपना करियर बनाना चाहते हैं।''
- वाराणसी के मेहंदीगंज गांव के रहने वाले कमला शंकर ने बताया, बागवानी में हमने 4 साल पहले एक एकड़ में अमरूद की खेती शुरू की। आज हमारे उत्पादन को देखते हुए पूरे गांव में करीब 40 एकड़ में अलग-अलग किसान अमरूद की खेती कर रहे हैं।
- हमारे पास 2 हेक्टेयर खेत हैं। खेती तो हमारे बाप-दादा भी कर रहे थे, लेकिन उनको हमेशा नुक्सान ही होता था।
- हमें भी खेती में ज्यादा फायदा नहीं होता था, लेकिन साल 2008 में जब हम कृषि वि ज्ञान केंद्र से संपर्क किए, तब हमें खेती में फायदा होने लगा।
- साल 2008 के पहले हमे खेती से एक लाख रुपए तक की कमाई साल भर में होती थी, लेकिन वर्तमान में अब करीब 2 से ढाई लाख रुपए सिर्फ एक फसल में कमा लेते हैं।
- मेरे 2 लड़के हैं, जिसमे बड़ा प्रेमचंद्र वर्मा पहले साथ खेती करता था, लेकिन मेहनत ज्यादा और मुनाफा कम होने की वजह से अब वो गुजरात की एक कैमिकल फैक्ट्री यूपीएल में ऑपरेटिंग का काम कर रहा है।
- दूसरा, ध्यानचंद्र वर्मा बिजली विभाग में जेई है, जो अदलपुरा बनारस में ही तैनात है।
- जबतक हम हैं, तबतक तो खेती का काम हो रहा है, लेकिन हमारे बाद क्या होगा यह नहीं कह सकते। दोनों लड़कों को खेती में कोई रूचि नहीं है।
- किसानों की सबसे बड़ी समस्या मार्केटिंग की है, सीएम योगी को किसानों के फसलों के मार्केटिंग पर भी विशेष ध्यान देना होगा।
चरन सिंह यादव (कानपुर देहात)
- कानपुर देहात के बगुलाही गांव के रहने वाले चरण सिंह यादव के मुताबिक, इन्होंने ऊसर जमीन पर शंकर धान पैदा करने पर सम्मानित किया गया।
- इनके पास करीब 5 हेक्टेयर जमीन थी, लेकिन उसमे महज एक हेक्टेयर के आसपास ही खेतिहर जमीन थी, जिसपर रिसर्च का धान लगाते थे, जो महज 8 कुंतल तक होता था।
- 10 साल पहले जब ये कृषि वैज्ञानिक के संपर्क में आए, तो वैज्ञानिकों ने इनके ऊसर जमीन पर कुछ तकनिकी बताते हुए शंकर धान लगाने की बात कही और आज ये 5 हेक्टेयर में धान के साथ कई और सीजनल खेती करते हैं।
- पहले इनकी जो खेती होती थी, उससे घर का गुजारा बहुत मुश्किल से होता था, लेकिन वर्तमान में ये एक बीघे में करीब 18 कुंतल धान की खेती कर लेते हैं।
- इनका एक लड़का है लेकिन वो आए दिन कहीं और नौकरी करने की बात करता है, उसे खेती में रूचि नहीं है।
अमेरिकन खरवार (कुशीनगर)
- कुशीनगर जिले के मल्लूडीह गांव के रहने वाले अमेरिकन ने बताया, मैं करीब 20 एकड़ में केले की खेती करता हूं।
- मेरे पास 5 एकड़ जमीन है, लेकिन करीब 30 एकड़ जमीन लीज पर लेकर खेती करते हैं। पहले केले की खेती करते थे तो उसमें और कुछ नहीं बोते थे, लेकिन साल 2008 में वैज्ञानिकों ने केले के साथ धनिया, कुछ सब्जियां भी लगाने की सलाह दी, जिसमे इनको दोगुना फायदा हुआ।
- इनके एक लड़का और 4 लड़कियां हैं। हालांकि, इनका बेटा अभी 8वीं क्लास में है, लेकिन वो कभी खेतों में नहीं जाता और ना ही खेती करना चाहता है।
- अमेरिकन भी नहीं चाहते कि उनका बेटा बड़ा होकर किसान बने। इनके मुताबिक, किसानों को बहुत परेशानी है और सुनवाई के नाम पर कोई अधिकारी ध्यान नहीं देता।
इन्द्रप्रकाश सिंह (गोरखपुर)
- गोरखपुर के जानीपुर गांव के रहने वाले इन्द्रप्रकाश ने बताया, इनके पास 8 एकड़ खेतिहर जमीन है, जिसमें ये सीजन फसल उगाते हैं।
- साल 2002 में इनके पिता के गुजर जाने के बाद इन्होने खेती का काम शुरू किया। शुरुआत में इन्हे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन साल 2006 में जब ये केवीके के वैज्ञानिकों के संपर्क में आए, तब इनको अपने फसलों पर मुनाफा मिलना शुरू हुआ।
- इनके 3 बच्चे हैं। सबसे बड़ी लड़की अंकिता सिंह आईआईटी से बीटेक पास है, लड़का अपूर्व सिंह बीएचयू से फ्रेंच लैंगुएज में आनर्स करने के बाद अब वहीं से मास्टर की पढ़ाई कर रहा है। जबकि तीसरा लड़का अम्बुज सिंह कोटा में इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा है।
