इस गांव में गल रहे लोगों के नाखुन, हर घर में है चर्म रोगी, ये है वजह
आजादी के बाद बसा ये गांव- गांव की कुल आबादी करीब 1000 से ज्यादा है, करीब 200 घर हैं। यहां के लोगों ने बताया- शुद्ध पानी को लेकर वह पिछले 20 साल से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते रहे। विधायक सतीश महाना के चौखट पर ऐसा कोई दिन नहीं था जब ये नहीं गए। लेकिन कार्रवाई कागजों तक सीमित रही।
- 20 साल संघर्ष के बाद 2016 में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के लिए एक 5000 लीटर क्षमता वाली पानी की टंकी लगाई गई, लेकिन अभी तक इस टंकी से लोगों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति नहीं हो पाई है। इसके लिए लोगों को हैंडपंप के पानी पर ही निर्भर होना पड़ता है।
- प्योंदी गांव के बुजुर्ग राम शरण बताते हैं- जब वो इस यहां साल 1953 में आए थे, तब यहां का वातावरण बहुत अच्छा था। गंगा किनारे गांव होने की वजह से लोगों को उन दिनों पानी की परेशानी कभी नहीं होती थी। लेकिन धीरे-धीरे यहां चमड़े की टेनरियों (फैक्टरियों) का विस्तार होने लगा।
- टेनरियों से निकलने वाला दूषित पानी सीधे गंगा में जाने लगा। धीरे-धीरे स्थिति ये हुई कि गंगा का भी पानी पीने योग्य नहीं रहा।
क्या कहते है जिम्मेदार...
- डीएम कौशल शर्मा के ट्रेनिंग में जाने के बाद इनदिनों शहर के सीडीओ अरुण कुमार कार्यवाहक डीएम के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने- टीम ने जब इनसे गांव के हालात पर बात की तो इनका कहना था कि प्योंदी सहित आसपास के गांवो में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की गई है। लेकिन गांव वालों को अगर प्रॉपर शुद्ध पेयजल नहीं मिल रहा है, तो इसकी जांच करवाई जाएगी।- जल्द ही गांव में डॉक्टरों की टीम कैम्प लगाएगी। इसके लिए सीएमओ कानपुर से बात की जाएगी। जाजमऊ में कई टेनरियां हैं, लेकिन इनसे निकलने वाले पानी को ट्रीटमेंट करने के बाद ही नहरों में छोड़ा जाता है। फिर भी अगर कहीं गड़बड़ी हो रही है, तो उसकी जांच कराई जाएगी।- विधायक सतीश महाना वर्तमान में उद्योग विकास मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री हैं। उनका मानना है कि जाजमऊ इलाके का पानी टेनरियों की वजह से दूषित हो चुका है। एक समय था जब गंगा नदी का पानी शुद्ध हुआ करता था। वो खुद स्टूडेंट लाइफ में दोस्तों के साथ गंगा जी में नहाने जाते थे।- पिछले 15-20 सालों से कानपुर में गंगा नदी प्रदूषित हो चुकी है और इसकी सबसे बड़ी वजह टेनरियों से निकलने वाला प्रदूषित पानी है, जिसे गंगा जी में सीधे बहा दिया जाता है। इस समस्या को दूर करने के लिए यहां से टेनरियों को दूसरे जगह शिफ्ट करने की कवायत की जा रही है, जिसे जल्द ही अमली जामा पहना दिया जाएगा।- हालांकि, महाना ने प्रदूषित पानी पीकर हो रही बीमारी पर कहा कि सरकार हर दिशा में काम कर रही है।आगे की स्लाइड्स में पढ़ें यहां रहने वाले लोगों की प्रॉब्लम और गांव के हाल की कुछ फोटोज...
UP village affected with water problem - www.bhaskar.com
- गांव की कुल आबादी करीब 1000 से ज्यादा है, करीब 200 घर हैं। यहां के लोगों ने बताया- शुद्ध पानी को लेकर वह पिछले 20 साल से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते रहे। विधायक सतीश महाना के चौखट पर ऐसा कोई दिन नहीं था जब ये नहीं गए। लेकिन कार्रवाई कागजों तक सीमित रही।
- 20 साल संघर्ष के बाद 2016 में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के लिए एक 5000 लीटर क्षमता वाली पानी की टंकी लगाई गई, लेकिन अभी तक इस टंकी से लोगों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति नहीं हो पाई है। इसके लिए लोगों को हैंडपंप के पानी पर ही निर्भर होना पड़ता है।
- प्योंदी गांव के बुजुर्ग राम शरण बताते हैं- जब वो इस यहां साल 1953 में आए थे, तब यहां का वातावरण बहुत अच्छा था। गंगा किनारे गांव होने की वजह से लोगों को उन दिनों पानी की परेशानी कभी नहीं होती थी। लेकिन धीरे-धीरे यहां चमड़े की टेनरियों (फैक्टरियों) का विस्तार होने लगा।
- टेनरियों से निकलने वाला दूषित पानी सीधे गंगा में जाने लगा। धीरे-धीरे स्थिति ये हुई कि गंगा का भी पानी पीने योग्य नहीं रहा।
क्या कहते है जिम्मेदार...
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