पीटी उषा को मिली मानक उपाधि, नॉर्थ इंडिया में खोलना चाहती हैं एथिलीट एकेडमी
कानपुर. IIT कानपुर के 50 दीक्षांत समारोह के दूसरे दिन शुक्रवार को भारत की उड़नपरी पिलावुल्लाकन्टी तेक्केपरम्पिल ऊषा (पीटी उषा) को डॉक्टर ऑफ साइंस की मानक उपाधि दी गई। इस दौरान पीटी उषा ने ऑडिटोरियम में बैठे सभी छात्र-छात्राओं को उनकी कामयाबी पर बधाई दी। साथ ही कहा- अब खेल पर बेस्ड बन रही फिल्मों की वजह से लोगों का इसके प्रति नजरिया बदल रहा है। उन्होंने नार्थ इंडिया में एथलीट एकडेमी खोलने की भी इच्छा जाहिर की।
पीटी उषा को मिली मानक उपाधि
- शुक्रवार को दीक्षांत समारोह के दूसरे दिन भारत की एथलीट पी टी उषा को डॉक्टर ऑफ साइंस की मानक उपाधि दी गई।
- मीडिया से बात करते हुए पीटी उषा ने कहा, वर्तमान में खेल पर बेस्ड जो पिक्चर आई हैं, उससे लोगों का नजरिया खेल को लेकर बदलने लगा है। भारत में हर मां-बाप अपने बच्चों को डॉक्टर, कलक्टर और इंजीनियर बनाना चाहते हैं।
- लेकिन अब लोगों की सोच में खेल को लेकर बदलाव आ रहा है। ये भारत में खेल के लिए बेहतर संदेश है। केरला में स्पोर्ट्स स्कूल ज्यादा हैं, वहां स्पोर्ट्स कल्चर है। यूथ को खेल के प्रति बचपन से ही जागरूक किया जाता है, जिसकी वजह से वहां से ज्यादा खिलाड़ी निकलते हैं।
- जहां तक एथलीट की बात है, तो केरला में एथलीट बनाए जाते हैं और दूसरे प्रदेश में हायर किये जाते हैं। आज भी मैं करीब 8 से 10 घंटे ग्राउंड पर अपने एथलीट एकेडमी के छात्रों के साथ प्रैक्टिस करती हूं। उनके साथ बराबर दौड़ती हूं, अपने एकेडमी के छात्रों को बराबर ट्रेनिंग देती हूं।
- मुझे अगर नार्थ इंडिआ में सपोर्ट मिला, तो अपनी एक एथलीट अकादमी जरूर खोलूंगी।
कौन हैं पीटी उषा
- पीटी उषा का 27 जून जन्म 1964 को केरला के कोजहिकोडे डिस्ट्रिक्ट के कुथली गांव में हुआ था। इन्हे उड़नपरी के साथ-साथ क्वीन ऑफ इंडियन ट्रैक एंड फिल्ड और पेयोली एक्सप्रेस के भी नाम से जाना जाता है।
- एथेलिटिक्स में ये साल 1979 में पहली बार अपने डिस्ट्रिक्ट की तरफ से चुनी गईं। साल 1979 में ही नेशनल स्कूल गेम्स में इन्होने चैम्पियनशिप का अवॉर्ड जीता, जिसके बाद ये लाइमलाइट में आईं।
- साल 1980 में पहली बार इंटरनेशनल लेवल पर करांची में हुए पाकिस्तान ओपन नेशनल मीट में 4 गोल्ड पदक जीत कर भारत का तिरंगा लहराया। साल 1982 में सियोल में हुए वर्ल्ड जूनियर एथलीट में 200 मीटर की दौड़ जीत कर गोल्ड मेडल हासिल किया, और 100 मीटर में ब्रॉन्ज मेडल जीतीं।
- उसी साल न्यू दिल्ली में हुए एसीएन गेम में 100 और 200 मीटर की दौड़ में सिल्वर मेडल जीतीं। साल 1983 में एक नए वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ कुवैत में हुए एशियन ट्रैक एंड फिल्ड चैम्पियनशिप में 400 मीटर की दौड़ में गोल्ड मैडल जीतीं।