- इनके मुताबिक, दोनों लड़कों ने साफ कह दिया है कि वो खेती नहीं करेंगे। उन्हें अपने हिसाब से जॉब करना है।
- हमारे पास 2 हेक्टेयर खेत हैं। खेती तो हमारे बाप-दादा भी कर रहे थे, लेकिन उनको हमेशा नुक्सान ही होता था।
- हमें भी खेती में ज्यादा फायदा नहीं होता था, लेकिन साल 2008 में जब हम कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क किए, तब हमें खेती में फायदा होने लगा।
- साल 2008 के पहले हमे खेती से एक लाख रुपए तक की कमाई साल भर में होती थी, लेकिन वर्तमान में अब करीब 2 से ढाई लाख रुपए सिर्फ एक फसल में कमा लेते हैं।
- मेरे 2 लड़के हैं, जिसमे बड़ा प्रेमचंद्र वर्मा पहले साथ खेती करता था, लेकिन मेहनत ज्यादा और मुनाफा कम होने की वजह से अब वो गुजरात की एक कैमिकल फैक्ट्री यूपीएल में ऑपरेटिंग का काम कर रहा है।
- दूसरा, ध्यानचंद्र वर्मा बिजली विभाग में जेई है, जो अदलपुरा बनारस में ही तैनात है।
- जबतक हम हैं, तबतक तो खेती का काम हो रहा है, लेकिन हमारे बाद क्या होगा यह नहीं कह सकते। दोनों लड़कों को खेती में कोई रूचि नहीं है।
- किसानों की सबसे बड़ी समस्या मार्केटिंग की है, सीएम योगी को किसानों के फसलों के मार्केटिंग पर भी विशेष ध्यान देना होगा।
- कानपुर देहात के बगुलाही गांव के रहने वाले चरण सिंह यादव के मुताबिक, इन्होंने ऊसर जमीन पर शंकर धान पैदा करने पर सम्मानित किया गया।
- इनके पास करीब 5 हेक्टेयर जमीन थी, लेकिन उसमे महज एक हेक्टेयर के आसपास ही खेतिहर जमीन थी, जिसपर रिसर्च का धान लगाते थे, जो महज 8 कुंतल तक होता था।
- 10 साल पहले जब ये कृषि वैज्ञानिक के संपर्क में आए, तो वैज्ञानिकों ने इनके ऊसर जमीन पर कुछ तकनिकी बताते हुए शंकर धान लगाने की बात कही और आज ये 5 हेक्टेयर में धान के साथ कई और सीजनल खेती करते हैं।
- पहले इनकी जो खेती होती थी, उससे घर का गुजारा बहुत मुश्किल से होता था, लेकिन वर्तमान में ये एक बीघे में करीब 18 कुंतल धान की खेती कर लेते हैं।
- इनका एक लड़का है लेकिन वो आए दिन कहीं और नौकरी करने की बात करता है, उसे खेती में रूचि नहीं है।
अमेरिकन खरवार (कुशीनगर)
- कुशीनगर जिले के मल्लूडीह गांव के रहने वाले अमेरिकन ने बताया, मैं करीब 20 एकड़ में केले की खेती करता हूं।
- मेरे पास 5 एकड़ जमीन है, लेकिन करीब 30 एकड़ जमीन लीज पर लेकर खेती करते हैं। पहले केले की खेती करते थे तो उसमें और कुछ नहीं बोते थे, लेकिन साल 2008 में वैज्ञानिकों ने केले के साथ धनिया, कुछ सब्जियां भी लगाने की सलाह दी, जिसमे इनको दोगुना फायदा हुआ।
- इनके एक लड़का और 4 लड़कियां हैं। हालांकि, इनका बेटा अभी 8वीं क्लास में है, लेकिन वो कभी खेतों में नहीं जाता और ना ही खेती करना चाहता है।
- अमेरिकन भी नहीं चाहते कि उनका बेटा बड़ा होकर किसान बने। इनके मुताबिक, किसानों को बहुत परेशानी है और सुनवाई के नाम पर कोई अधिकारी ध्यान नहीं देता।
- गोरखपुर के जानीपुर गांव के रहने वाले इन्द्रप्रकाश ने बताया, इनके पास 8 एकड़ खेतिहर जमीन है, जिसमें ये सीजन फसल उगाते हैं।
- साल 2002 में इनके पिता के गुजर जाने के बाद इन्होने खेती का काम शुरू किया। शुरुआत में इन्हे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन साल 2006 में जब ये केवीके के वैज्ञानिकों के संपर्क में आए, तब इनको अपने फसलों पर मुनाफा मिलना शुरू हुआ।
- इनके 3 बच्चे हैं। सबसे बड़ी लड़की अंकिता सिंह आईआईटी से बीटेक पास है, लड़का अपूर्व सिंह बीएचयू से फ्रेंच लैंगुएज में आनर्स करने के बाद अब वहीं से मास्टर की पढ़ाई कर रहा है। जबकि तीसरा लड़का अम्बुज सिंह कोटा में इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा है।
- इनके मुताबिक, दोनों लड़कों ने साफ कह दिया है कि वो खेती नहीं करेंगे। उन्हें अपने हिसाब से जॉब करना है।