मम्मी-पापा डॉक्टर, बेटी ने इंजीनियरिंग में हासिल किए 4 अवॉर्ड, करना चाहती है थिएटर
कानपुर. IIT कानपुर के 50वें दीक्षांत समारोह में वाराणसी की रहने वाली रिचा अग्रवाल ने रतन स्वरुप स्मृति पुरस्कार सहित कुल चार मेडल हासिल किया। DainikBhaskar.com से बातचीत में रिचा ने यहां तक के सफर और अपने सपने को शेयर किया।
थिएटर करना चाहती है ये लड़की, इंजीनियरिंग में मिले ये 4 अवॉर्ड
- रिचा कहती है, मुझे पढ़ाई के बाद अगर कुछ अच्छा लगता है, तो वो है थिएटर। IIT के थियेटर में 4 साल में मैंने एक दर्जन से ज्यादा हिंदी और कई अंग्रेजी नाटक में प्ले कर चुकी हूं।
- इसके अलावा IIT की तरफ से कई नुक्कड़ नाटक में भी परफॉर्म किया है। देश में थिएटर का हाल ठीक नहीं है। थिएटर केवल मेट्रो शहर तक ही सीमित होकर रह गया है। लेकिन मुझे भरोसा है कि पीएम मोदी ने जो स्मार्ट सिटी और मेट्रो सिटी बनाने का जिम्मा उठाया है, उससे बाद थिएटर का कल्चर भी छोटे शहरों में बढ़ेगा।
- बेटी की सफलता पर पापा राजेश अग्रवाल कहते हैं, बेटी को बचपन से ही मैथ में रूचि थी। जब वो 8वीं क्लास में थी, तब उसके स्कूल में मैथ के टीचर ने कहा था- ये डॉक्टर नहीं, बल्कि इंजीनियर बनेगी।
- मैं और पत्नी ज्योति दोनों डेंटिस्ट हैं, लेकिन बेटी को डॉक्टरी की पढ़ाई में इंटरेस्ट नहीं था। 10वीं के बाद रिचा ने इंजीनियरिंग की इच्छा जाहिर कि और पहले अटेम्पट में ही IIT इंटरेंस एग्जाम पास कर लिया। वहीं, रिचा की माँ ज्योति अग्रवाल कहती हैं, डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रैक्टि स जमाने में करीब 15 साल लग जाते हैं। ऐसे में बेटी ने जब इंजीनियर बनने की बात कही तो मुझे काफी खुशी हुई।
रिचा ने हासिल किए ये 4 अवॉर्ड
# रतन स्वरुप स्मृति अवॉर्ड।
# जनरल प्रोफिसिएंसी अवॉर्ड।
# कल्चरल एक्सीलेंसी अवॉर्ड।
# मार्ची कोटान्जा अवॉर्ड।
थिएटर करना चाहती है ये लड़की, इंजीनियरिंग में मिले ये 4 अवॉर्ड
- रिचा कहती है, मुझे पढ़ाई के बाद अगर कुछ अच्छा लगता है, तो वो है थिएटर। IIT के थियेटर में 4 साल में मैंने एक दर्जन से ज्यादा हिंदी और कई अंग्रेजी नाटक में प्ले कर चुकी हूं।
- इसके अलावा IIT की तरफ से कई नुक्कड़ नाटक में भी परफॉर्म किया है। देश में थिएटर का हाल ठीक नहीं है। थिएटर केवल मेट्रो शहर तक ही सीमित होकर रह गया है। लेकिन मुझे भरोसा है कि पीएम मोदी ने जो स्मार्ट सिटी और मेट्रो सिटी बनाने का जिम्मा उठाया है, उससे बाद थिएटर का कल्चर भी छोटे शहरों में बढ़ेगा।
- मैं और पत्नी ज्योति दोनों डेंटिस्ट हैं, लेकिन बेटी को डॉक्टरी की पढ़ाई में इंटरेस्ट नहीं था। 10वीं के बाद रिचा ने इंजीनियरिंग की इच्छा जाहिर कि और पहले अटेम्पट में ही IIT इंटरेंस एग्जाम पास कर लिया। वहीं, रिचा की माँ ज्योति अग्रवाल कहती हैं, डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रैक्टि स जमाने में करीब 15 साल लग जाते हैं। ऐसे में बेटी ने जब इंजीनियर बनने की बात कही तो मुझे काफी खुशी हुई।
रिचा ने हासिल किए ये 4 अवॉर्ड