- पी टी उषा ने अपने 24 साल के करिअर में 103 इंटरनेशनल मेडल और 1042 नेशनल मेडल जीत चुकी हैं। वर्तमान में ये अपना स्कूल ऑफ एथिलीट्स चला रही हैं।
- शुक्रवार को दीक्षांत समारोह के दूसरे दिन भारत की एथलीट पी टी उषा को डॉक्टर ऑफ साइंस की मानक उपाधि दी गई।
- मीडिया से बात करते हुए पीटी उषा ने कहा, वर्तमान में खेल पर बेस्ड जो पिक्चर आई हैं, उससे लोगों का नजरिया खेल को लेकर बदलने लगा है। भारत में हर मां-बाप अपने बच्चों को डॉक्टर, कलक्टर और इंजीनियर बनाना चाहते हैं।
- लेकिन अब लोगों की सोच में खेल को लेकर बदलाव आ रहा है। ये भारत में खेल के लिए बेहतर संदेश है। केरला में स्पोर्ट्स स्कूल ज्यादा हैं, वहां स्पोर्ट्स कल्चर है। यूथ को खेल के प्रति बचपन से ही जागरूक किया जाता है, जिसकी वजह से वहां से ज्यादा खिलाड़ी निकलते हैं।
- जहां तक एथलीट की बात है, तो केरला में एथलीट बनाए जाते हैं और दूसरे प्रदेश में हायर किये जाते हैं। आज भी मैं करीब 8 से 10 घंटे ग्राउंड पर अपने एथलीट एकेडमी के छात्रों के साथ प्रैक्टिस करती हूं। उनके साथ बराबर दौड़ती हूं, अपने एकेडमी के छात्रों को बराबर ट्रेनिंग देती हूं।
- मुझे अगर नार्थ इंडिआ में सपोर्ट मिला, तो अपनी एक एथलीट अकादमी जरूर खोलूंगी।
कौन हैं पीटी उषा
- पीटी उषा का 27 जून जन्म 1964 को केरला के कोजहिकोडे डिस्ट्रिक्ट के कुथली गांव में हुआ था। इन्हे उड़नपरी के साथ-साथ क्वीन ऑफ इंडियन ट्रैक एंड फिल्ड और पेयोली एक्सप्रेस के भी नाम से जाना जाता है।
- एथेलिटिक्स में ये साल 1979 में पहली बार अपने डिस्ट्रिक्ट की तरफ से चुनी गईं। साल 1979 में ही नेशनल स्कूल गेम्स में इन्होने चैम्पियनशिप का अवॉर्ड जीता, जिसके बाद ये लाइमलाइट में आईं।
- साल 1980 में पहली बार इंटरनेशनल लेवल पर करांची में हुए पाकिस्तान ओपन नेशनल मीट में 4 गोल्ड पदक जीत कर भारत का तिरंगा लहराया। साल 1982 में सियोल में हुए वर्ल्ड जूनियर एथलीट में 200 मीटर की दौड़ जीत कर गोल्ड मेडल हासिल किया, और 100 मीटर में ब्रॉन्ज मेडल जीतीं।
- उसी साल न्यू दिल्ली में हुए एसीएन गेम में 100 और 200 मीटर की दौड़ में सिल्वर मेडल जीतीं। साल 1983 में एक नए वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ कुवैत में हुए एशियन ट्रैक एंड फिल्ड चैम्पियनशिप में 400 मीटर की दौड़ में गोल्ड मैडल जीतीं।
- पी टी उषा ने अपने 24 साल के करिअर में 103 इंटरनेशनल मेडल और 1042 नेशनल मेडल जीत चुकी हैं। वर्तमान में ये अपना स्कूल ऑफ एथिलीट्स चला रही हैं।
आगे की 3 फोटोज में देखें स्टूडेंट्स ने ली पीटी उषा संग सेल्फी...