मेरे द्वारा रचित पुस्तक "आखिरी इच्छा" में मैंने एक विधवा मां की आखिरी इच्छा की कहानी लिखी है, जो काल्पनिक रचना है। इसमें एक मां की आखिरी इच्छा थी कि वह डॉक्टर बने। लेकिन समाज में चल रही नैतिक बुराइयों की वजह से उसके घर वालों ने उसकी शादी कर दी। कहानी एक विधवा औरत नीलम की है। उसके पति का हार्ट अटैक आने की वजह से देहांत हो गया था। उसका एक बेटा था, जिसका नाम नवीन था। उस समय नवीन केवल दस वर्ष की आयु का था जब उसके पिता का देहांत हुआ था। नीलम ने अपने बेटे को बड़ी मुश्किलों से पाला-पोसा। उसने अपने बेटे नवीन को कभी उसके पिता की कमी महसूस नहीं होने दी। वह नवीन को वह सब कुछ देती थी जो भी वह मांगे। नीलम ने मां होने के साथ-साथ एक पिता होने का भी कर्ज निभाया। जब नवीन को अपनी मां नीलम के अधूरे सपने के बारे में पता चला, तो उसने अपनी मां का अधूरा सपना पूरा करने की ठानी। उसने बहुत मेहनत और लगन से पढ़ाई पूरी की और अपनी मां का अधूरा सपना पूरा किया। नीलम बहुत खुश हुई अपने अधूरे सपने को पूरा होता देखकर। चाहे आज नीलम खुद डॉक्टर नहीं बनी, लेकिन उसने भी नवीन के डॉक्टर बनने में अहम भूमिका निभाई। यह फल नीलम की दिन-रात की मेहनत और कठिन परिश्रम का था।
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